मालदीव की संसद में विपक्ष और सत्ता पक्ष के सांसदों के बीच हुई धक्कामुक्की के नजारे पूरी दुनिया देख रही है. सांसदों ने एक-दूसरे पर हमले किए. इस दौरान कुछ सांसदों को चोटें भी आई हैं. आखिरकार संसद में सत्ता पक्ष यानी राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार कैबिनेट में 4 सदस्यों को लाना चाहती है. लेकिन जब ये प्रस्ताव संसद में गया तो विपक्ष ने इसका विरोध किया. इसी को लेकर दोनों पक्षों में धक्कामुक्की हुई. लेकिन सवाल उठता है कि जब मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति हैं तो उनका सदन में बहुमत क्यों नहीं है? विपक्ष संसद में कैसे ताकतवर है? चलिए आपको मालदीव के पूरे सियासी सिस्टम के बारे में बताते हैं.
संसद में क्यों हुई धक्कामुक्की-
मालदीव में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (PPM) और पीपल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) की गठबंधन की सरकार है. मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति हैं. सरकार 4 नए सदस्यों को कैबिनेट में लाना चाहती है. सरकार इसका प्रस्ताव संसद में लेकर आई. लेकिन विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेकिट पार्टी (MDP) ने इसका विरोध किया.
इसके बाद सत्ता पक्ष के सांसदों ने हंगामा किया. इस दौरान सांसद अब्दुल्ला शहीम अब्दुल हकीम शहीम और अहमद ईसा में हाथापाई हुई. इस दौरान दोनों स्पीकर की कुर्सी के पास गिर गए. चोट लगने की वजह से सांसद शहीम को अस्पताल ले जाना पड़ा.
इन 4 सदस्यों के लिए हुई धक्कामुक्की-
मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू की कैबिनेट में 4 सदस्यों को शामिल करने को लेकर संसद में धक्कामुक्की हुई. जिन सदस्यों को मंजूरी दिए जाने को लेकर सदन में हंगामा हुआ, उसमें अटॉर्नी जनरल अहमद उशम.. हाउसिंग, लैंड एंड अर्बन डेवलपमेंट मंत्री डॉ. अली हैदर, इस्लामिक मामलों के मंत्री मोहम्मद शहीम अली सईद और आर्थिक, व्यापार विकास मामलों के मंत्री मोहम्मद सईद शामिल हैं.
क्या है मालदीव का सियासी सिस्टम-
मालदीव में प्रेसिडेंशियल रिप्रेजेंटेटिव सिस्टम काम करता है. राष्ट्रपति सरकार का मुखिया होता है. सरकार कार्यकारी शक्तियां का इस्तेमाल करती है. लेकिन राष्ट्रपति को अपने कैबिनेट की नियुक्ति के लिए संसद से इजाजत लेनी होती है. मालदीव में सांसद और राष्ट्रपति का चुनाव अलग-अलग होता है. चलिए इसके बारे में बताते हैं.
सांसद का चुनाव कैसे होता है-
मालदीव की संसद को पीपुल्स मजलिस कहते हैं. संसद के पास कानून बनाने, संशोधन करने का अधिकार है. साल 2019 तक पीपुल्स मजलिस में 87 सदस्य होते थे. लेकिन 18 दिसंबर 2023 को यह संख्या घटाकर 80 कर दी गई है. मजलिस के सदस्यों को 5 साल के लिए चुना जाता है. नई मजलिस के लिए देश में आम चुनाव होते हैं. मालदीव में सांसदों का चुनाव आखिरी बार साल 2019 में हुआ था. राष्ट्रपति मजलिस में 8 सदस्यों की नियुक्ति करते हैं.
मजलिस सत्र की शुरुआत और समापन का अधिकार स्पीकर के पास होता है. सत्र शुरू करने के लिए 26 सदस्यों की उपस्थिति जरूरी है. हर साल फरवरी महीने के आखिरी गुरुवार को राष्ट्रपति सदन को संबोधित करते हैं. इस दौरान वो सरकार के कामकाज के बारे में बताते हैं. सदन में वार्षिक बजट पारित किया जाता है.
कैसे होता राष्ट्रपति का चुनाव-
मालदीव में राष्ट्रपति को सीधे जनता चुनती है. हर 5 साल के बाद राष्ट्रपति का चुनाव होता है. चुनाव में जिस उम्मीदवार को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिलते हैं, उनको राष्ट्रपति चुना जाता है. अगर किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी वोट नहीं मिलते हैं तो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है. इनमें से जो सबसे ज्यादा वोट पाता है उसे राष्ट्रपति चुना जाता है. साल 2023 के आखिर में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे. जिसमें मोहम्मद मुइज्जू ने जीत हासिल की थी. उन्होंने इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था. मोहम्मद मुइज्जू को 54 फीसदी वोट मिले थे.
सरकार और विपक्ष में घमासान क्यों-
मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू हैं, जो पीपीएम और पीएनसी गठबंधन सरकार के मुखिया है. जबकि संसद में विपक्षी दल एमपीडी का बहुमत है. राष्ट्रपति को कैबिनेट में 4 सदस्यों को शामिल करने के लिए संसद से मंजूरी की जरूरत है. लेकिन सदन में विपक्ष का बहुमत है. इसलिए इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल रही है. 17 मार्च 2024 को मालदीव में मजलिस के लिए चुनाव होंगे. अगर मुइज्जू की पार्टी जीतती है तो उनके लिए सरकार चलाना आसान हो जाएगा. अगर चुनाव में विपक्षी पार्टी की जीत होती है तो मुइज्जू के लिए और भी मुश्किल भरे दिन आ सकते हैं.
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