बांग्लादेश में भारी बवाल के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़ दिया है. इसके बाद राष्ट्रपति ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की लीडर और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की रिहाई का आदेश दे दिया है. खालिदा को करप्शन के मामले में 17 साल की सजा सुनाई गई थी और साल 2018 में जेल में डाल दिया गया था. फिलहाल उनको घर में नजरबंद किया गया है. चलिए आपको बताते हैं कि खालिदा जिया कौन हैं और उनका शेख हसीना से कैसे संबंध थे.
कौन हैं खालिदा जिया-
खालिदा जिया को शेख हसीना का धुर विरोधी माना जाता है. उनकी उम्र 78 साल है. खालिदा जिया बीएनपी की अध्यक्ष हैं. उनका जन्म 15 अगस्त 1945 को बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ था. उनके पिता का नाम जियाउर रहमान था. खालिदा जिया साल 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. वो इस पद पर साल 1996 तक रहीं. साल 1996 में आम चुनाव हुए. खालिदा ने फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन इस चुनाव में धांधली को लेकर देश में आंदोलन शुरू हो गया था. आखिरकार खालिदा जिया को इस्तीफा देना पड़ा था.
साल 2001 में खालिदा जिया दूसरी बार देश की प्रधानमंत्री बनीं और साल 2006 तक इस पद पर रहीं. साल 2007 में राजनीतिक हिंसा के चलते आम चुनाव को स्थगित कर दिया. इसके बाद सेना का कार्यवाहक सरकार पर कंट्रोल हो गया.
सियासत में कैसे हुई थी खालिदा की एंट्री-
खालिदा जिया देश की पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी हैं. जियाउर रहमान ने साल 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की. जियाउर रहमान साल 1977 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने थे. लेकिन 30 मई 1981 को उनकी हत्या कर दी गई थी. चटगांव में सेना के अधिकारियों ने उनकी हत्या कर दी थी. पति की हत्या के बाद खालिदा जिया ने सियासी करियर शुरू हुआ.
बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद देश में अव्यवस्था फैल गई. 2 साल बाद साल 1977 में फिर से तख्तापलट हुआ और जनरल जियाउर रहमान ने खुद को देश का राष्ट्रपति घोषित कर दिया. राष्ट्रपति बनने के बाद जियाउर रहमान ने एक ऑर्डिनेंस लाकर शेख मुजीब की हत्या के सभी आरोपियों को इम्यूनिटी दे दी थी.
जब हसीना और खालिदा की हुई सियासी दोस्ती-
साल 1981 में राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश की सियासत में उथल-पुथल मच गई. पहले अब्दुस सत्तार और उसके बाद एहसानुद्दीन चौधरी राष्ट्रपति बनाए गए. लेकिन चौधरी का भी तख्तापलट हो गया और सेना प्रमुख इरशाद खुद राष्ट्रपति बन गए और देश में मॉर्शल लॉ लागू कर दिया. ये वो वक्त था, जब खालिदा जिया और शेख हसीना को सियासी दोस्ती करनी पड़ी. दोनों ने मिलकर राष्ट्रपति इरशाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. दोनों के सामने इरशाद को झुकना पड़ा और राष्ट्रपति के पद के इस्तीफा देना पड़ा. हालांकि दोनों की सियासी दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चल पाई. जब साल 1991 में देश में आम चुनाव हुए तो दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनावी मैदान में उतरीं. इस चुनाव में खालिदा जिया की पार्टी ने शेख हसीना को पीछे छोड़ दिया और देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं.
जब दोनों बने गए सियासी दुश्मन-
जब खालिदा जिया देश की प्रधानमंत्री बनीं. उसके बाद दोनों के बीच सियासी दुश्मनी की शुरुआत हुई. खालिदा के 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद साल 1996 में देश में चुनाव हुए. फिर से खालिदा की जीत हुई. उन्होंने पीएम पद की शपथ भी ले ली. लेकिन शेख हसीना ने आंदोलन खड़ा कर दिया. आखिरकार खालिदा जिया को इस्तीफा देना पड़ा. देश में फिर से चुनाव हुए और शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग सत्ता में आई. इसके बाद साल 2001 में आम चुनाव हुए. इस बार खालिदा जिया की पार्टी को जीत मिली और एक बार फिर वो देश की प्रधानमंत्री बनीं. लेकिन साल 2007 में राजनीतिक हिंसा के चलते चुनाव नहीं हो सके. कार्यवाहक सरकार पर सेना ने कंट्रोल कर लिया.
साल 2014 में बांग्लादेश में आम चुनाव हुए. जिसमें शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को जीत मिली और वो दूसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं. साल 2018 में शेख हसीना तीसरी बार प्रधानमंत्री बनीं. जनवरी 2024 में चौथी बार शेख हसीना की पार्टी को चुनाव में जीत मिली थी. लेकिन अब उनका तख्तापलट हो गया है.
इस दौरान साल 2018 में खालिदा जिया को 17 साल की सजा सुनाई गई. इसके बाद से वो घर में नजरबंद हैं. अब उनकी रिहाई का आदेश दिया गया है.
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