इस साल अगस्त में चीन द्वारा परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण लॉन्च ने अत्याधुनिक तकनीक के ऊपर सभी का ध्यान खींचा. इसे भारत समेत आधा दर्जन देशों ने गर्मजोशी के साथ अपनाया. विशेषज्ञ मानते हैं कि ये युद्ध का चेहरा बदलने की छमता रखता है. हाइपरसोनिक हथियार ध्वनि की गति से पांच गुना (लगभग 6,200 किमी प्रति घंटे) से भी तेज गति से यात्रा कर सकते हैं.
क्यों खास हैं हाइपरसोनिक मिसाइल ?
हाइपरसोनिक हथियारों के समर्थकों का कहना है कि पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में इस तकनीक के कई फायदे हैं. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलें अत्यधिक युद्धाभ्यास योग्य होती हैं क्योंकि वे इंजनों द्वारा संचालित होती हैं और कम ऊंचाई पर भी उड़ते हैं, जिससे उनका पता लगाना अधिक कठिन हो जाता है. दूसरी ओर बैलिस्टिक मिसाइलें अनुमानित प्रक्षेप पथ पर उड़ती हैं और इन्हें रोकना आसान होता है.
दो तरह की होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें
हाइपरसोनिक हथियारों की दो श्रेणियां हैं - क्रूज मिसाइल (इंजन द्वारा संचालित) और ग्लाइड वाहन (रॉकेट के माध्यम से ऊपरी वायुमंडल में लॉन्च किया जाता है, जहां से यह लक्ष्य तक नीचे जाता है).चीन ने हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन ले जाने वाला एक रॉकेट लॉन्च किया, जो कम-कक्षा वाले स्थान से उड़ान भरता था. यह अपने लक्ष्य की ओर मंडराने से पहले दुनिया का चक्कर लगाता है, हालांकि यह कथित तौर पर लगभग 30 किमी से चूक गया था.
नये हथियारों की दौड़
चीन आक्रामक रूप से प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है, जिसे वो संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ एक महत्वपूर्ण रक्षा के रूप में देख रहा है. यह परीक्षण अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आश्चर्य में डालने वाला था और इसके बाद से यूएस-चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. बीजिंग ने ताइवान के पास दक्षिण चीन सागर में और भारत के साथ अपनी सीमाओं पर सैन्य गतिविधि बढ़ा दी है.
ब्रह्मोस II
भारत ने सितंबर में स्वदेश निर्मित हाइपरसोनिक हथियार का परीक्षण किया था. भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद इस तरह की तकनीक का विकास और परीक्षण करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन का कहना है कि वह अगले पांच वर्षों में तीन और परीक्षण करने की योजना बना रहा है. भारत चीनी हाइपरसोनिक क्षमताओं के लिए एक निवारक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसके अलावा भारत रूस के सहयोग से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (ब्रह्मोस II)भी विकसित कर रहा है.
कई गुना ताकतवर है रूस का हाइपरसोनिक हथियार जिरकोन
रूस के हाइपरसोनिक हथियार, 3M22 Zircon Mach 6 तक की गति से उड़ते हैं और कम वायुमंडलीय-बैलिस्टिक प्रक्षेपवक्र पर उन्हें पारंपरिक मिसाइल-विरोधी रक्षा प्रणालियों को भेदने की क्षमता देते हैं. रूस ने जुलाई में मिसाइल का सफल परीक्षण किया था. जिरकोन तो इतना तेज है कि जैसे ये चलता है इसके सामने हवा का दबाव एक प्लाज्मा क्लाउड बना देता है, जो रेडियो तरंगों को अवशोषित करता है और इसे सक्रिय रडार सिस्टम से अदृश्य बना देता है. ये घटनाक्रम अमेरिका में चिंता का एक प्रमुख कारण हैं क्योंकि शायद इसकी वर्तमान चेतावनी प्रणाली हथियारों को आते हुए न देख पाए.
रूस के कारण चिंता में अमेरिका
अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एजिस मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम को हमलों को रोकने के लिए 8-10 सेकंड की आवश्यकता होती है. वहीं उस समय में जिरकोन 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है जबकि इंटरसेप्टर मिसाइल इतनी तेजी से उड़ान तक नहीं भर सकते है ताकि वह इसे पकड़ सकें. एक रूसी जिक्रोन मिसाइल को रोकने के लिए अमेरिका को या तो लॉन्च के समय इसे रोकना होगा या किसी ऑबजेक्ट को उसके रास्ते में उड़ाना होगा.
हाइपरसोनिक हथियारों की ओर रूस का बदलाव संभवतः आकार, प्रौद्योगिकी और विमान वाहकों की संख्या में अमेरिकन सुपीरियॉरिटी के साथ संघर्ष करने का एक साधन है. अमेरिकी नौसेना 12 परमाणु-संचालित विमान वाहकों की एक सेना बनाए रखने का इरादा रखती है.
लाखों डॉलर है हाइपरसोनिक मिसाइल की कीमत
लॉकहीड मार्टिन और रेथियॉन टेक्नोलॉजीज जैसी अमेरिकी हथियार निर्माण कंपनियां लगभग तीन दशकों से हाइपरसोनिक हथियार प्रौद्योगिकी विकसित कर रही हैं. हाइपरसोनिक अनुसंधान के लिए 2022 के वित्तीय वर्ष में पेंटागन का बजट अनुरोध 3.8 बिलियन डॉलर था, जो एक साल पहले के 3.2 बिलियन डॉलर से अधिक था. एक हाइपरसोनिक मिसाइल की कीमत अभी भी प्रति यूनिट लाखों डॉलर है. पेंटागन ने हाल ही में कहा था कि वह चाहता है कि रक्षा ठेकेदार हाइपरसोनिक हथियारों की लागत में कटौती करें. वर्तमान में अमेरिका दुश्मन के इलाके में हमला करने के लिए क्रूज मिसाइलों (प्रति यूनिट $ 5 मिलियन से कम लागत) का उपयोग करता है.