Spiritual Leader Aga Khan IV: 1.2 लाख करोड़ की प्रॉपर्टी, हार्वर्ड से पढ़ाई, 20 साल की उम्र में बने थे इमाम... जानिए कौन थे इस्माइली समुदाय के सबसे बड़े इमाम आगा खां चतुर्थ 

Aga Khan IV Passed Away: पैगंबर मोहब्बत का वंशज माने जाने वाले 88 साल के आध्यात्मिक नेता आगा खां चतुर्थ का पुर्तगाल में निधन हो गया. आगा खान हार्वर्ड से स्नातक थे और केवल 20 साल की उम्र में वह इस्माइली संप्रदाय के आध्यात्मिक नेता बन गए थे. आइए इनके बारे में जानते हैं. 

Aga Khan IV (Photo Credit: transition.ismaili)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST
  • विकास नेटवर्क के संस्थापक और अध्यक्ष थे आगा खान
  • भारत में इस्माइली समुदाय की दो प्रमुख शाखाएं हैं बोहरा और खोजा 

Ismaili Muslims Leader Aga khan IV Death: इस्माइली संप्रदाय के आध्यात्मिक नेता आगा आगा खां चतुर्थ अब हमारे बीच नहीं रहे. 88 साल की उम्र में मंगलवार को उनका पुर्तगाल के लिस्बन में निधन हो गया गया. आगा खान का असली नाम प्रिंस शाह करीम अल हुसैनी था. वह केवल 20 साल की उम्र में इस्माइली मुसलमानों के 49वें इमाम और आध्यात्मिक नेता बनाए गए थे. वह अपने पूरे जीवन लोक कल्याण के कार्य में लगे रहे. 

कौन थे आगा खां चतुर्थ 
प्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ का जन्म 13 दिसंबर 1936 को स्विटजरलैंड के जिनेवा में हुआ था. इनका बचपन केन्या के नैरोबी में गुजरा था. आगा खान चतुर्थ के परिवार को इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद का वंशज माना जाता है. आगा खान ने दो बार निकाह किया था. पहली बार निकाह साल 1969 में पूर्व ब्रिटिश मॉडल सारा क्रोकर पूल से किया था.

इनसे उनकी एक बेटी और दो बेटे हैं. इसके बाद आगा खान चतुर्थ और सारा क्रोकर पूल का साल 1995 में तलाक हो गया. फिर आगा खान चतुर्थ ने साल 1998 में जर्मनी की गैब्रिएल लीनिंगन से निकाह किया था. इनसे उनका एक बेटा है. साल 2014 में दोनों का तलाक हो गया था. आगा खान चतुर्थ ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इस्लामी हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था.  मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह 1.2 लाख करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक थे. उन्हें घोड़े पालने का भी शौक था.

दी गई थी आगा खान की उपाधी
प्रिंस करीम अल-हुसैनी जब महज 20 साल के थे, तभी उनके दादा आगा खान III ने साल 1957 में अपने बेटे अली खान की जगह उन्हें अपना उत्तराधिकारी चुना था. प्रिंस करीम अल-हुसैनी को 19 अक्टूबर 1957 को तंजानिया के दार-एस-सलाम में आधिकारिक रूप से आगा खान चतुर्थ की उपाधि दी गई थी.

उन्हें आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए नॉमिनेट करते हुए कहा गया कि यह जिम्मेदारी एक ऐसे युवा व्यक्ति को दी जानी चाहिए, जो नए विचारों के बीच पला-बढ़ा हो. आगा खान चतुर्थ के पास ब्रिटिश, फ्रांसीसी, स्विस और पुर्तगाली नागरिकता थी. उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय फ्रांस में बिताया. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के वह करीबी दोस्त थे. इस्माइली मुसलमानों का नेता बनने पर महारानी ने उनको महामहिम की उपाधि से नवाजा था.

माना जाता था मुस्लिम समाज और पश्चिम दुनिया के बीच ब्रिज 
आगा खान चतुर्थ को मुस्लिम समाज और पश्चिम दुनिया के बीच ब्रिज माना जाता था. आगा खान चतुर्थ  ने आगा खान विकास नेटवर्क (AKDN) की स्थापना की थी. AKDN मौजूदा समय में हजारों लोगों को रोजगार देता है और स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करता है. आगा खान चतुर्थ ने बांग्लादेश, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान में कई हॉस्पिटल बनवाए.

पिता के निधन के बाद बेटे को मिली कमान
प्रिंस करीम अल-हुसैनी आगा खान चतुर्थ के निधन के बाद उनके बेटे रहीम अल-हुसैनी को आगा खान की पदवी दी गई है. 53 साल के रहीम अल-हुसैनी इस्माइली मुसलमानों के 50वें इमाम बन गए हैं. उनको आगा खान V के रूप में नामित किया गया है.

कौन हैं इस्माइली मुस्लिम
इस्माइली मुस्लिम शिया मुसलमानों का उप-संप्रदाय है. इस्माइली मुस्लिम को खोजा मुसलमान, आगाखानी मुसलमान और निजारी मुसलमान भी कहते हैं. इस्माइली मुस्लिम मुहम्मद साहब को अपना पैगंबर मानते हैं. अली इब्न अबी तालिब को इस समुदाय के लोग पहला इमाम मानते हैं. इमाम ही इस्माइली समुदाय का मुखिया होता है. इस संप्रदाय को मानने वाले इमाम के जरिए कुरान की व्याख्या को मानते हैं. इस्माइली मुस्लिम जहां इबादत करते हैं उस जगह को जमातखाना कहते हैं. इस्माइली मुस्लिम न तो रोज पांच बार नमाज पढ़ते हैं और न ही रमजान के दौरान रोजा रखते हैं. 

ये लोग हज पर भी नहीं जाते हैं. इस्माइली मुसलमानों के धर्म गुरु आगा खान होते हैं. भारत में इस्माइली संप्रदाय की दो प्रमुख शाखाएं हैं. पहला मुस्तलिस (बोहरा) और दूसरा निजारी (खोजा). इस्माइली मुसलमान 950 साल पहले अफगानिस्तान के खैबर प्रांत से सिंध प्रांत आए और फिर भारत पहुंचे. इस्माइली मुस्लिम 25 से अधिक देशों में रहते हैं. इनकी संख्या मध्य और दक्षिण एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में काफी है. 

 

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