क्या है Mehdi Foundation International, जिससे जुड़ा है बंगलुरु का 'शर्मा' परिवार... पाकिस्तान में क्यों बैन है यह संगठन

बंगलुरु में फर्जी नाम से रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों का संबंध Mehdi Foundation International से है. यह संगठन पाकिस्तान में बैन है और इसके सदस्यों का पाकिस्तान में उत्पीड़न किया जाता है, जिसके कारण बहुत से लोग बांग्लादेश और भारत आते हैं.

Riaz Ahmed Gohar Shahi (Photo: Wikipedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 02 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

शर्मा के फर्जी नाम से रह रहे चार पाकिस्तानी नागरिकों के एक परिवार को बेंगलुरु के बाहरी इलाके से गिरफ्तार किया गया. राशिद अली सिद्दीकी (48), उनकी पत्नी आयशा (38), और उनके माता-पिता हनीफ मोहम्मद (73) और रूबीना (61) 2014 से अवैध रूप से भारत में रह रहे थे. गिरफ्तारी के समय चारों राजापुरा गांव में शंकर शर्मा, आशा रानी, ​​राम बाबू शर्मा और रानी शर्मा के नाम से रह रहे थे. 

उन्होंने फर्जी पासपोर्ट और आधार कार्ड बनवाए थे. सिद्दीकी एक ऑनलाइन फूड आउटलेट चला रहा था और गैरेज में इंजन ऑयल भी सप्लाई करते थे. द इंडियि एक्सप्रेस के मुताबिक, चारों ने पुलिस को बताया है कि वे मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल (MFI) से जुड़े हुए हैं, जिसके लिए उन्हें पाकिस्तान में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. 

क्या है मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल 
मेहदी फाउंडेशन, जिसे 'मसीहा फाउंडेशन' के नाम से भी जाना जाता है, 1970 के दशक में पाकिस्तान में शुरू किया गया था. इसकी स्थापना रियाज़ अहमद गौहर शाही ने की थी जो एक पाकिस्तानी स्प्रिचुअल लीडर थे. उनके नाम पर MFI को पहले रियाज़ गौहर शाही इंटरनेशनल कहा जाता था.  2002 में इसे औपचारिक रूप से एमएफआई नाम दिया गया था. इस संगठन का उद्देश्य 'गौहेरियन फिलोसॉफी ऑफ डिवाइन लव' को प्रमोट करना है. यह संगठन सभी धर्मों के बीच शांति, सद्भाव, धर्म से परे मानवता और सूफी परंपराओं का प्रचार करता है. 

पाकिस्तान में होता है MFI का विरोध 
एमएफआई का दावा है कि आज, इसकी उपस्थिति कई एशियाई देशों, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसकी लोकप्रियता पाकिस्तान में इस्लामी मौलवियों को रास नहीं आती है. MFI अध्यक्ष और यूनाइटेड किंगडम में शरण लेने वाले पाकिस्तानी नागरिक अमजद गौहर के अनुसार, परवेज मुशर्रफ के पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, एमएफआई सदस्यों के खिलाफ सैकड़ों ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गए और कई लोग मारे गए. 

अमजद गौहर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पाकिस्तान में इस्लामी मौलवी हमारे संगठन के विचार से खुश नहीं थे. हमारा मानना ​​है कि ईश्वर की नजर में सभी बराबर हैं, लेकिन मौलवी इसके खिलाफ थे. इस्लाम के बारे में हमने जो भी सवाल उठाया, उसे पाकिस्तान में अपराध के रूप में देखा गया.''

पाकिस्तान में गैर-कानूनी है MFI
गौहर शाही सहित एमएफआई सदस्यों के खिलाफ ईशनिंदा के मामले दर्ज किए गए थे. पाकिस्तान सरकार ने गौहर शाही की लिखी किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया और एमएफआई को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत एक गैर-कानूनी संगठन घोषित कर दिया. 

अमजद ने कहा कि पाकिस्तान में उनके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा मामले हैं और वह कभी देश नहीं लौटेंगे. मेहदी फाउंडेशन के कुछ नेताओं को ईशनिंदा के मामलों में दोषी ठहराया गया है, उन्हें 99 साल की जेल और यहां तक ​​​​कि मौत की सजा भी मिली है. गौहर शाही और मेहदी फाउंडेशन के खिलाफ आरोपों में विधर्म और उन मान्यताओं को बढ़ावा देने के दावे शामिल हैं जो रूढ़िवादी इस्लामी शिक्षाओं के विपरीत हैं. 

MFI सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार 
पाकिस्तान में धार्मिक अधिकारियों ने संगठन पर मुसलमानों को गुमराह करने और इस्लामी सिद्धांतों का अनादर करने का आरोप लगाया है. इन आरोपों के कारण गौहर शाही को काफिर घोषित करने के लिए फतवे (धार्मिक आदेश) जारी किए गए, जिससे उनके अनुयायियों का जीवन और भी खतरे में पड़ गया. 

2000 के दशक के मध्य में, ईशनिंदा के आरोप में एमएफआई के पांच सदस्यों को नग्न कर घुमाया गया और पीटा गया. 2008 में, एमएफआई के सदस्य मोहम्मद इकबाल की पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हत्या कर दी गई थी. 2009 में, एमएफआई के एक अन्य सदस्य पारस मसीह की कराची में हत्या कर दी गई थी.

आज, एमएफआई पाकिस्तान में काम नहीं करता है और एमएफआई से संबंधित किसी भी सूचना का प्रसार अपराध माना जाता है. सरकार ने एमएफआई के इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.

भारत ने दी है MFI के सदस्यों को शरण 
पाकिस्तान में MFI के सदस्यों के साथ हिंसात्मक मामलों के बाद, बहुत से एमएफआई सदस्य बांग्लादेश और भारत आए. 2007 में, लगभग 63 पाकिस्तानी एमएफआई सदस्यों ने भारत के लिए टूरिज्म वीजा लिया और नई दिल्ली पहुंचने पर, पाकिस्तान दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने अपने पाकिस्तानी पासपोर्ट और वीजा जला दिए. इन लोगों को अवैध रूप से भारत में रहने के लिए गिरफ्तार किया गया था. लेकिन भारत सरकार ने 2011 में उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया और उन्हें कनाडा, अमेरिका और यूरोप के देशों में भेज दिया गया. वर्तमान मामले में अभी पुलिस प्रशासन की कार्यवाई जारी है. 

इस बीच, MFI ने कहा कि वह बात का समर्थन नहीं करते कि उनके सदस्य कानूनों का उल्लंघन करें, लेकिन वे पाकिस्तान की स्थिति के कारण हताश हैं. उनका कहना है कि किसी को यह समझना होगा कि सदस्य पाकिस्तान से तभी भागे जब उनके लिए वहां रहना बहुत मुश्किल हो गया. अमजद गौहर का कहना है कि उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि इन लोगों को पाकिस्तान न भेजा जाए, क्योंकि वहां वे मारे जाएंगे. उन्हें भारत में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या तब तक मदद दी जानी चाहिए जब तक उन्हें रहने के लिए कोई देश नहीं मिल जाता. उन्होंने कहा कि वे जो उपदेश देते हैं वह भारत के विचार से काफी मिलता-जुलता है. भारत सभी धर्मों को स्वीकार करता है और उनका सम्मान करता है. 

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