Explainer: क्या है तीस्ता नदी विवाद, जिसको लेकर बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत से की है अपील

Teesta River Dispute: तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर बांग्लादेश पिछले कई समय से मांग कर रहा है. इस नदी के पानी से लाखों बांग्लादेश वासियों की आजीविका जुड़ी हुई है. अब भारत दौरे पर आईं बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh hasina) ने भी इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने भारत से अपील की है कि दोनों देशों को मिलकर इस मामले को जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी सुलझा लेना चाहिए.

Tista River Dispute
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST
  • पश्चिम बंगाल सीएम ने किया था इसका विरोध 
  • तीस्ता के पानी के बंटवारे से जुड़ी है लोगों की आजीविका 

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) 5 सितंबर से 8 सितंबर तक भारत के दौैरे पर हैं. ऐसे में न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने भारत को अपना ‘ट्रस्टेड फ्रेंड’ (Trusted Friend) बताया है. इसके साथ उन्होंने पिछले कई समय से चल रहे तीस्ता नदी विवाद (Teesta River Dispute) का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस विवाद को भारत और बांग्लादेश जितनी जल्दी हो उतनी जल्दी सुलझा लें तो बेहतर होगा क्योंकि इससे बांग्लादेश वासियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

शेख हसीना ने कहा, “हम नीचे की ओर हैं, पानी भारत से आ रहा है. इसलिए भारत को और उदारता दिखानी चाहिए. इससे दोनों देशों को फायदा होगा. कभी-कभी तीस्ता नदी से हमारे लोगों को बहुत नुकसान होता है. यह लंबे समय से चली आ रही समस्या है और इसका समाधान किया जाना चाहिए."

क्या है तीस्ता नदी विवाद?

दरअसल, तीस्ता कांग्से ग्लेशियर से निकलने वाली तीस्ता नदी बांग्लादेश में एंट्री करने से पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होते हुए गुजरती है. इसके बाद असम में जाकर ब्रह्मपुत्र नदी में इसका विलय हो जाता है. तीस्ता नदी विवाद हाल का नहीं है बल्कि यह काफी समय से चला आ रहा है. ये तबसे चल रहा है जब तीस्ता के जलग्रहण क्षेत्रों को भारत को बांटा गया था. 1972 में भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग की स्थापना हुई थी. इसके बाद साल 1983 में तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे पर एक एड-होक व्यवस्था की गई, जिसमें भारत को 39 प्रतिशत पानी और बांग्लादेश को 36 प्रतिशत पानी मिला. 

1996 में गंगा जल संधि के खत्म होने के बाद तीस्ता नदी का मुद्दा दोनों देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया. हालांकि, नदी के पानी के बंटवारे पर भारत और बांग्लादेश के बीच बातचीत बहुत पहले ही शुरू हो गई थी, लेकिन इसमें ज्यादा कुछ प्रगति नहीं हो पाई. 

पश्चिम बंगाल सीएम ने किया था इसका विरोध 

साल 2011 में, भारत ने 37.5 प्रतिशत तीस्ता नदी का पानी साझा करने के लिए सहमति बनाई. इसमें ये भी फैसला हुआ कि भारत दिसंबर और मार्च के बीच, कमजोर मौसम के दौरान 42.5 प्रतिशत पानी वाले सिस्टम को बरकरार रखेगा. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका जमकर विरोध किया, जिसके कारण ये संधि कभी नहीं हो पाई. हालांकि इसमें ममता बनर्जी का कहना है कि इस संधि से पश्चिम बंगाल का उत्तरी क्षेत्र सूखे के ग्रस्त हो जाएगा. ऐसे में सीएम ममता बनर्जी ने तोरसा नदी, जो सिक्किम और बांग्लादेश के काफी करीब है, के पानी को साझा करने की बात कही है. 

तीस्ता के पानी के बंटवारे से जुड़ी है लोगों की आजीविका 

तीस्ता के पानी के बंटवारे की बांग्लादेश की लंबे समय से मांग रही है क्योंकि नदी के पानी से लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है. ये नदी बांग्लादेश के करीब 2800 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है. इसके अलावा, सिक्किम में तीस्ता के साथ बांधों के निरंतर निर्माण के परिणामस्वरूप बांग्लादेश को परेशानी उठानी पड़ रही है. चूंकि बांग्लादेश एक निचला तटवर्ती देश है, तो स्वाभाविक है कि ट्रांस बाउंड्री नदी के मुद्दों के बारे में यह काफी संवेदनशील है. ऐसे में माना जा रहा है कि तीस्ता नदी के पानी का बंटवारा भारत-बांग्लादेश के संबंधों को और बेहतर कर सकता है. 


 
 

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