तीन मोर्चों पर युद्ध में शामिल इजराइल की मदद करने के लिए अमेरिका ने उसे एक नया एंटी-मिसाइल सिस्टम भेजने का फैसला किया है. इस सिस्टम का नाम है टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस यानी ठाड (THAAD). पेंटागन (Pentagon) ने कहा है कि वह इस सिस्टम को चलाने के लिए अपने सैनिकों को भी इजराइल भेजेगा. फिलहाल यह फैसला नहीं हुआ है कि यह हथियार इजराइल कब पहुंचेगा. लेकिन आखिर आयरन डोम (Iron Dome) के होते हुए इजराइल को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
क्या है ठाड सिस्टम, कैसे करता है काम?
किसी भी अन्य एंटी-मिसाइल सिस्टम की तरह ठाड भी अपने हथियारों की मदद से दुश्मन के हवाई हमलों को रोकने का काम करता है. ठाड छोटी, मध्यम और मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए रडार और इंटरसेप्टर मिसाइल का इस्तेमाल करता है. इसकी मिसाइलों की मारक क्षमता 150 से 200 किलोमीटर है.
यह एंटी-मिसाइल सिस्टम उड़ान के अंतिम चरण के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल के अंदर और बाहर मिसाइलों को रोक सकता है. ठाड में कोई विस्फोटक हथियार नहीं होता. इसकी वजह से यह तेजी से ऊंचाई तक पहुंच जाता है. फिर बिना विस्फोटक के यह काम कैसे करता है? दरअसल जब ठाड की मिसाइलें दुश्मन की मिसाइलों से टकराती हैं तो इसकी रफ्तार इतनी होती है कि टक्कर पर विस्फोट हो जाता है.
बात करें इसकी कमी की तो यह छोटे ड्रोन्स जैसे हथियारों को नहीं रोक सकता. हमास (Hamas) और हौसी (Houthi) जैसे संगठन ड्रोन्स का ही इस्तेमाल करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ये हथियार छोटे होते हैं और बड़ी मिसाइलों की तरह बहुत ऊंचाई से नहीं आते.
इजराइल को क्यों पड़ी इसकी जरूरत?
ईरान ने एक अक्टूबर 2024 को इजराइल पर जो हमला किया था उसमें फत्ताह हाइपरसॉनिक मिसाइल के इस्तेमाल का दावा किया था. साथ ही यह हमला तीन अलग-अलग मोर्चों पर हुआ था. जिसे रोकने में इजराइल विफल रहा था. ईरान ने करीब 200 मिसाइलें इजराइल पर लॉन्च की थीं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इनमें से 90 प्रतिशत इजराइल में जाकर गिरी थीं.
अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का सामना अब तक फत्ताह जैसी किसी मिसाइल से नहीं हुआ है. इसलिए वह देखना चाहता है कि ठाड इन मिसाइलों का सामना कर सकता है या नहीं. अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने एक बयान में यह भी कहा है कि देश की वायु रक्षा को बढ़ावा देने में मदद के लिए इजराइल में ठाड प्रणाली की तैनाती को अधिकृत किया गया है.