NATO का मेंबर बनने के लिए अप्लाई करेगा फिनलैंड, रूस ने दी है बर्बाद करने की धमकी

फिनलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर स्टब्बो, जिन्होंने 2014 से लेकर 2015 तक फिनलैंड की सत्ता संभाली है, उन्होंने आज एक बयान में कहा कि फिनलैंड मई में नाटो में अप्लाई कर देगा.

फिनलैंड
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST
  • फिनलैंड नहीं करता सीधी दुश्मनी
  • मई में नाटो से जुड़ सकता है फिनलैंड

यूक्रेन के बाद यूरोपीय देश फिनलैंड भी अब रूस के दुश्मनी लेने की कगार पर आ खड़ा है. हालांकि रूस लगातार फिनलैंड पर नाटो में जानें के लिए सतर्क कर रहा है, लेकिन फिनलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री ने आज एक बयान में कहा है कि फिनलैंड जल्द ही नाटो के लिए अप्लाई करेगा. जबकि रूस लगातार फिनलैंड को बर्बादी की धमकी दे रहा है. 

फिनलैंड नहीं करता सीधी दुश्मनी
फरवरी में यूक्रेन पर हुए रूस के हमले के बाद से फिनलैंड की मीडिया ने एक ओपिनियन पोल जारी किया था. इस पोल में जनता ने अपनी राय देते हुए नाटो को ज्वाइन करने के पक्ष में वोट किया है. फिनलैंड ने कभी भी किसी देश से सीधी दुश्मनी नहीं रखी है. यहां तक की दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान भी फिनलैंड ने किसी का पक्ष नहीं लिया था. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से फिनलैंड ने पूर्व और पश्चिम के बीच तनाव रोकने की कोशिशें करता रहा है. 

मई में नाटो से जुड़ सकता है फिनलैंड
फिनलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर स्टब्बो, जिन्होंने 2014 से लेकर 2015 तक फिनलैंड की सत्ता संभाली है, उन्होंने आज एक बयान में कहा कि फिनलैंड मई में नाटो में अप्लाई कर देगा. उन्होंने कहा कि, "मैंने इस युद्ध की शुरुआत में ही कहा था, पुतिन के ये तेवर फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में अप्लाई करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं." 

रूस लगातार फिनलैंड को दे रहा है धमकी
वहीं रूसी सांसद व्लादिमीर व्लादिमीर दज़बारोव ने फिनलैंड को धमकी देते हुए कहा थी कि, "फिनलैंड अपने तबाही पर खुद ही दस्तखत कर रहा है." उन्होंने फिनलैंड को यूक्रेन का उदाहरण देते हुए भी समझाया. इससे पहले भी पुतिन ने फिनलैंड को धमकी देते हुए कहा था कि, "अगर फिनलैंड नाटो में अप्लाई करने के बारे में सोच भी रहा है तो ये उसके लिए बहुत बड़े खतरे का कारण भी हो सकता है."

क्या है एक्सपर्ट की राय
वहीं नॉर्डिक देशों के विदेशी एक्सपर्ट कार्ल बरगक्विस्ट का कहना है कि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान फिनलैंड दो चीजों का आभास हो गया था, पहला ये कि, चारों तरफ से कई देशों से घिरे होने के कारण युद्ध की स्थिति में फिनलैंड किसी बाहरी देश से मदद नहीं से सकता है. दूसरा ये कि फिनलैंड को रूस और सोवियत संघ में से किसी एक के इशारों पर चलना होगा. 

 

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