Turkey-Syria Earthquake: कश्मीर मुद्दे पर भारी विरोध के बाद भी तुर्की के साथ खड़ा है भारत, जानिए पिछले 60 सालों में भारत ने किन देशों तक पहुंचाई है मदद

भूकंप की मार झेल रहे तुर्किये और सीरिया में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए युद्धस्तर पर राहत और बचाव का अभियान चलाया जा रहा है. मुसीबत की इस घड़ी में भारत ने भी तुर्किये के लोगों की मदद के लिए NDRF और सेना की मेडिकल टीम वहां भेजी है. इसके अलावा राहत और बचाव के इस अभियान में मदद के लिए 65 देशों ने भी 2,660 लोगों को भेजा है, ताकि जल्द से जल्द भूकंप पीड़ितों की मदद की जा सके.

तुर्की में भूकंप
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:05 AM IST
  • 60 साल पहले इथोपिया से शुरू हुआ मदद का सिलसिला
  • 1999 में भी कर चुका है तुर्किये की मदद

ये पहली बार नहीं हो रहा कि कोई देश संकट में हो और भारत ने बिना पूछे एक दोस्त की तरह आगे बढ़कर उसकी मदद नहीं की हो. जैसे आज वो भूकंप के बाद आई जबरदस्त तबाही से जूझ रहे तुर्किये की मदद कर रहा है. जब भी प्राकृतिक आपदा किसी देश पर संकट के तौर पर मंडराई, तो बिना सोचे-समझे भारत उसके साथ मजबूती के साथ खड़ा हो गया. इनमें चाहे तुर्किये जैसा देश ही शामिल क्यों नहीं हो, जिसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के एक साल बाद भी भारत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी. 

तब तुर्किये ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद राज्य में हालात और मुश्किल हो गए हैं. उसने तब जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल नहीं होने का भी दावा किया था. कश्मीर मुद्दे पर तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया था. दुनिया के सामने बार-बार वो मुद्दा उठाया. यही नहीं, बल्कि तुर्किये ने ये कहते हुए भारत का 56,877 टन गेहूं वापस तक लौटा दिया था कि उसमें रुबेला वायरस है. तब उसी अनाज को दुनिया के दूसरे देशों ने खरीदा. इसके बाद तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन ने ये भी ऐलान किया था कि 2023 में तुर्की-पाकिस्तान मिलकर युद्धपोत बनाएंगे. लेकिन अब जब तुर्किये में प्राकृतिक आपदा आई हुई है, तो भारत सभी बातों को भूलकर एक अच्छे दोस्त की तरह हर संभव मदद कर रहा है. ये पहली बार नहीं है, दशकों पहले से जब भी दुनिया में आपदा आई तो भारत मदद करने में सबसे आगे रहा है.

कब से जारी है मदद का सिलसिला? 

इथोपिया
साल 1963 में इथोपिया की मदद से ये सिलसिला शुरू हुआ. 60 साल पहले वहां भीषण सूखा पड़ने की वजह से हालात बदतर हो गए थे. गंभीर सूखे के बाद तब भारत से मेडिकल स्टाफ की एक टीम इथोपिया भेजी गई थी. वहां पहुंचकर उस मेडिकल टीम ने प्रभावित लोगों की काफी मदद की थी. तब भारत की तरफ इस तरह मदद मिलने के लिए वहां की सरकार और आम लोगों ने काफी तारीफ की थी.  

यमन
साल 1965 में यमन में भीषण भूकंप ने दस्तक दी. चारों तरफ तबाही का मंजर था. तब भारत ने प्रभावित लोगों को राहत और मदद देने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम वहां भेजी थी. जिसने मेडिकल हेल्प के अलावा भूकंप प्रभावित लोगों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था की.

बांग्लादेश
साल 1971 में भारत ने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद राहत और बचाव में भी अहम भूमिका निभाई थी. लाखों शरणार्थियों के स्वास्थ्य और सेहत को ध्यान में रखते हुए तब पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पहचान रखने वाले बांग्लादेश में भी मेडिकल स्टाफ की एक टीम भेजी थी. इसके अलावा खाने-पीने का सामान भी बड़ी मात्रा में भेजा गया था. इसके बाद जरूरतमंद लोगों के लिए वहां रहने के लिए अस्थाई व्यवस्था भी की गई थी.

