Donald Trump and Criminal Cases: डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चल रहे चार क्रिमिनल केस, उनके राष्ट्रपति बनने के बाद इन मामलों का क्या होगा?

ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान फेडरल मामलों के प्रभाव को कम कर सकते हैं या उन्हें रोक सकते हैं, जैसे कि स्पेशल प्रासीक्यूटर को बर्खास्त करके या लीगल डिपार्टमेंट में प्राथमिकताओं को बदलकर. हालांकि, राज्य स्तर के मामले ऐसे ही रहेंगे, और ये उनके लिए बड़ी कानूनी चुनौतियां पेश कर सकते हैं.

Donald Trump and Criminal Cases
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • राज्य स्तर के मामले हैं अलग
  • क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट से जुड़ा है एक मामला

अमेरिका ने अपने 47वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को चुना है. राष्ट्रपति बनने के साथ ट्रंप के पास कई शक्तियां भी आएंगी. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि ट्रंप पर जो क्रिमिनल केस चल रहे हैं आखिर उनका क्या होगा? ट्रंप पहले ऐसे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन पर आपराधिक आरोप लगे हैं. इनमें 2020 के चुनाव को पलटने के प्रयास, क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट से जुड़ा केस और एक्ट्रेस स्टॉर्मी डेनियल्स को हश मनी देना शामिल है. 

ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप कुछ मामलों में अपनी कार्यकारी शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं. इससे उनके खिलाफ चल रहे फेडरल मामलों को रोकने के रास्ते खुल चुके हैं. लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप अपने अधिकार का इस्तेमाल करके इन मामलों में दखल दे सकते हैं या उन्हें बंद भी करवा सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार के मुखिया के रूप में उनके पास सभी एजेंसियों का कंट्रोल होगा, और वे ऐसे अधिकारियों को नियुक्त कर सकते हैं जो इन मामलों को प्राथमिकता न दें या इन्हें खारिज कर दें.

राज्य स्तर के मामले हैं अलग
हालांकि, राज्य स्तर के मामले अलग हैं. ये व्यक्तिगत राज्यों की शक्ति के अंतर्गत आते हैं, न कि फ़ेडरल गोवेर्मेंट के. इसका मतलब है कि ट्रंप भले ही राष्ट्रपति बनने वाले हैं, लेकिन उनके पास राज्य स्तर पर चल रहे कानूनी मामलों में उतना प्रभाव नहीं है. उदाहरण के लिए, अगर कोई स्टेट प्रासीक्यूटर उनके खिलाफ मामला चला रहा है, तो ट्रंप के पास उस मामले को रोकने या उस पर सीधे प्रभाव डालने का अधिकार नहीं होगा, सिर्फ इसलिए कि वे राष्ट्रपति हैं.

आसान भाषा में समझें, तो इसका मतलब यह है कि ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान फेडरल मामलों के प्रभाव को कम कर सकते हैं या उन्हें रोक सकते हैं, जैसे कि स्पेशल प्रासीक्यूटर को बर्खास्त करके या लीगल डिपार्टमेंट में प्राथमिकताओं को बदलकर. हालांकि, राज्य स्तर के मामले ऐसे ही रहेंगे, और ये उनके लिए बड़ी कानूनी चुनौतियां पेश कर सकते हैं. इस प्रकार, व्हाइट हाउस (White House) में दूसरा कार्यकाल भी उन्हें राज्य स्तर पर चल रही कानूनी परेशानियों से पूरी तरह नहीं बचा पाएगा.

