Bangladesh Coup: बांग्लाादेश में तख्ता पलट के बाद भारत के साथ संबंधों पर क्या पड़ा असर, जानें इससे जुड़े 7 सवालों के जवाब

बांग्लादेश में तख्ता पलट के करीब चार महीने बाद देश की अंतरिम सरकार की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए बंग्लादेश के विदेश विभाग की तरफ नोट वर्बल यानि एक कूटनीतिक नोट जारी किया गया है.

Bangladesh officially seeks Sheikh Hasina's Extradition from India
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST
  • बांग्लादेश ने की शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग
  • दिल्ली में गरमाया बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा

भारत-बांग्लादेश के बीच विवादों का एक नया अध्याय सामने आया है. बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. दरअसल, बांग्लादेश की सरकार ने शेख हसीना को वापस सौंपने की मांग की है. बांग्लादेश में तख्ता पलट के करीब चार महीने बाद देश की अंतरिम सरकार की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए बंग्लादेश के विदेश विभाग की तरफ नोट वर्बल यानि एक कूटनीतिक नोट जारी किया गया है. इस पूरे विवाद को हम आपको 7 सवालों के माध्यम से समझा रहे हैं. 

1. शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग के पीछे बंग्लादेश की क्या मंशा है?
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन के मुताबिक राजनयिक प्रक्रिया के तहत भारत सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को वापस भेजने के लिए संदेश दिया है. जिससे शेख हसीना पर मुकदमा चलाया जा सके. दरअसल अगस्त महीने में बांग्लादेश में तख्ता पलट होने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो देश छोड़कर भागना पड़ा था. उस समय उन्होंने भारत में पनाह ली थी और अभी भी वह भारत में ही हैं. 

हसीना के पद छोड़ते ही उनके ऊपर बांग्लादेश में कई मुकदमे दर्ज हो गये थे. जिनमें हत्या तक का भी केस शामिल है. विदेश मामलों के जानकार, रोबिंदर सचदेव ने बताया कि बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने अक्टूबर महीने में शेख़ हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. बांग्लादेश सरकार ने तब कहा था कि वे इस निर्देश को लागू करने की लिए शीघ्र कदम उठाएंगे. बांग्लादेश सरकार के मुताबिक, उन्होंने इस संबंध में पहल करते हुए भारत सरकार से आधिकारिक रुप से शेख हसीना को सौंपने की मांग की है. 

हांलाकि बांग्लादेश के अनुरोध पर भारत ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. बांग्लादेश में सरकार बदलने के बाद हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में पहले से तनाव था. लेकिन अब शेख हसीन के मुद्दे पर भी दोनों देशों के बीच तलवारें खिंचने का अनुमान है. ऐसे में दोनों देशों के रिश्तों में खटास और बढ़ सकती है. बांग्लादेश में जिस तरह से परिस्थितियां बदली हैं उससे ये लग रहा है कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के रहते द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने के कोई भी कोशिश किसी सकारात्मक नतीजे तक नहीं पहुंच सकेगी. 

सचदेव ने कहा कि भारत और बांग्लादेश आपस में चार हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा लंबी सीमा साझा करते हैं और दोनों के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते हैं. लेकिन हाल की स्थिति को देखा जाए तो दोनों देशों के संबंधों में दरार आई है और हर गुजरते दिन के साथ ये दरार चौड़ी होती जा रही है.

2. शेख हसीना को वापस भेजने की मांग पर भारत का क्या रुख है?
इस सवाल पर पूर्व राजनयिक, मंजू सेठ ने कहा कि यह एक चैलेंज है इंडिया के लिए कि इसमें क्या फैसला लें. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि भारत शेख हसीना को वापस नहीं भेजेगा क्योंकि जिस तरह के ट्रीटी में भारत है और जिस तरह के रिलेशनशिप भारत के रहे हैं, उसे देखते हुए हम उन्हें ऐसे नहीं छोड़ना चाहेंगे. हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. 

