ताइवान में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप आया है. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.5 आंकी गई है. इस भूकंप से ताइवान की राजधानी ताइपे करीब करीब-कांप उठी. कई इमारतों को भारी नुकसान हुआ है.सबसे बड़ी बात ये है कि इतने बड़े भूकंप के बाद भी यहां से किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई है. जो लोग इमारतों में फंसे हैं, उन्हे भी सुरक्षित निकाला जा रहा है. इस भूकंप को 25 सालों का सबसे भीषण भूकंप बताया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ये भूकंप इतना जबरदस्त था, जिसके झटके चीन के शंघाई तक महसूस किए गए. वहीं फिलीपींस और जापान में सुनामी का अलर्ट जारी किया गया है. आखिर बड़े भूकंप के बाद भी खुद को जापान और ताइवान जैसे देश कैसे संभाल लेते हैं ? चलिए समझते हैं.
महीने में करीब 10 बार भूकंप से होता है सामना
ताइवान और जापान ऐसे भूभाग पर बसे हैं जहां धरती की सबसे अशांत टिक्टोनिक प्लेट हैं. इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से ताइवान और जापान में समय समय पर भूकंप आते रहते हैं. ये दोनों ही देश महीने में 10 बार भूकंप की झटके झेलते हैं. लिहाजा इन देशों ने खुद को भूकंप के हिसाब से ढाल लिया है. भूकंप के खिलाफ इन देशों की तैयारी बड़ी पुख्ता है. यहां की मेट्रोलॉजिकल एजेंसी हर पल भूकंप मॉनिटर करती रहती है.
जगह-जगह लगाए गए हैं भूकंप मापक यंत्र
जापान और ताइवान में भूकंप से बचने के लिए अपने सिस्टम को लगातार मजबूत किया है. केवल तीन मिनट के भीतर ही भूकंप की चेतावनी यहां पूरे देश में जारी कर दी जाती है. भूकंप की जानकारी के लिए जगह जगह भूकंप मापने वाले यंत्र लगाए गए हैं. भूकंप की जानकारी मिलते ही भूकंप प्रभावित इलाकों में लाउडस्पीकर की मदद से जानकारी पहुंचा दी जाती है. भूकंप से बचने के लिए लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है. देश भर में सरकारी एजेंसियां समय समय पर लोगों को आपदा प्रबंधन के नए नए तरीके सिखाती रहती हैं.
प्राइमरी कक्षा में ही बच्चों को भूकंप के बारे में दी जाती है ट्रेनिंग
इन देशों में बच्चे भी जानते हैं कि भूकंप से बचने के लिए क्या करना है. प्राइमरी कक्षा में ही बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है और ये ट्रेनिंग प्राइमरी स्तर पर अनिवार्य है.स्कूलों में बच्चों को भूकंप के समय किस तरह, कहां छिपना है और खुद को बचाना है, सिखाया जाता है. छोटे छोटे बच्चों को मॉक ड्रिल के दौरान स्कूल और इमारतों से निकलने के तरीके बताए जाते हैं.
घर बनाने में किया जाता है नई तकनीक का इस्तेमाल
भूकंप आने पर सबसे ज्यादा प्रभाव इमारत की नींव पर पड़ती है. लिहाजा इमारत बनाने के लिए ये देश नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. भूकंप के बड़े झटके आने पर भी इमारत न गिरे ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं भूकंप से बचाने वाली इमारत बनाने के लिए ईंटों और सीमेंट की नींव यहां नहीं बनाई जाती. इसके अलावा ट्रेन में मौजूद लोगों को बचाना के लिए भूकंप मापने वाले यंत्र लगाए गए हैं. ट्रेन में लगे सेंसर भूकंपीय तरंगों और गतिविधियों पर निगरानी रखते है. और जानकारी मिलते ही ट्रेन में तुरंत ब्रेक लग जाते हैं और ट्रेन भूकंप आने से पहले ही पूरी तरह से रुक जाती है. इतना ही नहीं इन देशों में ऐसी सुरक्षा व्यवस्थाएं भी की गई है जिससे भूकंप की वजह से ट्रेन पटरी से ना उतर सके.