Davos Summit 2023: दावोस शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं का आज से लग रहा जमावड़ा, जानिए मुद्दे और वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के बारे में

स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में हो रहे विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत सहित दुनिया भर के प्रमुख नेता और कारोबारी पहुंच चुके हैं. सम्मेल 20 जनवरी 2023 तक चलेगा. इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.

विश्व आर्थिक मंच.
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST
  • 50 शासनाध्यक्षों एवं राष्ट्राध्यक्षों के शामिल होने की उम्मीद
  • 20 जनवरी 2023 तक चलेगा सम्मेलन

स्विट्जरलैंड की बर्फीली वादियों वाले शहर दावोस में सोमवार से वैश्विक नेताओं का सम्मेलन शुरू हो रहा है, जो 20 जनवरी तक चलेगा. इसमें भारत के लगभग सौ सदस्यों समेत दुनिया के हजारों प्रतिधिनिध भाग लेंगे. वे लोग 'विभाजित दुनिया में सहयोग' के विषय पर चर्चा करेंगे. कोरोना महामारी के बाद वैश्विक प्रतिनिधियों का यह सबसे बड़ा सम्मेलन हो रहा है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की पिछली वार्षिक बैठक सामान्य प्रचलन से हटकर गत वर्ष मई में आयोजित करनी पड़ी थी. दावोस शिखर सम्मेलन आमतौर पर जनवरी में आयोजित होता रहा है.

डब्ल्यूईएफ ने कहा कि दावोस में होने वाली उसकी वार्षिक बैठक में दुनियाभर के नेताओं से आर्थिक, ऊर्जा और खाद्यान संकट के मुद्दे उठाने और मजबूत दुनिया के लिए जमीनी स्तर पर काम करने का आह्वान किया गया है. डब्ल्यूईएफ ने इस बैठक में एशियाई देशों में से खासकर जापान, चीन जैसे देशों की महत्वपूर्ण भागीदारी की उम्मीद जताई है.

भारत के ये मंत्री और कारोबारी हो रहे शामिल
भारत की तरफ से इसमें चार केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया, अश्विनी वैष्णव, स्मृति इरानी और आरके सिंह के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शामिल हो रहे हैं. कई अधिकारी और उद्यमी भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल में मौजूद होंगे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कर्नाटक के बासवराज बोम्मई भी सम्मेलन में जाने वाले थे, लेकिन अब उनके भाग लेने की संभावना नहीं है. राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा, तेलंगाना के मंत्री केटी रामाराव और तमिलनाडु के मंत्री थंगम थेनारासु दावोस पहुंच चुके हैं. कारोबारी जगत के दिग्गजों में गौतम अदाणी, संजीव बजाज, कुमार मंगलम बिड़ला, एन चंद्रशेखरन, नादिर गोदरेज, सज्जन जिंदल, सुनील मित्तल, रोशनी नादर मल्होत्रा, नंदन नीलेकणि, अदार पूनावाला, रिषद प्रेमजी के बैठक में शामिल होने की संभावना है.

कब बनाया गया वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम 
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम या विश्व आर्थिक मंच की स्थापना वर्ष 1971 में जिनेवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब के द्वारा यूरोपियन मैनेजमेंट के नाम से की गई थी. वर्ष 1987 में इसका नाम यूरोपियन मैनेजमेंट से बदल कर वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (विश्व आर्थिक फ़ॉरम) कर दिया गया. वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की बैठक का आयोजन प्रतिवर्ष जनवरी में किया जाता है.

मंच पर क्षेत्रीय मुद्दों को भी उठाया जाता है
विश्व आर्थिक मंच निजी और सार्वजनिक सहयोग के लिए काम करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इस मंच पर प्रसिद्ध नेता, उद्योगपति और समाज को आकार देने वाले सांस्कृतिक नेताओं को जगह दी जाती है. इसके अलावा मंच पर क्षेत्रीय और उद्योग से जुड़े मुद्दों को भी उठाया जाता है.

फोरम का उद्देश्य
फोरम का एकमात्र उद्देश्य विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों के प्रमुखों को एक साथ लाकर औद्योगिक दिशा तय करना है. मंच की कोशिश रहती कि सभी तरह के प्रयास में नैतिक और बौद्धिक अखंडता का पूरा सम्मान हो. WEF ने अपने साइट पर संस्था के मिशन का जिक्र करते हुए लिखा है कि हमारे कामकाज का मुख्य उद्देश्य स्टेक होल्डर कल्चर पर अलग तरीके की संस्थागत संस्कृति  स्थापित करना है. संस्था का उद्देशय समाज के उन सभी लोगों को साथ लेकर चलने और उनकी बातों पर चर्चा के लिए है जो समाज और दुनिया के बदलाव में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं.

अन्य मंचों से अलग कैसे ?  
फोरम का दावा है कि वो सार्वजनिक और निजी सेक्टर्स के बीच एंकर की भूमिका निभाता है. यानी विचारों के आदान-प्रदान का कार्य करता है. इस मंच पर बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री और नीति निर्माता, एक्सपर्ट्स, शैक्षणिक लोग, अंतरराष्ट्रीय संस्थान, युवा, तकनीक अन्वेषक (खोजने वाले) और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों को जगह दी जाती है. WEF अपने अलग होने का दावा करते हुए कहता है कि वो अलग है क्योंकि वो विश्व की तरक्की के लिए निष्पक्ष होकर सोचता है. वह दुनिया का ध्यान सभी तरह के वैश्विक मुद्दों की तरफ आकर्षित करता है.  

 

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