Justin Trudeau: जस्टिन ट्रूडो को क्यों देना पड़ा PM पद से इस्तीफा, इसका India-Canada संबंधों पर कैसे पड़ेगा असर, जानिए दोनों देशों के रिश्तों में क्या आएंगे अच्छे दिन

Justin Trudeau Resignation: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जितनी धमक के साथ सत्ता में आए थे, उतनी ही मायूसी के साथ उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा. आखिरी दिनों में सत्ता बचाने की उनकी हर कोशिश नाकाम साबित हुई. जानकारों का कहना है कि भारत के लिए ट्रूडो का तंग नजरिया, उनकी सबसे बड़ी सियासी गलती साबित हुआ.

Justin Trudeau (File Photo: PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:21 PM IST
  • ट्रूडो ने वोट बैंक के लिए भारत से कनाडा के रिश्तों को रख दिया था ताक पर 
  • पीएम की कुर्सी बचाने के लिए कनाडा को आतंकवादियों की बना दिया था शरणस्थली 

कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) को भारत (India) से पंगा लेना महंगा पड़ गया है. उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा है. इसके साथ ही ट्रूडो ने अपनी लिबरल पार्टी के शीर्ष नेता का पद भी छोड़ दिया है.

फिलहाल कनाडा में नए पीएम की चुनाव तक ट्रूडो कार्यवाहक पीएम रहेंगे. ट्रूडो के इस्तीफे के बाद कनाडा में सियासी उथल-पुथल मची हुई है. आइए जानते हैं इसका इंडिया के संबंधों पर कैसे असर पड़ेगा, क्या दोनों देशों के रिश्ते फिर से सुधरेंगे?

क्यों देना पड़ा इस्तीफा
जस्टिन ट्रूडो 11 साल पहले जितनी धमक के साथ सत्ता में आए थे, उतनी ही मायूसी के साथ उन्हें पीएम पद छोड़ना पड़ा. आखिरी दिनों में सत्ता बचाने की उनकी हर कोशिश नाकाम साबित हुई. जस्टिन ट्रडो के फैसले उन पर भारी पड़े और उनकी पार्टी में उनके खिलाफ तेज होती आवाजों ने ट्रूडो को पीएम पद से हटने पर मजबूर कर दिया. हाल ही में ट्रूडो की कैबिनेट के मंत्रियों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. सरकार में उनकी करीबी कही जाने वाली उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी इस्तीफा दे दिया था.

पीएम पद छोड़ने के ये भी रहे कारण 
कनाडा की बिगड़ती अर्थव्यवस्था ने भी जस्टिन ट्रूडो को पीएम पद छोड़ने को विवश किया. जानकारों का कहना है कि कुर्सी बचाने के लिए जिस तरह से ट्रूडो ने कनाडा को आतंकवादियों की शरणस्थली बनाया, वो भी उनके खिलाफ गया. यही नहीं ट्रूडो ने अपने वोट बैंक के लिए भारत से कनाडा के रिश्तों तक को ताक पर रख दिया. इसके बाद से ही ट्रूडो अपने देश और अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़ गए. जानकारों का कहना है कि भारत के लिए ट्रूडो का तंग नजरिया, उनकी सबसे बड़ी सियासी गलती साबित हुआ. इसके अलावा अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भी जस्टिन ट्रूडो को पीएम पद छोड़ने के लिए एक कारण बना.

आतंकी निज्जर की हत्या के बाद भारत पर लगाए अनाप-शनाप आरोप 
कनाडा की पॉलिटिक्स को करीब से जानने वालों का कहना है कि खालिस्तानी आतंकियों का जिस तरह ट्रूडो ने आंख बंद करके समर्थन किया, वो उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई. कहा तो ये भी जा रहा है कि हाल के सालों में अपनी गिरती साख को बचाने के लिए ट्रूडो ने कनाडा को कट्टरपंथियों के हवाले कर दिया और ये उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुआ.

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद ट्रूडो ने भारत पर अनाप-शनाप आरोप लगाए. भारत के खिलाफ ट्रूडो ने कनाडा की संसद तक में बेसिर पैर की बातें की. भारत की तरफ से ट्रूडो को जो भी सलाहें दी गईं जस्टिन ट्रूडो उसे बार-बार नजर अंदाज करते रहे. अपने इसी रवैये की वजह से ट्रूडो पहले अपनी पार्टी में अलग-थलग पड़ गए और न्यू डेमोक्रेटिग पार्टी के समर्थन वापस लेने पर ट्रूडो सरकार अल्पमत में गई.

कनाडा के नए निजाम पर है नजर
जस्टिन ट्रूडो को इस्तीफे की बाद अपने किए की अभी और सियासी सजा भुगतनी है. ट्रंप ने जिस तरह से उन्हें गवर्नर ट्रूडो कहकर उनकी खिल्ली उड़ाई है. उसके बाद ट्रूडो अपने देश में हंसी के पात्र बनकर रहे गए हैं. ट्रूडों की अप्रूवल रेटिंग सबसे निचले पायदान पर है. ऐसे में अब सबकी नजरें कनाडा में नए निजाम पर है. यदि वहां जल्द चुनाव की स्थिति बनी तो कनाडा में अगली सरकार कंजरवेटिव पार्टी की हो सकती है. यदि ऐसा हुआ तो कनाडा और भारत के रिश्तों के अच्छे दिन वापस आ सकते हैं.

नुकसान की भरपाई इतनी आसान नहीं 
फिलहाल कनाडा की पॉलिटिक्स में आने वाले दिनों में काफी कुछ होना है. मार्च में शुरू होने वाले सत्र में लिबरल पार्टी को सदन में विश्वास मत की अग्निपरीक्षा देनी है. उससे पहले ट्रूडो की जगह नए उत्तराधिकारी की तलाश करनी है. कनाडा की बिगड़ी छवि को फिर से सुधारने का प्रयास करना है क्योंकि गद्दी बचाने की जिद में ट्रूडो अपने मुल्क का जो नुकसान कर गए हैं, उसकी भरपाई इतनी आसान नहीं है.

क्या भारत से रिश्तों के अच्छे दिन आएंगे
ट्रूडो ने पिछले कुछ दिनों से उग्र होकर भारत के खिलाफ कई ऐसे निर्णय लिए जिसका भारत के साथ कनाडा का रिश्तों पर प्रभाव पड़ा. अब क्या ट्रडो के जाने से कुछ बदलने वाला है. क्या भारत से रिश्तों के अच्छे दिन आएंगे क्योंकि यदि कनाडा में सत्ता परिवर्तन हुआ तो वीजा नीति में बदलाव के आसार हैं. मतलब मौजूदा सख्त वीजा पॉलिसी में ढिलाई की संभावना होगी. इसके साथ ही भारत और कनाडा के रिश्तों में सुधार हो सकता है.

अभी 10 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग कनाडा के नागरिक हैं. गत चार सालों से कनाडा में भारतीयों की संख्या में कमी आई है जबकि ट्रूडो के जाने से कनाडा में फिर से भारतीयों के बढ़ने की उम्मीद है. आपको मालूम हो कि सियासत में आने से पहले शिक्षक रहे जस्टिन ट्रूडो फिल्म द ग्रेट वार में रोल भी कर चुके हैं. ट्रूडो ने साल 2008 में लिबरल पार्टी के साथ सियासी सफर शुरू किया. 2013 में लिबरल पार्टी की कमान ट्रूडो की सौंपी गई. इसके बाद ट्रूडो ने साल 2015 के चुनाव में 184 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

 

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