इजरायल और फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच युद्ध जारी है. फ़िलिस्तीन स्थित हमास के आतंकवादियों ने शनिवार (7 अक्टूबर ) को जमीन, हवा और समुद्र के जरिए गाजा पट्टी के पास के शहरों में घुसपैठ करते हुए इजराइल पर रॉकेटों की बौछार कर दी. रिपोर्टों के अनुसार, फिलिस्तीनी लड़ाके नावों, पिक-अप ट्रकों और हैंड ग्लाइडर पर इजरायली शहरों में दाखिल हुए.
एक रिकॉर्ड किए गए संदेश में, हमास कमांडर मोहम्मद दीफ ने दावा किया कि संगठन ने इज़राइल में 5,000 रॉकेट लॉन्च किए. ऑपरेशन की घोषणा करते हुए डीफ ने कहा, "हम ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड (Operation Al-Aqsa Flood)की शुरुआत की घोषणा करते हैं और हम घोषणा करते हैं कि पहला हमला, जिसने दुश्मन के ठिकानों, हवाई अड्डों और सैन्य किलेबंदी को निशाना बनाया, 5,000 मिसाइलों और गोले से अधिक था." इसके साथ ही, फ़िलिस्तीनी लड़ाकों ने ज़मीन पर हमले किए और वे इज़रायली कस्बों में फैल गए और नागरिकों को मार डाला और कई इजरायली लोगों और बलों को बंधक बना लिया.
हवा, जमीन, समुद्र हर तरफ से हमला
इजरायली सेना के प्रवक्ता रिचर्ड हेचट ने शनिवार को कहा, ''यह एक संयुक्त जमीनी हमला था जो पैराग्लाइडर के जरिए, समुद्र के जरिए और जमीन के जरिए हुआ. अभी हम लड़ रहे हैं. हम गाजा पट्टी के आसपास कुछ स्थानों पर लड़ रहे हैं... हमारी सेनाएं अब जमीन पर लड़ रही हैं.” इजराइल की ओर लक्षित बड़ी संख्या में रॉकेटों को इजराइली सेना की रॉकेट-रोधी रक्षा प्रणाली आयरन डोम के माध्यम से रोक दिया गया था. पहले तो केवल गोलियों से आतंकी लोगों को निशाना बनाया जा रहा था लेकिन अब रॉकेट के जरिए इजराइल के अलग-अलग भाग को निशाना बनाया जा रहा है. बीते शनिवार को हमास नियंत्रित गाजा पट्टी से इजरायल की ओर 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे गए. हालांकि इजरायल ने इसका मुंह तोड़ जवाब देने की कोशिश की और अपनी आयरन डोम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. लेकिन खबर है कि इसमें उन्हें ज्यादा कामयाबी हासिल नहीं हुई है. बता दें, इजरायल की आयरन डोम टेक्नोलॉजी दुनिया की सबसे अच्छी वायु रक्षा प्रणालियों में से एक और इसी वजह से इजरायल उग्रवादियों की घुसपैठ से बेफिक्र रहता है.
क्या है इजरायल की आयरन डोम प्रणाली?
आयरन डोम प्रणाली जमीन से हवा में मार करने वाली वायु रक्षा प्रणाली है. इसे कम दूरी पर रॉकेट, मोर्टार और मानव रहित हवाई विमानों (UAV) के हमलों का मुकाबला करने के लिए विकसित किया गया है. आयरन डोम की प्रत्येक बैटरी में एक रडार डिटेक्शन और ट्रैकिंग सिस्टम, एक फायरिंग कंट्रोल सिस्टम और 20 इंटरसेप्टर मिसाइलों के लिए 3 लॉन्चर होते हैं.
इसकी प्रत्येक बैटरी की मारक क्षमता 4 से 70 किलोमीटर के बीच है. आयरन डोम प्रणाली 2011 से इजराइल की रक्षा कर रही है. 2006 के लेबनान संघर्ष के दौरान हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हजारों रॉकेट दागे और इस हमले में कई लोग मारे गए थे. हमले के एक साल बाद इजराइल ने घोषणा की थी कि वह मिसाइल या रॉकेट हमलों को रोकने और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए एक नई वायु रक्षा प्रणाली को विकसित करेगा. इस सुरक्षा प्रणाली को इजराइल की सरकारी रक्षा कंपनी रफाल ने तैयार किया है. इसे इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ विकसित किया गया था.
आयरन डोम की बैटरी में होते हैं तीन लॉन्चर
जबकि राफेल 2,000 से अधिक अवरोधन के साथ 90% से अधिक की सफलता दर का दावा करता है, विशेषज्ञ सहमत हैं कि सफलता दर 80% से अधिक है. राफेल ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि यह "तैनात और युद्धाभ्यास बलों, साथ ही फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) और शहरी क्षेत्रों को अप्रत्यक्ष और हवाई खतरों की एक विस्तृत श्रृंखला से बचा सकता है." आयरन डोम के बारे में कहा जाता है कि यह हवा में आने वाले खतरों को पहचानने और खत्म करने के लिए रडार का उपयोग करता है. इसे इस तरह से डेवलप किया गया है कि यह गाजा से दागे गए रॉकेट से निपटने में कारगर साबित हो सके. आयरन डोम की हर बैटरी में एक रडार डिटेक्शन और ट्रैकिंग सिस्टम, एक फायरिंग कंट्रोल सिस्टम और 20 इंटरसेप्टर मिसाइलों के लिए तीन लॉन्चर होते हैं.
कैसे करता है काम?
आयरन डोम में 3 मुख्य प्रणालियां किसी भी हमले से निपटने में इसको मजबूती देती है. जब भी किसी रॉकेट को इजराइल की ओर दागा जाता है तो रडार आने वाले रॉकेटों का पता लगाता है, एक कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम जो खतरे का स्तर निर्धारित करती है और तीसरा इंटरसेप्टर जो आने वाले रॉकेट पर हमला करने से पहले उसे नष्ट करता है. इस तरह दुश्मन रॉकेट को हवा में ही मार गिराया जाता है. ये प्रणाली दिन-रात और सभी मौसम में कार्य करने में सक्षम है.
हमास की ओर से इस बार एकाएक 5,000 से अधिक रॉकेट दागे गए. इसमें भी इजरायल की आयरन डोम टेक्नोलॉजी ने जमकर वार किया लेकिन इस बार टेक्नोलॉजी उतनी कारगर साबित नहीं हुई. इस बार हमास ने साल्वो रॉकेट हमले (कम समय में लॉन्च किए गए कई रॉकेट) से हमला किया है. इसकी वजह से आयरन डोम सिस्टम के लिए सभी लक्ष्यों को भेदना मुश्किल हो गया. इस बार सिर्फ 20 मिनट में 5,000 से ज्यादा रॉकेट लॉन्च किए गए. ये सिस्टम कम दूरी के टारगेट को पहले ही भांप लेता है और उसे सेकंड में ध्वस्त कर देता है, लेकिन अगर एक बार हजारों रॉकेट दागे जाएं तो ये चूक सकता है.
कई बदलाव भी किए गए
आयरन डोम सिस्टम के निर्माता राफेल दावा करते हैं कि इस एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम की सफलता दर 90 प्रतिशत है और अब तक 2,000 से अधिक हमलों को नाकाम कर चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयरन डोम प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए इजयराल समय-समय पर नए बदलाव करता रहता है. इससे पहले मई, 2021 में फिलिस्तान और इजरायल के बीच संघर्ष करीब दो हफ्ते चला था. इस दौरान फिलिस्तीन की ओर से इजरायल पर 4,500 से अधिक रॉकेट दागे गए थे.
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