कुवैत के मंगाफ की एक इमारत में भीषण आग लग गई. जिसमें 50 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर है. इसमें 40 से अधिक भारतीय शामिल हैं. मरने वालों में ज्यादातर भारतीय मजदूर हैं. कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय मजदूर काम करते हैं. इसमें ड्राइवर, बढ़ई, राजमिस्त्री, घरेलू कामगार, फूड डिलीवरी और कूरियर डिलीवरी शामिल हैं. कुवैत में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं. साल 2023 में कुवैत की कुल आबादी 48.59 लाख थी. इसमें से 61 फीसदी मजदूर और कर्मचारी थे. कुवैत की 21 फीसदी आबादी भारतीय है. जबकि कुवैत में 30 फीसदी कामगार भारतीय हैं.
कैसी है भारतीय कामगारों की जिंदगी-
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुवैत में 10 लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं. लेकिन उनकी हालत ठीक नहीं है. उनको काफी दिक्कतों में अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ती है. भारतीय मजदूर निर्माणधीन इमारतों के छोटे कमरों या लेबर कैंप्स में रहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक-एक कमरे में 10 से 15 मजदूर रहते हैं. इसके अलावा भारतीय मजदूरों से तय समय से ज्यादा घंटे तक काम कराने के भी आरोप लगते रहे हैं. कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि विवाद में मजदूरों की सैलरी भी रोक दी जाती है. इसके साथ ही उत्पीड़न की शिकायतें बहुत ज्यादा हैं.
कितनी मिलती है सैलरी-
कुवैत समेत तमाम खाड़ी देशों में भारत के मुकाबले ज्यादा कमाई होती है. इसलिए ज्यादातर लोग खाड़ी के देशो में काम करने जाते हैं. इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन रेगुलेशन के नियमों के मुताबिक विदेश में काम करने वाले भारतीय मजदूरों के लिए मिनिमम रेफरल सैलरी तय किया गया है. भारत ने कुवैत में काम करने वाले मजदूरों के लिए 64 तरह के कामों के लिए हर महीने सैलरी 300 से 1050 डॉलर के बीच तय की थी. ज्यादातर मजदूर केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब से जाते हैं. इसलिए भारत सरकार ने इन राज्यों के साथ मिलकर साल 2016 में ये वेतन तय किया था. MRW की तरफ से कवर किए जाने के लिए भारतीय मजदूरों को विदेश मंत्रालय के eMigrate पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा.
10 लाख रुपए का मिलता है बीमा-
कुवैत में बढ़ई, राजमिस्त्री और ड्राइवर 300 डॉलर प्रति महीने की न्यूनतम कैटेगरी में आते हैं. जबकि हैवी व्हीकल ड्राइवर और घरेलू कामकारों की सैलरी इन लोगों से थोड़ी अच्छी होती है. 30 साल से कम उम्र की महिलाओं को हाउसमेड, घरेलू वर्कर, हेयरड्रेसर, ब्यूटिशियन, डांसर और मजदूर के तौर पर रोजगार के लिए मंजूरी नहीं दी जाती है. विदेश मंत्रालय मजदूरों का रिकॉर्ड रखता है.
भारत कुवैत में काम करने वाले भारतीयों के लिए प्रवासी भारतीय इश्योरेंस पॉलिसी चलाता है. इसके तहत भारतीय मजदूरों की मौत या स्थाई विकलांगता के मामले में 10 लाख रुपए कवरेज दिया जाता है. इसके साथ ही विवाद की सूरत में कानूनी खर्च भी देता है. इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से खाड़ी देशों में काम करने वाले मजदूरों के लिए एडवाइजरी जारी की जाती रहती है.
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