Israel Agency Mossad: किलिंग मशीन के नाम से विख्यात... हनी ट्रैप का भी करती है इस्तेमाल... जानें आतंकियों को मारने वाली इजराइली एजेंसी मोसाद का इतिहास

Israel की खुफिया एजेंसी Mossad अपने दुश्मनों को उनके ही देश में घुसकर मारने के लिए जानी जाती है. इस एजेंसी के पास टॉप क्लास के सीक्रेट एजेंट, शार्प शूटर और कातिल हसीनाओं समेत कई तरह के जासूस हैं. मोसाद अपना निशाना कभी चूकती नहीं है. 

Mossad (Photo Credit: Haim Zach)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST
  • इजराइल ने 13 दिसंबर 1949 को किया था मोसाद का गठन 
  • हर परिस्थिति से निपटने को तैयार रहते हैं मोसाद के एजेंट्स

हमास (Hamas) के राजनीतिक शाखा प्रमुख इस्माइल हानिया (Ismail Haniyeh) की हत्या कर दी गई है. हानिया की ईरान (Iran) की राजधानी तेहरान स्थित उसके घर में हत्या की गई है. आशंका जताई जा रही है कि इजराइल (Israel) की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने इसे अंजाम दिया है.  

मोसाद के एजेंट्स इससे पहले भी अपने देश की सीमा से बाहर जाकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं. आपको मालूम हो कि इजराइल-हमास के बीच पिछले साल अक्टूबर में शुरू हुए संघर्ष के बाद इजराइली सरकार ने हमले का बदला लेने और इसके जिम्मेदारों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की चेतावनी जारी की थी. आइए इस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी संगठन के बारे में जानते हैं.  

कब हुआ था मोसाद का गठन 
इजराइल ने आतंकवाद से लड़ने के लिए मोसाद का गठन 13 दिसंबर 1949 को किया था. मोसाद का हेडक्वाटर इजराइल के तेल अवीव-याफो में है. इसे 1951 में इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कर दिया गया. यह एजेंसी इजराइली पीएम को ही रिपोर्ट करती है.

इस खुफिया एजेंसी के पहले डायरेक्टर रियूवेन शिलोआ थे. उनके बाद इससर हरल डायरेक्टर बने. हरल ने इस एजेंसी को खूंखार बना दिया. वर्तमान समय में मोसाद के पास टॉप क्लास सीक्रेट एजेंट, हाईटेक इंटेलीजेंस टीम, शार्प शूटर और कातिल हसीनाओं समेत कई तरह के जासूस और गुप्त योद्धाओं की फौज है.

दुश्मनों को खत्म करके ही लेती है दम 
मोसाद सिर्फ गुप्त सूचनाएं जुटाने वाली ही संस्था नहीं है, बल्कि यह इजराइल के दुश्मनों को खत्म करके ही दम लेती है. इसी कारण से इसे जासूसी की दुनिया का किलिंग मशीन भी कहा जाता है. मोसाद के एजेंट्स इतनी सफाई से काम को अंजाम देते हैं कि कोई सबूत भी नहीं बचता. मोसाद हनी ट्रैप का भी इस्तेमाल करती है. इजराइल में मोसाद के अलावा दो और बड़े खुफिया संगठन अमन और शिन हैं. 

मोसाद अपना निशाना कभी नहीं चूकती 
मोसाद के एजेंट अपने टारगेट को लेकर पूरी रिसर्च करते हैं. इसके बाद ही मिशन को अंजाम देते हैं. यही कारण है कि मोसाद अपना निशाना कभी नहीं चूकती है. यह खुफिया एजेंसी मिशन को अंजाम देने के बाद की परिस्थितियों से निपटने का भी इंतजाम पहले से करके रखती है.

इस एजेंसी के एजेंट अक्सर ऑपरेशन चलाने के लिए झूठी या छद्म नाम वाली आईडी का इस्तेमाल करते हैं. इसके एजेंट खास नेटवर्क के जरिए जुड़े होते हैं. इसके कारण उन्हें दुनियाभर में कहीं भी जरूरी संसाधन हासिल करने में परेशानी नहीं होती है. 

