ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शुक्रवार को मेलबर्न में कहा कि भारत से आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों और यात्रियों को जल्द ही देश में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी.
मॉरिसन ने शुक्रवार को मेलबर्न के रोविले उपनगर (Rowville Suburb) में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने कहा,“हम भारतीय छात्रों के ऑस्ट्रेलिया वापस आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं…अभी बहुत समय नहीं है. हमने भारतीय निर्मित टीकों को मान्यता दे दी है. इससे भारतीय छात्रों और यात्रियों की ऑस्ट्रेलिया वापसी आसान होगी. ”कैनबरा ने ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश करने वाले यात्रियों के लिए पहले ही कोवैक्सिन और कोविशील्ड को मंजूरी दे दी है.
बदल दी गई इमीडिएट फैमिली की परिभाषा
मॉरिसन ने यह भी बताया कि सरकार ने तत्काल परिवार की परिभाषा का भी विस्तार किया है. अब इसमें उन लोगों को भी शामिल किया गया है, जो कुछ समय के लिए अपने माता-पिता से अलग हो गए हैं. शिक्षा ऑस्ट्रेलिया के लिए विदेशी मुद्रा कमाने का एक प्रमुख जरिया है. ऐसा माना जाता है कि वहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छह लाख से अधिक विदेशी छात्रों में से one-fifth या एक लाख से अधिक छात्र भारत से हैं. इसके अलावा भारत से लगभग चार लाख पर्यटक हर साल ऑस्ट्रेलिया जाते हैं.
मॉरीसन ने की प्रवासी भारतीयों की तारीफ
मॉरिसन ने परिवार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्रवासी भारतीयों और पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की. उन्होंने याद करते हुए कहा,“हम पहली बार (पीएम मोदी और मॉरिसन) यहां मेलबर्न में कई साल पहले एमसीजी में मिले थे, जब वह ऑस्ट्रेलिया आए थे. मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं. मैं उस समय इमिग्रेशन मिनिस्टर था और मैं उनके बगल में बैठा था.”
उन्होंने आगे कहा,"मैं उम्मीद नहीं कर रहा था क्योंकि आप जानते हैं कि वह एक रॉक स्टार हैं. लेकिन उस रात के लिए मैं सुरक्षा वालों का आभारी रहूंगा. उस दिन मेरे और उनके बीच काफी अच्छी और मैत्रीपूर्ण बातचीत हुई. हम तब से दोस्त हैं.”