प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा (9 और 10 जुलाई) पर ऑस्ट्रिया में हैं. यह चार दशकों में पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री ऑस्ट्रिया के दौरे पर है. इस साल नई दिल्ली और वियना के राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं. पीएम मोदी के ऑस्ट्रियाई दौरे से पहले चांसलर कार्ल नेहमर ने 'एक्स' पर पोस्ट किया था कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का वियना में स्वागत करने के लिए बहुत उत्सुक हैं. ऑस्ट्रियाई चांसलर ने लिखा, "हमें अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने और कई भू-राजनीतिक चुनौतियों पर करीबी सहयोग के बारे में बात करने का अवसर मिलेगा."
क्यों महत्वपूर्ण है पीएम मोदी की ऑस्ट्रिया यात्रा
अक्टूबर 2021 में मोदी ने ग्लासगो में COP26 के मौके पर तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई चांसलर अलेक्जेंडर शालेनबर्ग - जो अब विदेश मंत्री हैं - से मुलाकात की. मोदी ने 2017 में सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम के मौके पर सेंट पीटर्सबर्ग में तत्कालीन ऑस्ट्रियाई चांसलर क्रिश्चियन केर्न के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी. अब प्रधानमंत्री ऑस्ट्रिया के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन से मिलने वाले हैं.
पीएम मोदी चांसलर कार्ल नेहमर के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी करेंगे. मोदी भारत और ऑस्ट्रिया के बिजनेस लीडर्स से मुलाकात करेंगे. वह वियना में भारतीय प्रवासियों से भी बातचीत करेंगे. इस यात्रा से भारत और ऑस्ट्रिया के संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीद है. यह यात्रा भारत और ऑस्ट्रिया के आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों को संबोधित करने में मदद करने के साथ-साथ हमारी साझेदारी के दायरे को व्यापक बनाने में मदद करेगी.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि ऑस्ट्रिया मध्य यूरोप का एक प्रमुख देश है, उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रिया इंफ्रास्ट्रक्टर, रिन्यूएबल एनर्जी, हाई टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के अवसर दे है. ऑस्ट्रिया बहुत ही महत्वपूर्ण यूरोपीय देश है, जो अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO), ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), और यूरोप में सहयोग और सुरक्षा संगठन (OSCE) का मुख्यालय है.
आपको बता दें कि पीएम मोदी की यह यात्रा फरवरी में भारत-ऑस्ट्रिया स्टार्टअप ब्रिज के लॉन्च होने के कुछ महीनों बाद हो रही है. इस पहल का उद्देश्य दोनों देशों में स्टार्टअप्स के बीच सहयोग और नॉलेज शेयरिंग को बढ़ावा देना है. फरवरी 2024 में, दोनों देशों के बीच "स्टार्टर ब्रिज" नामक यह नई पहल शुरू की गई थी और इसके सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं. दोनों देशों के निवेश संबंध भी बढ़ रहे हैं. कई ऑस्ट्रियाई कंपनियों ने भारत में निवेश किया है.
पहले इन भारतीयों ने की है ऑस्ट्रिया की यात्रा
ऑस्ट्रिया ने 1947 में भारत की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी. भारत और ऑस्ट्रिया ने 1949 में राजनयिक संबंध स्थापित किए. 1955 में तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया. आपको बता दें कि नेहरू के सबसे प्रबल वैश्विक प्रशंसकों में से एक ब्रूनो क्रेस्की थे, जो 1970-83 के दौरान ऑस्ट्रिया के चांसलर रहे. 1980 में ब्रूनो क्रेस्की ने भारत का दौरा किया था. उस यात्रा के बाद 1983 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया.
इंदिरा की 1983 की यात्रा के बाद 1984 में तत्कालीन चांसलर फ्रेड सिनोवाट्ज़ की यात्रा हुई. हालांकि, इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद से भारत से कोई प्रधानमंत्री लेवल का दौरा नहीं हुआ है, लेकिन ऑस्ट्रिया में राष्ट्रपति लेवल की कई यात्राएं हुई हैं. तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर नारायणन ने 1999 में ऑस्ट्रिया का दौरा किया; 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति हेंज फिशर ने भारत का दौरा किया; 2010 में तत्कालीन ऑस्ट्रियाई कुलपति जोसेफ प्रोल ने; और विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर मौजूद प्रोफ़ाइल के अनुसार, 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने ऑस्ट्रिया का दौरा किया था.
दोनों देशों के बीच है ट्रेड और कल्चरल रिलेशन
बताया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार धीरे-धीरे बढ़ रहा है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, 2023 में भारत और ऑस्ट्रिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2.93 बिलियन डॉलर रहा. भारत ऑस्ट्रिया को इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, परिधान, जूते और रसायन निर्यात करता है. इस बीच, वियना भारत को मशीनरी, ऑटोमोटिव पार्ट्स और रसायन भेजता है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 31 दिसंबर, 2022 से 3 जनवरी, 2023 तक ऑस्ट्रिया का दौरा किया था. यात्रा के दौरान, उन्होंने ऑस्ट्रियाई संघीय राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वान डेर बेलेन, चांसलर कार्ल नेहमर और राष्ट्रीय परिषद के अध्यक्ष वोल्फगैंग सोबोटका से मुलाकात की थी. जून 2023 के द्विपक्षीय संबंध प्रोफ़ाइल के अनुसार, यात्रा के दौरान पांच समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए थे.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, भारत और ऑस्ट्रिया के बीच 16वीं शताब्दी से ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान रहा है. विदेश मंत्रालय की वेबसाइट में कहा गया है कि भारत के दार्शनिक-कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की दो बार वियना यात्रा की – 1921 और 1926 में. उनकी यात्रा भारत और ऑस्ट्रिया के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान का ब्रिज थी.
ऑस्ट्रिया में रहते हैं 31000 भारतीय
ऑस्ट्रिया अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत के लिए जाना जाता है, जबकि वियना आर्केस्ट्रा संगीत और प्रसिद्ध संगीतकारों की विरासत के लिए प्रसिद्ध है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, लगभग 31,000 भारतीय ऑस्ट्रिया में रह रहे हैं - उनमें से ज्यादातर केरल और पंजाब से हैं. भारतीय प्रवासियों में मुख्य रूप से हेल्थकेयर सेक्टर और बहुपक्षीय संयुक्त राष्ट्र निकायों में काम करने वाले प्रोफेशनल, बिजनेसमैन और सेल्फ-एम्पलॉयड लोग शामिल हैं.
वे NRIs और POIs के बीच लगभग समान रूप से बंटे हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि 500 से ज्यादा भारतीय छात्र ऑस्ट्रिया में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. भारतीय प्रवासियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी ऑस्ट्रिया यात्रा पर खुशी व्यक्त की है और कहा है कि यह गर्व की बात है कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री 40 साल बाद देश का दौरा कर रहा है.