फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को अपनी "ग्रे लिस्ट" में बनाए रखा. पाक को जून 2022 तक के लिए ग्रे लिस्ट की सूची में रखा गया है. FATF ने कहा है अभी पाकिस्तान को आतंकी नीतियों को लेकर और सक्रिय होने की जरूरत है, जल्द से जल्द इसकी जांच कराई जाए और आंतकवाद पर रोक लगाई जाए. साथ ही आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों को इसके खिलाफ और जांच के निर्देश दिए गए.
बहुपक्षीय प्रहरी (Multilateral Watchdog)ने अपनी पूर्ण बैठक के खत्म होने पर घोषणा की कि पाकिस्तान ने कार्य योजना में 27 में से 26 को पूरा किया है, जिससे देश को ग्रे सूची में शामिल करने के लिए दिया गया था. पाकिस्तान बार-बार लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के शीर्ष नेताओं की जांच और मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त प्रयास करने में विफल रहा है.
पाक करे मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ नई कार्य योजना लागू
हालांकि इसने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को आतंकी वित्तपोषण के कई मामलों में गिरफ्तार किया और उस पर मुकदमा चलाया, लेकिन सबूतों के अभाव में लश्कर के अन्य नेताओं का मुकदमा विफल हो गया. पिछले साल, FATF ने पाकिस्तान से मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने के लिए एक नई कार्य योजना लागू करने के लिए भी कहा था.
मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ जांच जारी रखे पाक - FATF
एफएटीएफ (FATF)के बयान में कहा गया है कि जून 2021 के बाद से, पाकिस्तान ने अपने एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण व्यवस्था में सुधार की दिशा में "तेज कदम" उठाए हैं. बयान में कहा गया है, "पाकिस्तान को अपनी 2021 की कार्य योजना में मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ जांच और अभियोजन की सकारात्मक और निरंतर प्रवृत्ति का प्रदर्शन करके काम करना जारी रखना चाहिए." इसके साथ ही FATF ने यूक्रेन में जारी जंग में जान गंवाने वालों पर गहरा दुख व्यक्त किया.
क्या है FATF ?
FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, इसका मकसद मनी लॉड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना है. इसकी स्थापना वर्ष 1989 में एक अंतर-सरकारी निकाय के रूप में G7 के पहल पर हुई थी. FATF की सिफरिशों को साल 1990 में पहली बार लागू किया था. FATF द्वारा दो लिस्ट जारी की जाती हैं. इसमें 'ग्रे लिस्ट' और 'ब्लैक लिस्ट' शामिल हैं. यह दोनों ही एक तरह के दंड हैं जो देशों को मनी लॉड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग में शामिल होने को लेकर दिया जाता है.
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