ब्राजील खतरनाक युद्धपोत साओ पाउलो को समंदर में डुबोने जा रहा है. जहरीले पदार्थों से भरा युद्धपोत कई महीनों से अटलांटिक सागर में है. नौसेना और रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके बताया है कि 6 दशक पुराने साओ पाउलो को खत्म कर दिया जाएगा. उनका कहना है कि बढ़ते खतरे को देखते हुए इसे डुबोने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इस युद्धपोत के लिए बंदरगाह की खोज की गई. लेकिन इसमें असफलता मिली है. पर्यावरणविद नौसेना के इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इसे पर्यावरण के लिए खतरनाक बता रहे हैं.
नाकाम रही है इसे नष्ट करने की कोशिश-
ब्राजील इस युद्धपोत को नष्ट करने के लिए कई सालों से कोशिश कर रही है. पिछले साल तुर्की की फर्म सोक डेनिजिलिक ने युद्धपोत को नष्ट करने का जिम्मा लिया था. सबकुछ तय हो गया था. लेकिन जब अगस्त 2022 में इसे भूमध्य सागर में ले जाने की तैयारी हो रही थी तो तुर्की के पर्यावरण अधिकारियों ने अडंगा लगा दिया. पर्यावरण अधिकारियों ने इसे खतरनाक बताया और इस पर रोक लगा दी. उसके बाद ब्राजील इस विमानवाहक पोत को वापस लाया. उसके बाद से अब तक ये युद्धपोत वैसे ही खड़ा है.
क्यों हो रहा युद्धपोत को डुबोने का विरोध-
दरअसल ये युद्धपोत जहरीले पदार्थों से भरा पड़ा है. पर्यावरणविदों का कहना है कि इस युद्धपोत में कई टन अभ्रक, हैवी मेटल्स और दूसरे जहरीले पदार्थ भरे हैं, जो पानी में रिस सकता है. इसकी वजह से मरीन फूड चेन को नुकसान होगा. बेसल एक्शन नेटवर्क के डायरेक्टर जिम पकेट ने ब्राजील की नौसेना पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया. इतना ही नहीं, उन्होंने नौसेना के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण के समझौतों के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि इसस अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा. पर्यावरणविद राष्ट्रपति से नौसेना के इस फैसले को रोकने की अपील की है. फ्रांसीसी पर्यावरण ग्रुप रॉबिन डेस बोइस ने इसे 30 हजार टन का जहरीला पैकेज बताया.
युद्धपोत का इतिहास-
फ्रांस ने साओ पाउलो विमानवाहक पोत का निर्माण 1950 के दशक में किया था. फ्रांस की नौसेना ने इस विमान को 37 साल तक इस्तेमाल किया. 1960 के दशक में फ्रांस के पहले परमाणु परीक्षणों के दौरान इस युद्धपोत ने अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद 1970 से 1990 के दशक तक इसे अफ्रीका, मध्य पूर्व और पूर्व यूगोस्लाविया में नौसेना ने इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद फ्रांस ने इसे ब्राजील को बेच दिया. साल 2000 में ब्राजील ने इसे 12 मिलियन डॉलर में खरीदा था. साल 2005 में इस युद्धपोत में आग लग गई.
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