3. प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत के पास क्या-क्या विकल्प हैं? 
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि है. लेकिन इस संधि के प्रावधानों में कई ऐसी शर्तें हैं जिसके जरिए भारत शेख हसीना के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है. इस बारे में पूर्व राजनयिक, अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि यह बात याद रखने की है कि भारत और बांग्लादेश के बीच में एक एक्सट्रैडिशन ट्रीटी है. एक्सट्रैडिशन ट्रीटी के हिसाब से उनको लीगल प्रोसीजर फॉलो करना होगा. उसके बाद में नॉर्मल डिप्लोमाटिक चैनल के जरिए रिक्वेस्ट भेजी जाती है जिसे होस्ट कंट्री देखता है. बांग्लादेश के मामले में, अभी कुछ भी प्रोसेस के तहत नहीं हुआ है. फिलहाल, एक तरह से लोगों का पब्लिक सेंटिमेंट को एक मैनिपुलेट करने की कोशिश है. अभी तो नहीं लगता है कि कोई टेक्निकल प्रोसेस हुई है या पूरी तरह से लीगल प्रोसेस फॉल हुई है. एक बार वह होगी उसके बाद ही भारत पूरी तरह इस पर देख पाएगा और पूरे प्रोसीजर को फॉलो कर पाएगा. 

4. क्या शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग बांग्लादेश की कूटनीतिक चाल है?
शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद बांग्लादेश और भारत के संबंधों में भरोसा अब तक नहीं लौट पाया है. मो. युनूस के सत्ता संभालने के बाद जिस तरह वहां पर कट्टरपंथियों ने उपद्रव मचाया और अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार किए हैं, उससे दोनों देशों के बीच के संबंधों में तल्खी आ चुकी है.  भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी पिछले महीने बांग्लादेश गए थे. उम्मीद की जा रही थी कि दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ़ पिघलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. क्योंकि बांग्लादेश ने एक बार फिर से भारत के साथ टकराव का रास्ता चुन लिया है. बांग्लादेश ने अब एक नई चाल चलते हुए शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर दी है. 

बांग्लादेश अपने देश के कानूनी बाध्यताओं का हवाला देते हुए शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने की पीछे उसकी गहरी चाल है. दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की योजना ये है कि जब शेख हसीना के प्रत्यर्पण से भारत इनकार करेगा तो वो भारत के खिलाफ ये कहते हुए नकारात्मक छवि बना सकेगा कि भारत उनको सहयोग नहीं कर रहा है. विदेश मामलों के जानकार, रोबिंदर सचदेव ने कहा कि शेख हसीना भारत की सहयोगी रही हैं. ऐसे में बांग्लादेश भी इस बात को अच्छी तरह से समझता है कि भारत बांग्लादेश को शेख हसीना को कभी नहीं सौंपेगा. ऐसे में भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग महज औपचारिकता के अलावा कुछ नहीं है. बांग्ला देश में तख्ता पलट होने के बाद वहां की सत्ता पर भले ही मो. युनूस काबिज हुए हों. लेकिन सरकार पर नियंत्रण कट्टरपंथियों का ही है. हिंदुओं के खिलाफ जिस तरह से बांग्लादेश में हमले बढ़े वो इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि वहां की सत्ता में कट्टरपंथियों ने जड़ें जमा ली है.

5. शेख हसीना के मुद्दे से दोनो देशों के रिश्तों पर क्या होगा असर? 
इस सवाल पर पूर्व रजनयिक, मंजु सेठ का कहना है कि हम इसे खराब नहीं करना चाहते. लेकिन वहां की सरकार को लगता है कि इसे मुद्दा बनाकर इसे खराब किया जा सकता है और वे फिलहाल इसे खराब कर रहे हैं. और पहले से ही, जैसे उनके बयान वहां से आ रहे हैं, एक तरह से धमकी भरे बयान टाइप के, वे कह रहे हैं कि हमें आपको यह देना होगा, हमने आपको यह भेजा है, आपको यह करना होगा. तब से हम देख रहे हैं कि वहां से जितने बयान आ रहे हैं, जो कार्रवाई आ रही है, उसे देखते हुए, वे पहले से ही संबंधों को खराब करना शुरू कर चुक हैं, और वे इसे एक मुद्दा बना रहे हैं. 