विदेशों में ऑपरेशन चलाने के लिए स्थानीय लोगों की भर्ती
मोसाद विदेशों में अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए स्थानीय लोगों की भर्ती करती है. मोसाद की ऑपरेशनल विंग का नाम केसारिया है. यह खासतौर पर अरब देशों में जासूसों को तैनात करती है.

यह इन जासूसों के जरिए अहम जानकारियां एकत्र करती है. खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए ड्रोन से लेकर सेटेलाइट या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की भी मदद लेते हैं. मोसाद खुफिया जानकारी साझा करने के लिए अन्य खुफिया एजेंसियों के साथ भी सहयोग करती है. इजराइल के दुश्मनों का खात्मा मोसाद की किडॉन यूनिट के एक्सपर्ट करते हैं.  

मोसाद का दुश्मनों पर कार्रवाई करने का पुराना है रिकॉर्ड
1. मिग 21 का अपहरण
1960 में सोवियत संघ रूस का मिग-21 सबसे उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता था. इसे पाने में जब अमेरिका की सीआईए विफल रही तो फिर मोसाद की महिला एजेंट ने 1964 में इसे कर दिखाया. मिग-21 फाइटर की टेक्निक को समझने के लिए उसे एक तरह से अगवा कर लिया था.  इस मिशन को पांच एजेंट्स ने पूरा किया था. हालांकि इस मिशन में शामिल एक मोसाद एजेंट पकड़ा गया था. बाद में उसे फांसी दे दी गई थी. 

2. अर्जेंटीना में सीक्रेट मिशन
मोसाद ने साल 1960 में अर्जेंटीना में एक सीक्रेट मिशन को अंजाम दिया था. नाजी युद्ध के अपराधी एडोल्फ एकमैन को अपहरण करके उसे इजराइल लेकर आ गई थी. बाद में मुकदमा चलाकर उसे सजा दी गई थी. 

3. ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड
म्यूनिख ओलंपिक के दौरान फिलस्तीनी आतंकियों ने जर्मनी में इजराइल के 11 खिलाड़ियों की हत्या कर दी थी. ब्लैक सेप्टेम्बर नाम के संगठन ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. इस घटना के बाद खुफिया एजेंसी मोसाद ने बदला लेने के लिए ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड शुरू किया था. म्यूनिख हमले के पीछे रहे ब्लैक सेप्टेम्बर संगठन के एक-एक सरगना को दुनियाभर में  ढूंढ कर मारा था. 

4. ऑपरेशन थंडरबोल्ट
अरब के आतंकियों ने फ्रांसीसी विमान का हाइजैक कर लिया था. उस विमान में इजराइल के 94 नागरिक थे. मोसाद ने अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया था.  आतंकियों से बातचीत दौरान ही मोसाद ने हमला कर आतंकियों को मार गिराया था और अपने नागरिकों को छुड़ा लिया था. हालांकि इस ऑपरेशन में इजराइली पीएम बेंजमिन नेतन्याहू के भाई योनातन नेतन्याहू की जान चली गई थी. 

5. इन आतंकियों को मार गिराया था 
मोसाद ने ईरान में घुस कर अलकायदा के नंबर दो आतंकी अल मसरी और अबु मोहम्मद को मार गिराया था. फिलस्तीनी नेता यासिर अराफात के राइट हैंड खलील अल वजीर उर्फ अबू जिहाद को ट्यूनिशिया में टूरिस्ट बनकर गए मोसाद के एजेंट ने परिवार के सामने ही 70 गोलियां मारी थीं. मोसाद ने 2010 में दुबई में जाकर महमूद अल मबूह की हत्या की थी.

6. एटामिक जानकारी कर ली थी चोरी 
मोसाद ने साल 2018 में तेहरान के एक गोदाम से ईरान के परमाणु अभिलेखागार को चुराने के लिए एक जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया था. इजराइल के वैज्ञानिक वनुनु दूसरे देशों को गुप्त जानकारी दे रहे थे. वह विदेश भाग गए थे. मोसाद ने वैज्ञानिक वनुनु को वापस अपने देश लाकर सजा देने के लिए हनी ट्रैप का भी इस्तेमाल किया था. सिंडी नाम से जानी गई एक महिला ने वनुनु को अपने प्रेम जाल में फंसा लिया और वापस इजराइल ले आई थी.

 

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