टोंगा ज्वालामुखी का धमाका हिरोशिमा पर बरसाए गए परमाणु बम से 500 गुना ज्यादा ताकतवर : NASA

दक्षिण प्रशांत महासागर के टोंगा द्वीपों के बीच हुए ज्वालामुखी विस्फोट को एक सप्ताह से ज्यादा समय हो गया है. विस्फोट 15 जनवरी को हुआ था. नासा का कहना है कि टोंगा में ज्वालामुखी फटने से ऐसी सुनामी भड़की, जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से सैकड़ों गुना अधिक शक्तिशाली थी.

Volcanic Eruption, Tonga
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST
  • टोंगा की आबादी के 80 प्रतिशत लोग हुए प्रभावित
  • हैजा और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है

दक्षिण प्रशांत महासागर के टोंगा द्वीपों के बीच हुए ज्वालामुखी विस्फोट को एक सप्ताह से ज्यादा समय हो गया है. विस्फोट 15 जनवरी को हुआ था. नासा का कहना है कि टोंगा में ज्वालामुखी फटने से ऐसी सुनामी भड़की, जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से सैकड़ों गुना अधिक शक्तिशाली थी. एजेंसी ने कहा कि विस्फोट ने टोंगन की राजधानी Nuku'alofa के उत्तर में एक ज्वालामुखी द्वीप को विस्फोट कर दिया. टोंगा का कहना है कि सुनामी और गिरती राख से चार-पांचवें से अधिक आबादी प्रभावित हुई है. पिछले सप्ताह आई सुनामी में तीन लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी. 

नासा का कहना है कि विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि दो पुराने द्वीपों के बड़े हिस्से के साथ नई भूमि भी चली गई. विस्फोट से ज्वालामुखी की राख, गैसों और कणों का व्यापक उत्सर्जन टोंगन अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुआ है।

बीमारियों का रहता है खतरा
विस्फोट और सूनामी के तुरंत बाद ऐसी आशंका थी कि राख की मोटी चादर से जल स्रोत प्रदूषित हो गए हैं, जिससे हैजा और दस्त जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. हालांकि, अधिकारियों ने बताया कि हाल के दिनों में परीक्षण ने भूजल और वर्षा जल को पीने के लिए सुरक्षित माना है. लेकिन ज्वालामुखी की महीन राख और उत्सर्जन सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बने हुए हैं. इसका एक्सपोजर संभावित रूप से सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है. यह कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को प्रभावित कर सकता है. इससे फेफड़ों, आंखों और त्वचा को भी नुकसान पहुंच सकता है.

सैकड़ो गुना अधिक शक्तिशाली
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के मुख्य वैज्ञानिक जेम्स गारविन ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान पर गिराए गए दो परमाणु बमों में एक का विस्फोट हिरोशिमा में हुआ था, जबकि टोंगा के समीप ज्वालामुखी में हुआ विस्फोट इससे सैकड़ों गुणा अधिक शक्तिशाली था. नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी वेबसाइट पर गर्विन ने कहा, यह एक शुरुआती अनुमान है लेकिन हमें लगता है कि विस्फोट से निकलने वाली उर्जा की मात्रा 04 से 18 मेगाटन टीएनटी के बीच कहीं के बराबर थी. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के एक भूभौतिकीविद् माइकल पोलैंड ने कहा कि 1883 में इंडोनेशियाई ज्वालामुखी के विस्फोट 'क्राकाटाऊ' के बाद से यह सबसे जोरदार विस्फोट हो सकता है.

टोंगा की आबादी के 80 प्रतिशत लोग हुए प्रभावित

रक्षा मंत्री पीनी हेनारे ने कहा, 'न्यूजीलैंड लौटने से पहले विमान के 90 मिनट तक जमीन पर रहने की उम्मीद है.' संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने घटना में तीन लोगों की मौत होने, घायलों और मकानों को हुए नुकसान एवं प्रदूषित पानी की ओर संकेत देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मानवीय अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार टोंगा की आबादी के 80 प्रतिशत से अधिक यानी लगभग 84,000 लोग ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित हुए हैं.

 

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