6. बांग्लादेश के रुख को देखते हुए भारत की क्या है तैयारी?
पूर्व रजनियक, मंजू सेठ ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंध बहुत अच्छे रहे हैं. जब मिस्टर ज़िया वहां थे तो वो भी बहुत अच्छे थे. लेकिन हमारा रिश्ता कभी ऐसा नहीं रहा. आज की तरह मुझे ऐसी कोई स्थिति याद नहीं आती जब हम बिल्कुल भी बात नहीं कर रहे हों और हर बात पर धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल कर रहे हों. और हम कह रहे हैं कि भारत झूठ बोल रहा है, भारत ये कर रहा है, इंडिया वो कर रहा है. जैसे वे कुछ भी कहें, हिंदुओं को कुछ नहीं हुआ, अल्पसंख्यकों पर कोई हमला नहीं हुआ, सब झूठ है. तो इस तरह की बातें वे कह रहे हैं, इसलिए मुझे लगता है कि यह कोई बहुत सकारात्मक संकेत नहीं है कि हमारे रिश्ते में सुधार होगा. और इसमें हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, ये उनकी मर्जी है. लेकिन मुझे लगता है कि हमें थोड़ा मजबूत बनना होगा.

7. दिल्ली में क्यों गरमाया बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा? 
दरअसल दिल्ली पुलिस संगम विहार मर्डर केस की जांच कर रही थी. इस बीच जांच के दौरान पुलिस के हाथ घुसपैठियों से जुड़े सबूत मिले और जांच आगे बढ़ी तो धीरे धीरे बड़े खुलासे हुए. जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने रैकेट से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें 5 बांग्लादेशी और 6 रैकेट से जुड़े लोग शामिल हैं. ये लोग बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फेक आधार कार्ड, वोटर आईडी और अन्य डॉक्यूमेंट्स बनाते थे. जिसका इस्तेमाल करके बांग्लादेशी भारत में एंट्री करते थे.

बांग्लादेशी नागरिकों का एक पूरा सिंडिकेट सामने आया. जिसमें पता चला कि एक पूरा गैंग घुसपैठियों को भारत पहुंचाने में काम कर रहा है जो घुसपैठियों को भारत में जंगल के रास्ते लेकर आता है और उनके लिए फर्जी दस्तावेजों का इंतजाम किया जाता है. इस मामले में डॉक्यूमेंट्स को लेकर एक वेबसाइट भी मदद कर रही थी, जिसके संचालक रजत मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इसके अलावा एक बांग्लादेशी महिला को भी गिरफ्तार किया है, जिसने फर्जी आधार कार्ड से वोटर कार्ड बनवाया था. अब तक शहर में 1000 से अधिक अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की गई है. 

दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 10 दिसंबर को बांग्लादेशी अवैध घुसपैठियों की पहचान को लेकर निर्देश जारी किये थे. मुख्य सचिव और पुलिस आयुक्त को दिल्ली में अवैध तौर पर रह रहे बांग्लादेशी अप्रवासियों की पहचान और और उनपर एक्शन लेने के निर्देश दिए थे. राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर पलटवार कर रही हैं लेकिन देश में घुसपैठियों का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है. सरकारी आकड़ों के मुताबिक, पिछले 25 साल में करीब 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए अवैध रूप से भारत पहुंचे हैं. और अभी भी हर साल 3 लाख से ज्यादा बांग्लादेशी अवैध तरीकों से भारत में घुसते हैं. ऐसे में जरूरी है घुसपैठियों पर रोकथाम के लिए सख्ती बरती जाए. 


 

Read more!

RECOMMENDED