चांद के हिस्से पर कब्जा करना चाहता है चीन, जानिए क्या है अंतरिक्ष का नियम

चीन अपने स्पेस मिशन की आड़ में लगातार चांद के एक हिस्से पर अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है. नासा के एक अधिकारी ने इस बात की आशंका जताई है.

क्या है अंतरिक्ष का नियम
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST
  • अंतरिक्ष के नियम फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व की तरह काम करते हैं
  • संयुक्त राष्ट्र ने बनाए हैं औपचारिक नियम

चीन अपने स्पेस प्रोग्राम की आड़ में अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है. इंडो पैसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन की रिपोर्ट में नासा के एक अधिकारी के हवाले से जानकारी दी गई है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि  चीन अपने स्पेस प्रोग्राम का इस्तेमाल आर्थिक, सैन्य और तकनीकी ताकत को बढ़ाने के लिए कर रहा है. ऐसा करके चीन अमेरिका जैसी बड़ी ताकतों को चुनौती देना चाहता है.

नासा के एक अधिकारी बिल नेल्सन ने पॉलिटिको को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि चीन चांद के एक हिस्से पर साइंटिफिक रिसर्च फैसिलिटी बना रहा है. चीन बाद में इस इलाके पर कब्जा भी कर सकता है. ऐसी आशंका इसलिए भी है, क्योंकि अंतरिक्ष के नियम फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व की तरह काम करते हैं. तो चलिए जान लीजिए की अंतरिक्ष के नियम क्या हैं.

क्या कहते हैं अंतरिक्ष के नियम?
1967 में हुए संयुक्त राष्ट्र के आउटर स्पेस समझौते के मुताबिक अंतरिक्ष के किसी भी हिस्से पर कोई भी देश दावा नहीं कर सकता है. 1979 में हुआ संयुक्त राष्ट्र का चंद्रमा समझौता कहता है कि अंतरिक्ष का कमर्शियल इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. हालांकि अमेरिका, चीन और रूस ने इस पर साइन नहीं किए. 2020 में आर्टेमिस अकॉर्ड के तहत अमेरिका ने कई देशों के साथ समझौते किए थे. ताकि स्पेस को बेहतर तरीके से एक्सप्लोर करने पर जोर दिया जा सके. दिसंबर 2022 तक इसमें 23 देश अमेरिका के साथ जुड़े चुके हैं. रूस और चीन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं क्योंकि उनका तर्क है कि अमेरिका के पास अंतरिक्ष के नियम बनाने का कोई अधिकार नहीं है. यानी सीधे शब्दों में कहें तो संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिक्ष के लिए कुछ औपचारिक नियम जरूर बनाएं हैं, लेकिन सुपरपावर्स अपनी मनमर्जी कर रही हैं. वो जानती हैं कि अंतरिक्ष में जो सबसे पहले और पुख्ता तौर पर पहुंचेगा, वहां उसी का कंट्रोल होगा.

 

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