तुर्किये
साल 1999 में भी तुर्किये में भूकंप आया था. तब भी भारत ने सबसे पहले भूकंप प्रभावित तुर्किये को राहत भेजी थी. इनमें राहत और बचाव के लिए आपदा प्रबंधन की एक टीम भी शामिल थी. जिसके प्रयासों की तब की तुर्किये सरकार और आम लोगों ने काफी तारीफ की थी. 

पाकिस्तान
हर बार पीठ में छुरा घोंपने वाले पाकिस्तान के लिए भी साल 2005 में भारत ने अपना दिल खोल दिया था. क्योंकि वहां भीषण भूकंप आया था. सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान के कब्जे वाले राज्य की राजधानी मुजफ्फराबाद में हुआ था. वहां 70% तक लोगों की जान चली गई थी. यानी चारों तरफ विनाशकारी मंजर था. अस्पताल, स्कूल सब खत्म हो गए थे और उस वक्त पुलिस को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था. तब भूकंप की तबाही से उबारने के लिए भारत ने ही आपदा प्रबंधन से जुड़ी कुछ टीमों को पाकिस्तान भेजा था. जिन्होंने मेडिकल हेल्प के अलावा खाने-पीने और रहने की भी व्यवस्था की.

इंडोनेशिया
साल 2006 में इंडोनेशिया में जावा द्वीप में बड़े पैमाने पर भूकंप आया. तब भारत सरकार ने मदद के लिए एनडीआरएफ कर्मियों की एक टीम वहां भेजी.  

म्यांमार
साल 2008 में नरगिस नाम एक विनाशकारी चक्रवात ने म्यांमार में जमकर तबाही मचाई. उस तबाही से वहां के लोगों को उबारने के लिए भारत ने एनडीआरएफ की एक टीम भेजी थी.  एनडीआरएफ की उस टीम ने आपदा से प्रभावित लोगों को राहत और मदद देने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

हैती
साल 2010 में हैती नाम के देश में भी बड़े पैमाने पर भूकंप आया था. जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी. घायलों की संख्या भी काफी ज्यादा थी. तब कैरेबियाई देश हैती में भी एनडीआरएफ की एक टीम भेजी गई थी. जिसने मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानते हुए भूकंप प्रभावित लोगों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

थाईलैंड
साल 2011 में थाईलैंड में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसकी वजह से हजारों लोग बेघर हो गए थे. तो बिना देर किए हुए भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी. जिसने प्रभावित लोगों की हर स्तर पर मदद की. 

नेपाल
साल 2015 में भारत ने विनाशकारी भूकंप के बाद NDRF की टीमों को नेपाल भी भेजा था. जिन्होंने तबाही से जूझ रहे लोगों की काफी मदद की. तब NDRF के प्रयासों की नेपाल की सरकार और वहां लोगों ने काफी सराहना की.

पश्चिम अफ्रीका
साल 2017 में पश्चिम अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में भारी बारिश और भूस्खलन हुआ. इसमें 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. तब भारत सरकार ने एनडीआरएफ की एक टीम वहां भेजी. जिसमें सैकड़ों लोगों ने हर तरीके से जान बचाई. 

दक्षिण अफ्रीका
साल 2019 दक्षिण अफ्रीकी देशों मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे और मलावी में विनाशकारी चक्रवात ‘इडाई के दौरान भारत का ऐसा ही रूप दिखा. तीनों ही देशों में बड़े पैमाने पर जान-माल नुकसान हुआ. मोजाम्बिक के आग्रह पर भारत ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नौसेना की तीन नौकाओं को बीरा बंदरगाह भेजा. तब भारतीय नौसेना ने 192 से अधिक लोगों को बचाया और राहत शिविरों में 1381 लोगों की मेडिकल हेल्प की. 

किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में फंसे देशों की मदद करने का सिलसिला अब भी जारी है. भूकंप के बाद आई तबाही से जूझ रहे तुर्किये की मदद में भारत अब भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. 

 

Read more!

RECOMMENDED