Abu Dhabi's First Hindu Temple: राजस्थान से पत्थर, गंगा का पानी और नागर शैली.... अबू धाबी के मंदिर का है भारत से अटूट रिश्ता

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में मिडिल ईस्ट का पहला पांरपरिक पत्थर वाला हिंदू मंदिर (Hindu Mandir) बनाया गया है. यह मंदिर अयोध्या के राम मंदिर (Ram Mandir) की तरह नागर शैली वास्तुकला में बनाया गया है. आज हम आपको मंदिर निर्माण से जुड़ी कई बड़ी बातें बता रहे हैं.

Abu Dhabi's First Hindu Temple
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST
  • मस्जिद से 50 किमी दूर है यह मंदिर
  • मंदिर में लगाए गए भूकंप सेंसर

भारत के लिए यह बहुत ही गर्व का क्षण है कि सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी सनातन संस्कृति को सम्मान मिल रहा है. अबू धाबी (Abu Dhabi) का पहला हिंदू मंदिर (Hindu Temple) इसका जीता-जागता उदाहरण है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि यह मंदिर बहुत ही अद्भुत और अनोखा है, लेकिन मंदिर से जुड़ी और भी कई बातें हैं जो इसे भारतीयों के लिए खास बनाती हैं. 

आपको बता दें कि मंदिर के निर्माण में करीब 18 लाख ईंटें और सात लाख मानव घंटे लगे हैं. साथ ही, 1.8 लाख घन मीटर बलुआ पत्थर सीधे राजस्थान से मंदिर निर्माण के लिए गया है. इसे हिंदू मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में बनाया गया है, ठीक उसी तरह जैसे हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर बना है. अमीरात के अबू मरेख सांस्कृतिक जिले में 700 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित, यह मध्य पूर्व का पहला पारंपरिक पत्थर वाला हिंदू मंदिर है.

मस्जिद से 50 किमी दूर है यह मंदिर
UAE में बना यह मंदिर 1,200 ऐसे मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण BAPS स्वामीनारायण संस्था ने कराया है और मंदिर के प्रबंधन का जिम्मा भी इसी संस्था के पास है. यह भारत और अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे बड़े भारतीय समुदाय वाले देशों में एक संगठन है. आपको बता दें कि इस मंदिर से लगभग 50 किमी दूर यहां की सबसे बड़ी मस्जिद शेख जायद ग्रैंड मस्जिद है, जिसमें प्रतिदिन 50,000 उपासक और पर्यटक समान रूप से आते हैं. 

अप्रैल 2019 में एक अनोखी पहल के रूप में, मंदिर के शिलान्यास समारोह से पहले, संयुक्त अरब अमीरात के मंत्री शेख नाहयान बिन मुबारक BAPS के आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी महाराज और भारत के 50 अन्य वरिष्ठ पुजारियों को मस्जिद दौरे पर ले गए थे. तब महंत स्वामी महाराज ने न केवल मस्जिद की दीवार पर लिखे गए अल्लाह के 99 नामों के प्रति सम्मान व्यक्त किया, बल्कि वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने में संयुक्त अरब अमीरात सरकार और उसके लोगों के प्रयासों की सराहना करते हुए अतिथि पुस्तिका पर हस्ताक्षर भी किए. 

मंदिर में लगाए गए भूकंप सेंसर
BAPS के एक पदाधिकारी का कहना है कि 2019 में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 13.5 एकड़ जमीन उपहार में दी थी, जिस पर मंदिर परिसर बना है. 108 फीट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर में 300 भूकंप सेंसर भी लगे हैं. बात मंदिर के आर्किटेक्चर की करें तो बताया जा रहा है कि यूएई की गर्म जलवायु को ध्यान में रखते हुए, नैनो टाइल्स का उपयोग किया गया है. ये आगंतुकों के लिए गर्म मौसम में भी चलने में आरामदायक होंगे. मंदिर में अलौह सामग्री यानी ऐसे मेटल का इस्तेमाल किया गया है जिसमें लोहा नहीं है. 

मंदिर की पारंपरिक नागर शैली नई दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर सहित दुनिया भर के अन्य स्वामीनारायण मंदिरों की परंपरा का अनुसरण करती है. हालांकि, "दोनों देशों और संस्कृतियों को एक साथ लाने" के लिए अबू धाबी मंदिर में कई नए तत्व शामिल किए गए हैं. उदाहरण के लिए, मंदिर में सात शिखर बनाए गए हैं, जो सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करते हैं और ये साथ में संयुक्त अरब अमीरात बनाते हैं. मंदिर के प्रवेश द्वार पर आठ मूर्तियां आस्था, दान और करुणा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों का प्रतीक हैं. दुनिया भर से - पूर्व से पश्चिम तक - विभिन्न स्थलों को भी दिखाया गया है, जबकि हार्मनी की दीवार पर 'सद्भाव' शब्द 30 विभिन्न प्राचीन और आधुनिक भाषाओं में लिखा गया है.

भारत से है अटूट रिश्ता 
मंदिर के बाहरी हिस्से में राजस्थान के गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है. अंदरूनी भाग में इटालियन संगमरमर का उपयोग किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि 20,000 टन बलुआ पत्थर के टुकड़ों को राजस्थान में तराशा गया और फिर 700 कंटेनरों में अबू धाबी भेज दिया गया. सिर्फ पत्थर ही नहीं, पांच साल तक मंदिर के निर्माण में मदद करने वाले कई मजदूर गुजरात और राजस्थान के हैं. यहां तक ​​कि इटली से खनन किए गए संगमरमर को नक्काशी के लिए पहले भारत भेजा गया और फिर संयुक्त अरब अमीरात भेजा गया.

अबू धाबी मंदिर ने भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण (भगवान कृष्ण का पुनर्जन्म माना जाता है), तिरुपति बालाजी और भगवान अयप्पा सहित देश भर के देवताओं को भी जगह दी है. मंदिर में रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 कहानियों के अलावा माया, एज़्टेक, मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कहानियों को भी दर्शाया गया है.

मंदिर के पास गंगा और यमुना के पानी से बनाई गई आर्टिफिशियल नदियां भी हैं. सरस्वती नदी को श्वेत प्रकाश के रूप में दर्शाया गया है. एक तरफ वाराणसी जैसे घाट बनाए गए हैं, जिनसे होकर कृत्रिम नदी गुजरती है. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यह मंदिर सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों और आध्यात्मिक लोकाचार का प्रतीक होगा. यह मंदिर, संयुक्त अरब अमीरात की तरफ से भारत और भारतीय समुदाय के प्रति उनके प्रेम, मित्रता और विश्वास की अभिव्यक्ति है.    

 

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