ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने 59 प्रतिशत सांसदों के समर्थन से विश्वास मत हासिल कर लिया है. उन्हें कुल 359 सांसदों में से 211 के वोट मिले. जीत के बाद संबोधन में जॉनसन ने कहा, यह एक रहने का समय है. हमें देश की अर्थव्यवस्था को आगे लेकर जाना है. इस जीत के साथ अब अगले 12 महीने तक बोरिस जॉनसन को किसी अन्य अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ेगा. हालांकि उनका कार्यकाल अगले छह महीनों में खत्म हो रहा है. बता दें सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी खुद जॉनसन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई थी.
पार्टीगेट विवाद बना जॉनसन के गले की हड्डी
बोरिस जॉनसन साल 2019 में प्रधानमंत्री बने थे. जून 2020 में एक जन्मदिन पार्टी का आयोजन किया गया था. उस वक्त पूरे देश में सख्त लॉकडाउन लागू किया गया था, इतना ही नहीं ब्रिटेन की महारानी भी अपने पति के अंतिम संस्कार में अकेले शामिल हुई थीं. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर आरोप है कि उन्होंने लॉकडाउन के नियमों को ताक पर रखकर अपने जन्मदिन पर पार्टी की. इसे पार्टीगेट स्कैंडल का नाम दिया गया. इस मामले में बोरिस जॉनसन पर जुर्माना भी लगाया गया था. ब्रिटेन के सांसदों ने पीएम के खिलाफ संसदीय जांच को मंजूरी दी थी. फिलहाल इसकी जांच चल रही है.
और क्या है विवाद
पार्टीगेट मामले में जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कंजरवेटिव पार्टी के 40 से ज्यादा सांसदों ने बोरिस जॉनसन से इस्तीफे की मांग की थी. कई सांसद इस बात पर भी नाराज है कि वे सरकार की विवादित नीतियों का बचाव करते हैं और बाद में सरकार उन नीतियों में बदलाव कर उन्हें झूठा साबित कर देती है. सांसदों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने जनता और पार्टी दोनों की बदनामी की है, इसलिए उन्हें अपने पद से हट जाना चाहिए.
थेरेसा मे जैसा हश्र तो नहीं होगा!
इतिहास गवाह है विश्वास मत जीतने वाले प्रधानमंत्री भी अपने पद पर बने रहने के लिए संघर्ष करते रहे हैं, 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के इस्तीफे के बाद थेरेसा मे प्रधानमंत्री बनी थीं, लेकिन उनके लिए आगे की चुनौती बेहद कठिन साबित हुई और जब तक वह प्रधानमंत्री रहीं लगातार संघर्ष ही करती रहीं. उनके खिलाफ भी 2018 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. 63 फीसदी सांसदों के समर्थन से थेरेसा इसमें जीत भी गईं लेकिन ब्रेग्जिट को उसके मुकाम तक पहुंचाने में नाकाम रहने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था.
क्या है आगे की राह
बोरिस जॉनसन ने भले ही अविश्वास प्रस्ताव जीत लिया है लेकिन कंजर्वेटिव पार्टी के अंदर पड़ रही फूट उनकी आगे की राहें मुश्किल करने वाली है. वेकफील्ड में 23 जून को होने वाले उपचुनाव में बोरिस जॉनसन की पार्टी को हार झेलनी पड़ सकती है. संडे टाइम्स के सर्वे के मुताबिक आगामी उपचुनाव में लेबर पार्टी 48 फीसदी और कंजर्वेटिव पार्टी को 28 फीसदी मत मिलने की उम्मीद है. बोरिस जॉनसन अपने बिंदास और विवादित बयान के लिए जाने जाते हैं, कई बार उनके बयानों की वजह से कंजरवेटिव पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है. जॉनसन का अब तक का कार्यकाल विपक्षी हमलों को जवाब देने में बीता है.