Explainer: किल्लत के समय क्या रिजर्व में रखे तेल से मदद लेगा अमेरिका? जानें

गातार बढ़ रहे तेल के दामों के बीत अमेरिका अब चीन और जापान जैसे अन्य बड़े देशों के साथ मिलकर तेल की कीमतों को कम करने के लिए यूएस स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (spr) से मदद लेने पर विचार कर रहा है. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह का कदम अमेरिकी तेल की कीमतों में गिरावट पर दीर्घकालिक कोई प्रभाव नहीं डालेगा.

स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST
  • अमेरिका स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व से मदद लेने पर विचार कर रहा है
  • अमेरिका के रिजर्व में लगभग 606 मिलियन बैरल तेल है मौजूद

भारत के साथ-साथ अमेरिका और चीन में भी लोग पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों की वजह से परेशान हैं. जिसके मद्देनजर अमेरिका अब चीन और जापान जैसे अन्य बड़े देशों के साथ मिलकर तेल की कीमतों को कम करने के लिए यूएस स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (spr) से मदद लेने पर विचार कर रहा है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह का कदम अमेरिकी तेल की कीमतों में गिरावट पर दीर्घकालिक कोई प्रभाव नहीं डालेगा. दरअसल पिछले अक्टूबर के अंत में तेल की कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी, जो कि सात सालों में सबसे ज्यादा है.

अमेरिका के इस कदम से बिडेन प्रशासन 2022 के मध्यावधि चुनावों से पहले तेल के दामों पर होने वाली आलोचना से बच सकता है.  साथ ही अब चीन और जापान जैसे देशों के साथ डील करके अमेरिका ये भी कह सकता है कि उसने ये कदम तब उठाया जब सऊदी अरब, रूस और ओपेक प्लस जैसे उत्पादन समूहों ने वैश्विक बाजारों में अधिक तेल पंप करने के लिए अमेरिकी अनुरोध को नकार दिया. 

एसपीआर क्यों बनाया गया था?
1975 में जब अरब तेल एम्बार्गो ने गैसोलीन की कीमतों में वृद्धि की और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा, तब संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1975 में एसपीआर भंडार का निर्माण किया. राष्ट्रपतियों ने इस भंडार को युद्ध के दौरान तेल बाजारों को शांत करने के या जब तूफान मेक्सिको की अमेरिकी खाड़ी के साथ तेल के बुनियादी ढांचे को प्रभावित करे, उस समय में इस्तेमाल करने की शर्त रखी थी.


कितने तेल का भंडार है एसपीआर के पास?
अमेरिका के रिजर्व में वर्तमान समय में लुइसियाना और टेक्सास तटों पर चार भारी संरक्षित स्थानों में दर्जनों गुफाओं में लगभग 606 मिलियन बैरल तेल रहता है. इतना तेल एक महीने से अधिक समय तक अमेरिकी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इतना ही नहीं अमेरिका पूर्वोत्तर हिस्से में छोटे ताप तेल और गैसोलीन भंडार भी रखता है.


किन देशों में कितना है भंडार?
अमेरिका के अलावा, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित 29 देश अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के सदस्य हैं. इन देशों को 90 दिनों के शुद्ध तेल आयात के बराबर आपातकालीन भंडार में तेल रखना आवश्यक है. चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद जापान के पास सबसे बड़ा भंडार है.
आईईए के एक सहयोगी सदस्य और दुनिया के दूसरे प्रमुख तेल उपभोक्ता चीन ने 15 साल पहले अपना एसपीआर बनाया और सितंबर में अपनी पहली तेल आरक्षित नीलामी आयोजित की. यहां तक की भारत भी तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, और भारत के पास भी अपना एक रिजर्व है.
आईईए के अनुसार, कुल मिलाकर, ओईसीडी सरकारों के पास सितंबर तक 1.5 बिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल था. यह महामारी से पहले की वैश्विक मांग का लगभग 15 दिन है.

क्या ये देश एक साथ तेल छोड़ सकते हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति एक ही समय में अन्य आईईए सदस्यों द्वारा भंडार में कमी के साथ एसपीआर रिलीज का समन्वय कर सकते हैं. हालांकि चीन और भारत को शामिल करने वाला संभावित निर्यात पहला ऐसा उदाहरण होगा जिसमें अमेरिका ने एक समन्वय में दो  देशों को शामिल किया है.

बाजार में तेल कैसे पहुंचता है?
दरअसल एसपीआर बड़े यू.एस. रिफाइनिंग या पेट्रोकेमिकल केंद्रों के पास है, जिस कारण इससे प्रतिदिन 4.4 मिलियन बैरल शिप किया जा सकता है. ऊर्जा विभाग के अनुसार, अमेरिकी बाजार में पहले तेल के प्रवेश के लिए राष्ट्रपति के फैसले के बाद केवल 13 दिन लगते हैं.
बिक्री के वक्त ऊर्जा विभाग आमतौर पर एक ऑनलाइन नीलामी आयोजित करता है जिसमें ऊर्जा कंपनियां तेल पर बोली लगाती हैं. इसके अलावा तेल कंपनियां तेल की अदला-बदली करती हैं, जिसमें वो कच्चे तेल लेकर उसे ब्याज के साथ वापस करती हैं. 
अब तक अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने तीन बार एसपीआर से आपातकालीन बिक्री को अधिकृत किया है, सबसे हाल ही में 2011 में ओपेक सदस्य लीबिया में युद्ध के दौरान, दूसरी बार 1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान और तीसरी बार 2005 में कैटरीना तूफान के बाद बिक्री हुई. हालांकि तेल की अदला-बदली कई बार हो चुकी है, जिसमें आखिरी बार तूफान इडा के बाद सितंबर में ऐसा हुआ था. 

 

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