चीनी कंपनी कर रही भारत समेत कई देशों की जासूसी, I-Soon के लीक हुए दस्तावेजों में मिली ये जानकारी 

इस कंपनी ने कई लोगों की जासूसी की है. इसमें ना सिर्फ चीनी लोगों की जासूसी शामिल है बल्कि कई देशों जैसे भारत, नाइजीरिया, इंडोनेशिया और ब्रिटेन की सरकारों के नेटवर्क में भी सेंध लगाई. बता दें, आई-सून एक टेक कंपनी है. ये चीन के सरकारी प्रोजेक्ट के ठेके लेती है. 

System hacked
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST
  • कंपनी की टूलकिट भी शामिल है 
  • हैकिंग टूल के बारे में भी पता चला है 

एक चीनी साइबर सिक्योरिटी कंपनी का बड़ी मात्रा में डेटा ऑनलाइन लीक (Data Leak) हो गया है. आई सून (I-Soon) नाम की निजी कंपनी के इन दस्तावेजों से कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आईं. इन दस्तावेजों में दिखाई दिया है कि इस कंपनी ने कई लोगों की जासूसी की है. इसमें ना सिर्फ चीनी लोगों की जासूसी शामिल है बल्कि कई देशों जैसे भारत, नाइजीरिया, इंडोनेशिया और ब्रिटेन की सरकारों के नेटवर्क में भी सेंध लगाई. बता दें, आई-सून एक टेक कंपनी है. ये चीन के सरकारी प्रोजेक्ट के ठेके लेती है. 

चीन को देती है खुफिया जानकारी 

आई-सून, एक शंघाई-आधारित कंपनी है. ये चीन को खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, हैकिंग और दूसरी मॉनिटरिंग गतिविधियों का संचालन करने में मदद करती है. पिछले हफ्ते सॉफ्टवेयर और कोड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म GitHub पर 190 मेगाबाइट जानकारी पोस्ट की गई थी. लीक हुए दस्तावेजों की प्रामाणिकता अभी भी जांच के दायरे में है. 

अभी तक के दस्तावेजों में सामने आया है कि कम से कम 14 सरकारों, हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक संगठनों, विश्वविद्यालयों और यहां तक ​​​​कि नाटो के साथ समझौता करने में कंपनी की भागीदारी है. ये कंपनी चीन को साइबर जासूसी करने और हैकिंग ऑपरेशनों को अंजाम देने में मदद करती है. 

क्या है I-Soon कंपनी?

I-Soon कंपनी का कई सारी एजेंसियों और ऑर्गनाइजेशन के साथ कॉन्ट्रैक्ट है. इसमें चीन का सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय, राज्य सुरक्षा मंत्रालय और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी समेत कई पीआरसी एजेंसियां शामिल हैं. आई-सून 2010 में बनाई गई थी. इसकी ब्रांच बीजिंग के साथ-साथ सिचुआन, जियांग्सू और झेजियांग जैसे क्षेत्रों में है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने मंगोलिया, मलेशिया, अफगानिस्तान और थाईलैंड जैसे देशों के एयरलाइन, सेलुलर और सरकारी डेटा को हैक करने की बात भी कही है. 

कंपनी की टूलकिट भी शामिल है 

GitHub पर जो डेटा शेयर हुआ है उसमें ईमेल, फोटोज, कन्वर्सेशन और डॉक्यूमेंट का एक भंडार शामिल है. वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले आठ साल से विदेशी डेटा निकालने के लिए ये कंपनी काम कर रही है. कंपनी ने भारत, हांगकांग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, ताइवान और मलेशिया सहित कम से कम 20 देशों को टारगेट किया है. 

लीक हुए दस्तावेजों में आई-सून की पिछली गतिविधियों को प्रदर्शित करने वाला मार्केटिंग कंटेंट भी शामिल है. इनमें शिनजियांग में आतंकवाद विरोधी कार्य और पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी केंद्रों को टारगेट करना शामिल है. तकनीकी दस्तावेज में कंपनी की टूलकिट भी शामिल है. 

हैकिंग टूल के बारे में भी पता चला है 

एपी की रिपोर्ट के अनुसार, इन दस्तावेजों में एक्स (ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी को सर्च करने और फिर उसके ईमेल तक पहुंचने वाले हैकिंग टूल के बारे में भी पता चला है. बता दें, चीन में फ़िलहाल फेसबुक और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म बैन हैं. हालांकि, आई-सून और चीनी पुलिस लीक के पीछे के कारणों के बारे में पता कर रही है. 

हैकिंग कंपनी अपना पूरा है मेनू 

ये कंपनी एक तरह से हैकिंग करती है. इसके लिए अलग-अलग कीमतों पर सर्विस का एक मेनू भी पेश किया गया है. एपी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण पश्चिम चीन की एक स्थानीय सरकार ने वियतनाम में ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर पहुंचने के लिए 15,000 डॉलर का भुगतान किया था. $278,000 में चीनी ग्राहक टेलीग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों पर सोशल मीडिया अकाउंट के पीछे की प्राइवेट जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

 

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