पेजर फटने से लेकर वॉकी-टॉकी, रेडियो और सोलर पैनल में धमाकों से लेबनान में दहशत का माहौल बना हुआ है. इस धमाकों में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ माना जा रहा है. हालांकि इजरायल ने अब तक इस पर कुछ नहीं कहा है. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब इस तरह के हमलों में इजरायल का हाथ माना जा रहा है. इससे पहले भी इजरायल ने कई बार गैजेट्स के जरिए अपने दुश्मनों को खाक में मिलाया है. पहली बार इजरायल ने ऐसा कारनामा साल 1972 में किया था, जब टेलिफोन के जरिए दुश्मन को मौत के घाट उतार दियाा था. चलिए आपको वो पूरा किस्सा बताते हैं.
टेलिफोन में बम लगाकर PLO कमांडर को मार डाला-
ये वाक्या 8 दिसंबर साल 1972 का है, जब इजरायल ने टेलिफोन के जरिए हत्याकांड को अंजाम दिया. महमूद हमशारी फिलिस्तीन के चरमपंथी संगठन ब्लैक सेप्टेम्बर का लीडर था. हमशारी फ्रांस की राजधानी पेरिस में छिपा हुआ था. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को इसकी भनक लग गई. मोसाद हमशारी को उसके घर में मारने का प्लान बनाया. मोसाद के एजेंट ने महमूद हमशारी के घर में दाखिल होने में कामयाबी हासिल की. जब महमूद हमशारी घर से बाहर निकला तो एजेंट घर में दाखिल हुए और लैंडलाइन फोन में विस्फोटक लगा दिया.
मोसाद का प्लान कामयाब हुआ. टेलिफोन में बम लगाने के कुछ देर में बाद एक कॉल आई और जैसे ही महमूद ने फोन रिसीव किया. रिमोट-ट्रिगर से धमाका कर दिया गया. इस हमले में महमूद हमशारी बुरी तरह से जख्मी हो गया. कुछ दिनों बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई. मोसाद के इस कारनामे के बाद फिलिस्तीनी चरमपंथी डर गए.
म्यूनिख हमले का साजिशकर्ता था महमूद-
महमूद हमशारी चरमपंथी संगठन ब्लैक सेप्टेम्बर का लीडर था. इस संगठन के 8 आतंकियों ने 6 सितंबर 1972 को म्युनिख ओलंपिक में इजरायली खिलाड़ियों पर हमला किया था. आतंकियों ने 2 खिलाड़ियों को मार डाला था और 9 खिलाड़ियों को अगवा कर लिया था. आतंकियो ने इन खिलाड़ियों के बदले में 200 फिलिस्तीनी चरमपंथियों को छोड़ने की मांग रखी थी. हालांकि इजरायल के पीएम गोल्डा मेयर ने इससे छोड़ने से इनकार कर दिया था.
इसके बाद आतंकी खिलाड़ियों को लेकर एयरपोर्ट चले गए. एयरपोर्ट पर जर्मन सुरक्षाबलों और आतंकियों की बीच फायरिंग हुई. जिसमें आतंकियों ने सभी खिलाड़ियों को मार डाला. जर्मन सुरक्षाबलों ने 3 आतंकियों को जिंदा पकड़ा था.
अक्टूबर 1972 में सीरिया से जर्मनी जा रही एक फ्लाइट को अगवा कर लिया गया. हाईजैकर्स ने म्युनिख ओलंपिक के हमलावर 3 आतंकियों को छोड़ने की मांग रखी. जर्मनी की सरकार ने तीनों आतंकियों को छोड़ दिया. इसके बाद इजरायल ने 'रैथ ऑफ गॉड' ऑपरेशन चलाया और आतंकियों को चुन-चुनकर मार डाला. इसमें महमूद हमशारी भी मारा गया था.
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