मेटा के सीईओ और फाउंडर मार्क जुकरबर्ग को आज पूरी दुनिया जानती है. दुनिया को फेसबुक जैसा प्लेटफॉर्म देने वाले मार्क जुकरबर्ग का जन्म 14 मई 1984 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित डाब्स फेरी में हुआ था.
प्यार से लोग बुलाते हैं मार्क
मार्क जुकरबर्ग का पूरा नाम मार्क इलिएट जुकरबर्ग है, लेकिन लोग उन्हें प्यार से मार्क बुलाते हैं. कंपनी के साथी Zuck निक नेम का इस्तेमाल करते हैं. मार्क के पिता का नाम एडवर्ड जुकरबर्ग और माता का नाम करेन केंपर है. मार्क के पिता डेंटिस्ट और माता साइकेट्रिस्ट हैं. मार्क अपने परिवार में अकेले लड़के हैं और उनकी तीन बड़ी बहने हैं, जिनका नाम रेंडी, डोना और अरील्ले हैं. आइए मार्क के जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में जानते हैं.
16 साल की उम्र में म्यूजिक ऐप बनाया था
जुकरबर्ग ने 20 साल की उम्र में फेसबुक की शुरुआत की थी, लेकिन यह उनका पहला एक्सपेरिमेंट नहीं था. इससे पहले वे 12 साल की उम्र में पिता की क्लिनिक के लिए मैसेजिंग प्रोग्राम और 16 साल की उम्र में हाईस्कूल के प्रोजेक्ट के तौर पर म्यूजिक ऐप बना चुके थे. जकरबर्ग ने 12 साल की उम्र में इंस्टैंट मैसेजिंग प्रोग्राम बनाया था. इसे वे जकनेट कहते थे. उनके डेंटिस्ट पिता इसका उपयोग अपने क्लिनिक पर करते थे. जब भी कोई पेशेंट क्लिनिक पर आता था, तो रिसेप्शनिस्ट आवाज लगाने की बजाय इस मैसेजिंग प्रोग्राम से डॉक्टर को सूचना देती थी.
माइक्रोसॉफ्ट से आया था जॉब ऑफर
जुकरबर्ग ने न्यू हैम्पशायर स्थित फिलिप्स एक्जेटर एकेडमी में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान साल 2000 में अपने दोस्तों के साथ एक म्यूजिक ऐप सिनाप्स मीडिया प्लेयर बनाया था. माइक्रोसॉफ्ट और एओएल जैसी बड़ी कंपनियों ने उन्हें इसके बदले 10 लाख डॉलर ऑफर किए थे. दोनों ही कंपनियां उन्हें हायर भी करना चाहती थीं, लेकिन जुकरबर्ग ने नौकरी की जगह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई को तरजीह दी. हाईस्कूल के दौरान ही उन्होंने कई कंपनियों के जॉब ऑफर ठुकराए थे.
20 साल की उम्र में फेसबुक शुरू की
मार्क जुकरबर्ग ने अपने तीन दोस्तों डस्टिन मोस्कोविट्ज, क्रिस ह्यूज और एडुआर्डो सेवेरिन के साथ फेसबुक की शुरुआत की. उस वक्त नाम द फेसबुक रखा गया. इसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए 4 फरवरी 2004 को लॉन्च किया गया. कुछ ही समय में इसकी पहुंच अमेरिका के कई कॉलेजों में हो गई. जुकरबर्ग ने फेसबुक को आगे बढ़ाने के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी छोड़कर कैलिफॉर्निया के पालो अल्टो में किराए का घर लिया. इसी दौरान पेपाल के को-फाउंडर पीटर थील ने फेसबुक में 355 करोड़ रुपए का निवेश किया. दिसंबर 2004 तक फेसबुक का एक्टिव यूजर बेस 10 लाख के पार पहुंच गया.
पिता ने C++ की किताब तोहफे में दी थी
मार्क जुकरबर्ग को बचपन से ही कंप्यूटर का बहुत शौक था. मार्क को उनके पिता ने C++ की किताब तोहफे के रूप में दी थी. आपको बता दें कि C++ कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है. 2010 में मार्क जुकरबर्ग को टाइम मैग्जीन ने पर्सन ऑफ द ईयर और फोर्ब्स ने दुनिया के शक्तिशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था. आज की तारीख में फेसबुक के साथ 2.6 बिलियन से अधिक यूजर्स जुड़े हैं.
फेसबुक का रंग नीला क्यों?
मार्क जुकरबर्ग कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं. वह लाल और हरे रंग को नहीं देख पाते हैं. यही वजह है कि फेसबुक का का रंग नीला है. कहा जाता है कि जुकरबर्ग के पास 12 लोगों की एक टीम है जो उनके फेसबुक पेज को संभालती है. वही लोग उनके लिए पोस्ट लिखते हैं, फोटोग्राफ लेकर पोस्ट करते हैं और पोस्ट पर आए कॉमेंट्स पर नजर रखते हैं.
पैसा ही सबकुछ नहीं
जुकरबर्ग के मुताबिक उनके लिए पैसा ही सबकुछ नहीं है. इसकी एक झलक उस वक्त देखने को मिली, जब फेसबुक को 1 बिलियन डॉलर में खरीदने का ऑफर मिला. लेकिन जुकरबर्ग ने उस ऑफर को ठुकरा दिया था. यह ऑफर Yahoo! के सीईओ की ओर से मिला था. जुकेरबर्ग ने साल 2004 में कहा था कि फेसबुक उनका ब्रेन चाइल्ड है, जिसे वो दौड़ते हुए और आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं. ऐसे में फेसबुक की एवज में उनके लिए पैसा कोई महत्व नहीं रखता है. कहा जाता है कि जुकरबर्ग एक और डेढ़ घंटे में 2.2 मिलियन डॉलर कमाई कर लेते हैं. साल 2018 में फेसबुक पर यूजर्स का डेटा ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका को बेचने का आरोप लगा. मामला काफी गंभीर था, ऐसे में जुकरबर्ग ने सभी के सामने आकर माफी मांगी.
जुकरबर्ग को अक्सर एक ही जैसे कपड़ों में देखा जाता है
जुकरबर्ग को अक्सर एक ही जैसे कपड़ों में देखा जाता है. जुकरबर्ग चाहे ऑफिस में हों या बिल गेट्स जैसे अरबपति के साथ मीटिंग में, वे अक्सर ग्रे या डार्क ग्रे कलर की टी-शर्ट पहने दिखते हैं. काफी कम मौके होते हैं, जब उन्हें कुछ अलग कपड़ों में देखा गया हो. जुकरबर्ग के पास एक ही जैसी कई टी-शर्ट्स हैं. एक इंटरव्यू में जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में इन छोटी-छोटी बातों के लिए समय नहीं है. अगर आप अपने कपड़े या सुबह के नाश्ते जैसी छोटी चीज के बारे में भी सोचते हैं तो आप अपनी एनर्जी वेस्ट कर रहे होते हैं.