कौन-कौन से मामले हैं?
1. न्यूयॉर्क हश मनी केस

ट्रंप की कानूनी परेशानियां 2016 में स्टॉर्मी डेनियल्स (Stormy Daniels) को $130,000 की हश मनी देने के आरोपों के साथ शुरू हुईं. इसके पीछे का मकसद था कि ट्रंप नहीं चाहते थे कि उनके कथित अफेयर को स्टॉर्मी  सार्वजनिक करे. इस पेमेंट (New York Hush Money Case) के कारण न्यूयॉर्क में एक मामला दर्ज हुआ, जिसमें ट्रंप को बिजनेस रिकॉर्ड में हेराफेरी के 34 मामलों में दोषी ठहराया गया. यह मामला इसलिए भी काफी बड़ा है क्योंकि यह पहली बार था जब किसी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पर क्रिमिनल चार्ज लगाए गए. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक अब ट्रंप के वकील उनकी सजा में देरी की मांग कर सकते हैं, यह तर्क देकर कि एक कार्यरत राष्ट्रपति को जेल में नहीं रखा जा सकता.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में जज जुआन मर्चन ट्रंप को न्यूनतम सजा दे सकते हैं, जैसे कि प्रोबेशन, या उनके कार्यकाल के आखिर तक सजा को स्थगित कर सकते हैं. बोस्टन कॉलेज के लॉ प्रोफेसर जेफ्री कोहेन के मुताबिक एक कार्यरत राष्ट्रपति को जेल का सामना नहीं करना पड़ेगा. यानि यह मामला ट्रंप के कार्यकाल खत्म होने तक लंबित रह सकता है.

2. जॉर्जिया इलेक्शन मामला
जॉर्जिया (Georgia Election Interference Case) में, ट्रंप पर 2020 के चुनाव परिणामों को अवैध रूप से बदलने के प्रयास के आरोप हैं. फुल्टन काउंटी में जिला अटॉर्नी फानी विलिस (District Attorney Fani Willis) द्वारा शुरू की गई इस कार्यवाही में काफी देरी हुई है. हाल ही में, मामले के प्रभारी जज स्कॉट मैकाफी ने ट्रंप पर दो आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वे राज्य अधिकार क्षेत्र के बाहर आते हैं. इसके अलावा, ट्रंप की कानूनी टीम ने यह तर्क दिया है कि एक राष्ट्रपति को कार्यकाल के दौरान क्रिमिनल केस का सामना नहीं करना चाहिए. 

हालांकि, ट्रंप के पास इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है. फिर भी, राजनीतिक और व्यावहारिक रूप से वो इसमें कुछ हेरफेर करवा सकते हैं. 

3. फेडरल इलेक्शन मामला 
फेडरेल लेवल, ट्रंप पर 2020 का चुनाव पलटने के प्रयास का आरोप है, जिसमें उन्होंने चुनाव में फ्रॉड के झूठे दावे किए थे. स्पेशल काउंसिल जैक स्मिथ (Special counsel Jack Smith), जिन्हें डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने नियुक्त किया, ने ट्रंप की 2020 की हार के बाद ये आरोप लगाए थे. इस मामले की कार्यवाही फिलहाल रुकी हुई है क्योंकि जज तान्या चुटकान (Judge Tanya Chutkan) राष्ट्रपति की इम्यूनिटी पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रही हैं, जो मामले के शेड्यूल पर असर डाल सकता है.

अब ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बने हैं, वे स्पेशल काउंसिल को बर्खास्त करने या मामले को रोकने के लिए अपने कार्यकारी अधिकार का उपयोग कर सकते हैं. 

4. क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट मामला
क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट मामला, शायद ट्रंप की सबसे प्रमुख कानूनी मुसीबत है, जिसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने राष्ट्रपति पद के बाद क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट को अवैध रूप से अपने पास रखा था. ये डॉक्यूमेंट, ट्रंप की मार-ए-लागो प्रॉपर्टी (Mar-a-Lago estate) पर रखे गए थे. ये डॉक्यूमेंट नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े थे. स्पेशल काउंसिल जैक स्मिथ ने इन दस्तावेजों को लेकर ट्रंप पर मामला दर्ज किया था. हालांकि, हाल ही में अमेरिकी जिला जज ऐलीन कैनन (U.S. District Judge Aileen Cannon), ने इस मामले को खारिज कर दिया था. 

 सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप खुद को इन सभी मामलों में माफ कर सकते हैं? या क्या ऐसी शक्ति राष्ट्रपति के पास हैं? दरअसल, किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने अब तक ऐसा नहीं किया है, लेकिन ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान इस विचार पर विचार किया था. अगर उनके फेडरल केस खारिज हो जाते हैं, तो उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, self-pardon का कॉन्सेप्ट काफी उलझा हुआ है. इसके लिए भी उन्हें कोर्ट ही जाना होगा. 


 

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