तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन पाकिस्तान के दौरे पर है. इस दौरान उन्होंने कश्मीर का राग अलापा है. एर्दोगन ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को बातचीत के जरिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए हल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तुर्किये आज भी कश्मीरी भाइयों के साथ खड़ा है.
एर्दोगन पिछले 2 दशक से तुर्की की सत्ता पर काबिज हैं. एर्दोगन ने एक साधारण फैमिली के घर पैदा हुए थे. लेकिन अपनी जमीनी पकड़ की बदौलत वो तुर्किये के सबसे बड़े लीडर के तौर पर खुद को स्थापित किया. चलिए आपको बताते हैं कि एक कोस्टगार्ड के घर पैदा हुए एर्दोगन कैसे तुर्किये के सबसे बड़े लीडर बन गए.
13 साल की उम्र में इस्तांबुल पहुंचे-
एर्दोगन का जन्म 26 फरवरी 1954 को तुर्किये के कासिमपाशा में हुआ था. उनके पिता टर्किश कोस्टगार्ड में कप्तान थे. जब एर्दोगन 13 साल के थे, तब उनका परिवार इस्तांबुल पहुंचा था. 5 बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए एर्दोगन के पिता इस शहर में गए थे. उनका परिवार एक साधारण परिवार था. लेकिन पिता ने उनकी परवरिश में कोई कमी नहीं होने दी.
युवा एर्दोगन ने नींबू पानी बेचा-
जब एर्दोगन थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने पैसा कमाने का फैसला किया. इसके लिए उनको नींबू पानी और तिल के बन्स बेचने पड़े. इसके अलावा एर्दोगन बचपन में पोस्टकार्ड खरीदते थे और सैलानियों को बेचते थे. एर्दोगन की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई एक इस्लामिक स्कूल में हुई.इसके बाद उन्होंने इस्तांबुल के मरमारा यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की. एर्दोगन एक प्रोफेशनल फुटबॉल प्लेयर थे. इसकी वजह से वो छात्र नेताओं के संपर्क में आए और जल्द ही सियासत में एक्टिव हो गए.
एर्दोगन का सियासी करियर-
1970-80 के दशक में वो इस्लामिस्ट हलकों में एक्टिव हुए. उन्होंने एक पार्टी ज्वाइन की. 1990 के दशक में एर्दोगन की लोकप्रियता में उभार आया. साल 1994 में वो इस्तांबुल के मेयर बने और अगले 4 साल तक इस शहर में शासन किया.
एर्दोगन के मेयर का कार्यकाल उनकी एक राष्ट्रवादी कविता की वजह से हुआ. उनपर नस्लीय घृणा फैलाने का दोषी पाया गया. इसके लिए एर्दोगन को जेल में डाल दिया गया. 4 महीने जेल में बिताने के बाद वो फिर से सियासत में लौटे. एर्दोगन तो सियासत में सक्रिय हो गए, लेकिन उनकी पार्टी को सेकुलर सिंद्धातों के उल्लंघन को लेकर बैन लगा दिया गया.
साल 2001 में एर्दोगन ने अब्दुल्ला गुल के साथ मिलकर एक नई पार्टी बनाई. ये पार्टी पूरी तरह से इस्लामिक विचारों वाली थी. साल 2002 में उनकी पार्टी AKP को संसदीय चुनावों में बहुमत मिला और अगले साल एर्दोगन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया.
2 दशक से सत्ता पर कब्जा-
एर्दोगन साल 2003 में प्रधानमंत्री बने. इसके बाद से वो लगातार सत्ता पर बने हुए हैं. शासन के पहले दशक में एर्दोगन ने तुर्किये के आधुनिकीकरण पर फोकस किया. इसके लिए कई योजनाएं बनाई. इंटरनेशनल लेवल पर उनकी खूब तारीफ भी हुई.
साल 2013 में एर्दोगन की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए. प्रदर्शनकारी रात 9 बजे विरोध की भावना से बर्तन बजाते थे. एर्दोगन ने विरोध प्रदर्शन को पुलिस के बल पर दबा दिया. इस प्रदर्शन पर पुलिसिया कार्रवाई में 22 लोगों की मौत हुई.
28 अगस्त 2014 को एर्दोगन तुर्किये के 12वें राष्ट्रपति बने. उसके बाद से वो अब तक राष्ट्रपति के पद पर काबिज हैं.
तुर्किये में किए कई बदलाव-
एर्दोगन ने एक दशक तक शासन करने के बाद कई बड़े बदलाव किए. उन्होंने पब्लिक सर्विस में महिलाओं के सिर पर स्कार्फ पहनने पर लगे बैन को हटाने का प्रस्ताव रखा. इस बैन को साल 1980 में सैन्य तख्तापलट के बाद लागू किया गया था. इसके साथ ही सेना, पुलिस और न्यायपालिका में भी महिलाओं के लिए बैन हटा लिया गया. उन्होंने कहा कि वो तुर्कों के अपने धर्म को अधिक खुले तौर पर व्यक्त करने के अधिकारों का समर्थन करते हैं.
एर्दोगन ने किसी भी मुस्लिम परिवार को जन्म नियंत्रण या परिवार नियोजन के बारे में नहीं सोचने की बात कही.
एर्दोगन ने साल 2020 में इस्तांबुल के ऐतिहासिक हागिया सोफिया को मस्जिद में बदल दिया था. जिससे ईसाई समुदाय नाराज हो गया. इसे 1500 साल पहले गिरजाघर के तौर पर बनाया गया था और इसे ओटोमन तुर्कों ने मस्जिद बना दिया था.
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