यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में पॉपुलर हॉलीवुड एक्ट्रेस मेरिल स्ट्रीप (Meryl Streep) ने अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर गंभीर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं से ज्यादा बिल्ली और गिलहरियों के पास आजादी है. मेरिल ने बताया कि तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से महिलाओं और लड़कियों पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं.
मेरिल स्ट्रीप का यह बयान सिर्फ एक भावनात्मक टिप्पणी नहीं है, बल्कि यह उस दर्दनाक वास्तविकता को दर्शाता है, जिसका सामना अफगान महिलाएं 2021 में तालिबान के फिर से सत्ता में आने के बाद से कर रही हैं. तालिबान के शासन में महिलाओं के बुनियादी अधिकारों को छीन लिया गया है. सार्वजनिक स्थानों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों तक, अफगानिस्तान में महिलाओं के ऊपर अलग-अलग नियम थोप दिए गए हैं.
तालिबान में लागू किया गया सबसे दमनकारी नियम महिलाओं की आवाजों को सार्वजनिक जगहों से प्रतिबंधित करना है. इसके मुताबिक, महिलाओं को अब सार्वजनिक रूप से बोलने या उन पुरुषों को सीधे देखने की अनुमति नहीं है, जो उनके खून के रिश्तेदार या पति नहीं हैं.
दमनकारी नीतियों की लंबी लिस्ट है
अफगान महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंध केवल उनकी आवाज़ों को चुप कराने तक सीमित नहीं हैं. तालिबान ने महिलाओं के पहनावे और आचरण को नियंत्रित करने वाले सख्त नियम भी लागू किए हैं. महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलते समय अपने चेहरे और शरीर को पूरी तरह से ढकना पड़ता है, इसमें केवल उनकी आंखें दिखाई देती हैं. अगर कोई इस ड्रेस कोड का उल्लंघन करता है तो उन्हें सजा दी जाती है.
इसके अलावा, अफगान महिलाओं और लड़कियों पर पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं. लड़कियों को माध्यमिक स्कूलों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश की अनुमति नहीं है. पब्लिक पार्क, जिम और स्पोर्ट्स क्लब भी उनके लिए बंद हैं.
बिल्लियां हैं आजाद, औरतें नहीं
मेरिल स्ट्रीप ने तुलना करते हुए कहा, "एक बिल्ली अपने दरवाजे पर बैठ सकती है और अपने चेहरे पर सूरज की किरणों को महसूस कर सकती है, वह पार्क में एक गिलहरी का पीछा कर सकती है. काबुल में एक पक्षी गा सकता है, लेकिन एक लड़की सार्वजनिक रूप से नहीं गा सकती."
काबुल में, जहां जानवर भी स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं और धूप का मजा ले सकते हैं, अफगान महिलाओं को छिपने के लिए मजबूर किया जाता है. वे सड़के, पार्क और सार्वजनिक स्थान, जो कभी उनके लिए खुले थे, अब उनसे छीन लिए गए हैं और उनकी जगह एक ऐसा दम घोंटने वाला तंत्र खड़ा कर दिया गया है, जो उन्हें जीवन की बुनियादी खुशियों और स्वतंत्रताओं से वंचित करता है.
तालिबान की प्रतिक्रिया
मेरिल स्ट्रीप की टिप्पणी के जवाब में, तालिबान ने स्वाभाविक रूप से अपनी नीतियों का बचाव किया है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि वे महिलाओं का मां, बहन, पत्नी के रूप में सम्मान करते हैं, लेकिन उन्होंने बिल्लियों से तुलना को खारिज कर दिया. बीबीसी को दिए इंटरव्यू में सुहैल ने कहा, "कोई भी उन अधिकारों से महिलाओं को वंचित नहीं कर सकता जो इस्लाम ने उन्हें दिए हैं.” उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं पर लगाए गए प्रतिबंध इस्लामी शरीयत कानून के अनुसार हैं.
अफगान लड़कियों की स्थिति
अफगानिस्तान में लड़कियों की स्थिति वयस्क महिलाओं की तुलना में और भी गंभीर है. तालिबान के आने के बाद से, लड़कियों को छठी कक्षा से आगे स्कूल जाने से बैन कर दिया गया है. साथ ही लड़कियों को कम उम्र में और जबरन शादी का सामना भी करना पड़ता है, जो तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से बढ़ गई है. कई परिवार, आर्थिक कठिनाइयों और तालिबान के डर से, अपनी बेटियों की कम उम्र में शादी कर देते हैं. इन लड़कियों को अक्सर इस मामले में कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता.