इजराइल (Israel) ने हिज्बुल्लाह चीफ (Hezbollah Chief) हसन नसरल्लाह (Hassan Nasrallah) को मार गिराया है. नसरल्लाह लेबनान की राजधानी बेरूत के दहीह क्षेत्र में छिपा था. इसकी जानकारी इजराइली सेना आईडीएफ को मिली थी. आईडीएफ ने तुरंत नसरल्लाह को मारने के लिए अपनी कमान कस ली. इजराइल ने नसरल्लाह का खात्मा करने के लिए अमेरिका में बने 900 किलोग्राम के मार्क-84 सीरिज के बमों का इस्तेमाल किया. Mark 84 बम को BLU-117 भी कहते हैं. इस बम को बंकर-बस्टर के नाम से भी जाना जाता है. मार्क-84 बम इतना खतरनाक होता है, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
मार्क-84 बम को बनाया गया है बंकरों को तबाह करने के लिए
आपको मालूम हो कि अमेरिका द्वारा बनाए गए मार्क-84 बम को बंकरों या भूमिगत जगहों को तबाह करने के लिए बनाया गया है. इसमें एक हार्ड स्टील कवर होता है, जो इसे विस्फोट करने से पहले कंक्रीट या अन्य किलेबंदी में गहराई तक घुसने में मदद करता है. इसके बाद इसमें से एक शक्तिशाली विस्फोटक पेलोड निकलता है. यह इसे अत्यधिक संरक्षित सैन्य बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए विशेष रूप से बेहद कारगर बनाता है. इस बम के आगे कोई बंकर नहीं टिक पाता है. इजराइल ने इसी बम से 30 फीट से अधिक नीचे बंकर में बैठे नसरल्लाह को मौत के घाट उतार दिया.
इन युद्दों में मार्क-84 बम का हो चुका है उपयोग
मार्क-84 बम का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिका ने 1972 में वियतनाम युद्ध में किया था. वियतनाम में जहां इस बम को गिराया गया था, उस जगह पर मौजूद करीबन 97 लोगों की एक ही बार में मौत हो गई थी. इसके बाद इस बम को इराक युद्ध और अफगानिस्तान युद्ध के दौरान भी गिराया गया. इस बम का उपयोग 1999 में यूगोस्लाविया पर बमबारी के लिए भी किया गया था. इजराइल नसरल्लाह को मारने से पहले भी मार्क-84 बम का कई बार गाजा युद्ध में प्रयोग कर चुका है.
इजराइल को कहां से मिले ऐसे बम
इजराइल को मार्क-84 बम अमेरिका से मिले हैं. यूएस ने साल 2023 से 2024 के बीच 14 हजार से अधिक मार्क-84 बम इजराइल को दिए हैं. इसका इस्तेमाल इजराइली सेना ने हमास से युद्ध के दौरान गाजा पट्टी में बड़े पैमाने पर किया था. अमेरिका और इजराइल के अलावा ये खतरनाक बम ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली और नीदरलैंड सहित कुछ अन्य देशों के पास भी हैं.
मार्क-84 बम वजन के अनुसार है इस स्थान पर
मार्क-84 बम का वजन सामान्य तौर पर 900किलो होता है. यह एक जनरल परपज बम है. इसका मतलब यह है कि यह धमाका कर सकता है. बंकर उड़ा सकता है. इमारत गिरा सकता है. भयानक तबाही मचा सकता है. अमेरिका ने जब इसे बनाया था तो यह वजन के हिसाब से 6800 किलोग्राम के BLU-82 डेजी कटर और 1400 किलो के M118 डेमोलिशन बम के बाद तीसरा सबसे बड़ा बम था. इसके बाद साल 1991 में 2 300 किलोग्राम के GBU-28, साल 2003 में 10300 केजी के GBU-43/B मैसिव ऑर्डनेंस एयर ब्लास्ट बम (MOAB) और 14000 किग्रा के मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर के शामिल होने के कारण मार्क-84 यानी एमके-84 बम मौजूदा वक्त में आकार में छठे स्थान पर है.
दुनिया में हैं चार वैरिएंट मौजूद
पूरी दुनिया में मार्क-84 बमों के अभी चार वैरिएंट GBU-10 Paveway 1, GBU-15, GBU-24 Paveway 3 और GBU-31 JDM मौजूद हैं. इनका औसत वजन 894 से 1000 किलो तक होता है. हालांकि अमेरिका ने इन बमों को 14 हजार किलो तक का भी बना लिया है. ये बम बड़ी इमारतों या हथियार डिपो को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल होते हैं.
क्या है मार्क-84 बम की खासियत
1. मार्क-84 बम में असली वजन इसके पंख, फ्यूज विकल्पों के आधार पर 894 से 945 किग्रा तक होता है.
2. इस बम पर एक स्टील का कवच होता है, जिसमें 429 किग्रा ट्रिटोनल उच्च विस्फोटक भरा होता है.
3. मार्क 84 बम के धमाके से 50 फीट (15 मीटर) चौड़ा और 36 फीट (11 मीटर) गहरा गड्ढा बना सकता है.
4. यह बम 15 इंच (38 सेमी) धातु या 11 फीट (3.4 मीटर) कंक्रीट में घुस सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे किस ऊंचाई से गिराया गया है.
5. यह बम 400 गज (370 मीटर) के दायरे में घातक विखंडन का कारण बनता है.
6. इन बमों का आगे का हिस्सा खास तरह से बना होता है, ताकि ये अपने वजन और ग्रैविटी का फायदा लेकर तेज स्पीड से जमीन के अंदर चले जाएं. इसके बाद ये फटते हैं.
7. इसमें दो चार्ज होते हैं. पहला छोटा होता है जो टारगेट पर छेद करता है. दूसरा बड़ा हिस्सा अंदर जाकर भयानक विस्फोट करता है.
8. मार्क-84 के बमों को JDAMs पंखों और GPS नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करके एक गाइडेड बम में बदल दिया जाता है.
9. मार्क-84 बमों के पीछे की तरफ रिटार्डर्स, पैराशूट या पॉप-आउट फिन्स होते हैं, जो आसमान से गिरते समय बम की गति को धीमा करते हैं ताकि इसे गिराने वाले फाइटर जेट या विमान को बम की रेंज से दूर जाने का मौका मिल जाए.