अमेरिका के नए राष्ट्रपति औपचारिक तौर पर जल्द ही शपथ लेने वाले हैं. अमेरिका में डोनाल़्ड ट्रंप (Donald Trump) की ताजपोशी में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. 20 जनवरी 2025 को शपथ लेने के बाद ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका की गद्दी पर काबिज होने वाले हैं.
दोबारा राष्ट्रपति के पद (US President) पर डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले की सरकारी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं. करीब ढाई महीने से चल रहा सत्ता हस्तांतरण का काम भी लगभग पूरा हो चुका है.
अमेरिका का राष्ट्रपति निवास व्हाइट हाउस डोनाल्ड ट्रंप के लिए तैयार है. बस ट्रंप का इंतजार है. डोनाल्ड ट्रंप के शपथ समारोह में दुनिया भर के नेता आएंगे. ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले कौन सी प्रक्रिया बाकी है. शपथ समारोह में क्या-क्या होगा? आइए इस बारे में जानते हैं.
ट्रंप की जीत पर मुहर
अमेरिका में एक बार फिर से ट्रंप राज शुरु होने जा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति के पद की शपथ लेंगे. वो अगले चार साल के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की सत्ता पर काबिज रहेंगे. उससे पहले अब से कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी कांग्रेस की बैठक में चुने गए इलेक्टर्स के वोटों की औपचारिक गिनती होने वाली है. इसमें राष्ट्रपति पद पर ताजपोशी के लिए ट्रंप की विजय पर मुहर लगेगी.
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया के तहत इलेक्टर्स के वोटों की गिनती 6 जनवरी को अमेरिकी कांग्रेस की बैठक में होती है. इसके जरिए राष्ट्रपति चुनाव में जीतने वाली का औपचारिक ऐलान किया जाता है. अमेरिकी कांग्रेस की बैठक में राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप की जीत का आधिकारिक एलान होगा.
अमेरिका में चुनावी मतगणना के बाद 6 नवंबर 2024 को ही ट्रंप को विजेता मान लिया गया था लेकिन यह घोषणा औपचारिक नहीं थी. 6 जनवरी 2025 को ऑफिशियल ऐलान किया जाएगा. उसके बाद ही नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी यानी शपथ ग्रहण होगा.
ट्रंप लेंगे शपथ
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने पर नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होता है. यह प्रक्रिया 7 नवंबर से 20 जनवरी तक यानी 75 दिनों में पूरी होती है. इसे ट्रांजिशन पीरियड कहा जाता है. इन 75 दिनों में पिछली सरकार और नई सरकार के बीच सत्ता के हस्तांतरण का काम पूरा किया जाता है. नए स्टाफ की नियुक्ति की जाती है.
सत्ता हस्तांतरण की सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे. 20 जनवरी को तय कार्यक्रम के तहत अमेरिका के चीफ जस्टिस कैपिटल हिल के पास नवनियुक्त राष्ट्रपति ट्रंप को शपथ दिलाएंगे. इसके बाद नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बतौर राष्ट्रपति पहला भाषण देंगे.
शपथ ग्रहण के बाद एक औपचारिक प्रेसिडेंशियल लंच होगा. इसमें सुप्रीम कोर्ट के जज समेत बड़े अधिकारी शामिल होंगे. भोज के बाद कैपिटल हिल से लेकर व्हाइट हाउस तक प्रेसिडेंशियल परेड निकलेगी. इसमें नए राष्ट्रपति जनता से रूबरू होंगे. परेड के साथ ट्रंप व्हाइट हाउस पहुंचेंगे. वहां प्रेसिडेंशियल डिनर का भी आयोजन होगा.
समारोह के मेहमान
कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने शपथ समारोह के लिए कई विदेशी राष्ट्राध्यक्षों और राजनेताओं को भी न्योता दे रहे हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में विदेशी मेहमानों के शामिल होने की परंपरा नहीं रही है. अगर ट्रंप के शपथ समारोह में विदेशी नेता शामिल होते हैं तो यह नई परंपरा की शुरूआत होगी.
मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन भी ट्रंप के शपथ ग्रहण में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, ट्रंप उनके शपथ समारोह से दूर रहे थे. माना जा रहा कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से एक दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन डीसी में एक बड़ी रैली करने वाले हैं. ट्रंप की विक्ट्री रैली 19 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के कैपिटल वन एरिना में होगी. इस रैली में भारी तादाद में ट्रंप के समर्थक इकट्ठा हो सकते हैं.
पहला दिन कैसा रहेगा?
माना जा रहा है कि अपने दूसरे कार्यकाल के पहले ही दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक साथ 25 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर दस्तखत कर सकते हैं. पहले कार्यकाल के पहले दिन ट्रंप ने सिर्फ एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पास किया था. वहीं मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के पहले दिन 17 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए थे. इस आर्डर से ट्रंप के कई फैसलों को पलट दिया था.
भारत के साथ रिश्ते
इतिहास गवाह है कि ट्रंप अपने और अमेरिका के हितों पर जोर देते रहे हैं. ट्रंप के अमेरिका की सत्ता में आने से भारत को कुछ फायदा होगा. हालांकि, कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं. जिनमें सहयोग बढ़ाना दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहेगा. माना जा रहा है कि ट्रंप राज में भारत और अमेरिका के बीच खासतौर से रक्षा संबंधों को और मजबूती मिल सकती है.
ट्रंप काल में अमेरिका से भारत को हथियारों का निर्यात बढ़ सकता है. दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में भी बढ़ोतरी हो सकती है. एशिया में भारत ही अमेरिका का सबसे बड़ा और मजबूत रणनीतिक साझेदार है. एशिया में चीन को रोकने के लिए भारत को साथ लेकर चलना ही होगा.
ट्रंप की वीज़ा नीति को लेकर पैदा उलझनें भारत की चिंता बढ़ा सकती हैं. माना जा रहा है कि अगर ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के समान 'एच-1बी' वीजा नियमों पर सख़्ती जारी रखते हैं तो भारतीयों को परेशानी हो सकती है. हालांकि 'एच-1बी' वीजा को लेकर अभी ट्रंप और उनके सबसे बड़े सिपहसालार इलॉन मस्क की सोच में बड़ा फर्क दिख रहा है.