History of Kazan: तातारों ने बसाया वह शहर जहां पहली बार प्रिंट हुआ कुरान... BRICS Summit 204 की मेज़बानी करने वाले कज़ान की कुछ ऐसी है कहानी 

मंगोल वंश के तातारों (Tatars) ने 13वीं शताब्दी के अंत में इस शहर को बसाया था. करीब 100 साल बाद तातारों ने इस्लाम धर्म अपना लिया. ये घटनाएं इस शहर के इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण रहीं और आज ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी में भी अहम भूमिका निभा रही हैं.

कज़ान (Photo/Kazan)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST

दुनियाभर के 10 देशों के 32 डेलिगेशन रूस की मेजबानी में हो रहे 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit 2024) के लिए तातारस्तान की राजधानी कज़ान में जमा हुए हैं. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहते तो इस सम्मेलन को रूस की राष्ट्रीय राजधानी मॉस्को में भी आयोजित कर सकते थे. लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो उन्होंने वैश्विक राजनीति में एक संदेश देने के लिए इस जगह को चुना है. और यह संदेश इस जगह के इतिहास से जुड़ा हुआ है. 

क्या है कज़ान का इतिहास?
कज़ान की स्थापना को लेकर लोगों के बीच में मतभेद है. लेकिन ब्रिटैनिका की वेबसाइट बताती है कि 13वीं शताब्दी के अंत में मंगोल वंश के तातारों (Tatars) ने इसकी स्थापना की थी. उन्होंने बुल्गार साम्राज्य को हराकर यह शहर कज़ानका नदी के किनारे बसाया था. फिर जब 14वीं शताब्दी में तातारों ने इस्लाम धर्म अपना लिया तो कज़ान एक मुस्लिम तातारस्तान (Tatarstan) की राजधानी बन गया. 

अगली शताब्दी में जब तातार तीन गुटों बंट गए तो कज़ान तातार खानैत (Khanate) की राजधानी बन गया. खानैत एक तरह की रियासत होती थी जिसपर खान समाज का शासन होता था. कज़ान थोड़े समय के लिए व्यापार का एक अहम केंद्र बन गया. हालांकि चार गुटों में बंटकर तातार घाटे में ही रहे. रूसी साम्राज्य ने जल्द ही सभी रियासतों पर कब्जा कर लिया. 

साल 1469 में रूस के राजा इवान तीसरे (Ivan III) ने कज़ान को अपने कब्ज़े में लिया. तीन दशक बाद 1504 में रूसी राजा के इशारों पर चलने वाले खान ने कज़ान में सभी रूसियों का कत्लेआम कर दिया. लेकिन आखिरकार 1552 में ईसाई रूसी राजा इवान चौथे (Ivan IV) ने कज़ान को अपने कब्ज़े में ले लिया. 

...पहली बार यहीं प्रिंट हुआ कुरान
जब इवान चौथे ने कज़ान पर कब्ज़ा किया तो शहर की ज्यादातर आबादी को मौत के घाट उतार दिया गया. ज्यादातर तातारों को या तो मार दिया गया, या जबरन ईसाई बना दिया गया.  कज़ान खानैत ने कुछेक बार तख्तापलट की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम रहे. कज़ान में तातारों के खिलाफ भेदभाव भी जारी रहा. 

कज़ान खानैत को 18वीं शताब्दी की शुरुआत में खत्म भी कर दिया गया. लेकिन करीब छह दशक बाद कैथरीन द ग्रेट (Catherine The Great) का सत्ता में आना तातारों के पक्ष में रहा. उन्होंने मुसलमानों को शहर में दोबारा मस्जिदें बनाने की इजाज़त दे दी. भेदभाव खत्म होने में समय लगा लेकिन यह शहर धीरे-धीरे तातार मुसलमानों का केंद्र बनने लगा. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार पहली बार कुरान भी कज़ान में ही प्रिंट हुआ. 

रूस में सोवियत संघ की सत्ता आने के बाद तातार संस्कृति पर कई हमले हुए लेकिन 21वीं शताब्दी शुरू होने तक यह शहर एक बार फिर तातार मुसलमानों का केंद्र बनता रहा.  मौजूदा दौर की बात करें कज़ान में करीब 60 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है. और 40 प्रतिशत आबादी ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन है. शायद यही वजह है कि पुतिन ने 'ग्लोबल राजनीति' में एक संदेश देने के लिए कज़ान को ब्रिक्स की मेजबानी के लिए चुना है. 

क्या संदेश देना चाहते हैं पुतिन?
इस समय गज़ा में चल रही इजराइल की सैन्य कार्रवाई ने आधिकारिक तौर पर कम से कम 42,000 लोगों की जान ले ली है. कुछ आंकड़ों के अनुसार यह संख्या दो लाख के करीब भी है. जाहिर है पश्चिमी एशिया फिलहाल वैश्विक राजनीति का केंद्र बना हुआ है. विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन मुस्लिम-बाहुल्य कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आयोजित कर 'ग्लोबल साउथ' के साथ अपनी सांत्वना जाहिर करना चाहते हैं. 

फ्रीडरिच नौमन फाउंडेशन के लिए  हान्स-डीटर हॉल्ट्ज़मैन लिखते हैं, "पुतिन मुस्लिम बहुल तातारस्तान गणराज्य की राजधानी कज़ान में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं. स्थान का चयन रूस के 'साम्राज्य-विरोधी रुझान' और पश्चिमी औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ 'ग्लोबल साउथ' के साथ एकजुटता के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में किया गया है." 

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