Explainer: तालिबान और पाकिस्तान की लड़ाई में पिस रहे लाखों अफगानिस्तानी, क्यों शरणार्थियों को जबरन बाहर कर रहा पाक, कब गए थे ये लोग, यहां जानिए

पाकिस्तान के गृह मंत्री ने अपने ही लोगों को चेतावनी दी है कि यदि किसी ने अफगानों को पनाह दी तो उनकी खैर नहीं. कोई भी पाकिस्तानी नागरिक यदि अवैध अप्रवासियों को रूम किराए पर देता है तो उसे अपराध में भागीदार माना जाएगा.

पाकिस्तान में रह रहे लाखों अफगानिस्तानी (फाइल फोटो)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST
  • पाक में रह रहे 17 लाख अफगानिस्तानियों के पास कोई दस्तावेज नहीं
  • पाकिस्तान ने 31 अक्टूबर तक देश छोड़ने का सुनाया था फरमान

पाकिस्तान की ओर से अवैध रूप से रह रहे अफगान नागरिकों को देश छोड़कर जाने की समय सीमा खत्म हो गई है. बुधवार को सुरक्षा बलों ने कई ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें हिरासत में ले लिया और दर्जनों अफगान नागरिकों को देश से बाहर भेज दिया. आइए आज जानते हैं इन लोगों को अपने देश से क्यों खदेड़ रहा पाक और ये लोग कब इस देश में गए थे.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने की पाक की आलोचना
इस्लामाबाद के अनुसार, यह कार्रवाई नई प्रवासी-विरोधी मुहिम के तहत की गई है, जिसमें सभी अप्रमाणित या गैर पंजीकृत विदेशियों को निशाना बनाया गया है. इससे करीब 20 लाख अफगान नागरिक प्रभावित होंगे, जो बिना दस्तावेज के पाकिस्तान में रह रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इस मुहिम की आलोचना की है. उधर, काबुल अधिकारियों ने निर्वासन आदेश को क्रूर और बर्बर बताते हुए इसकी निंदा की है और चेतावनी दी है कि इससे इस्लामाबाद के साथ संबंधों में और गिरावट आएगी. 

मानवाधिकार संकट उठ खड़ा होगा
अब सवाल है कि संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर की उस चेतावनी का क्या होगा कि पाकिस्तान ऐसा कोई भी कदम न उठाए. संस्था का मानना है कि पाकिस्तान इतनी बड़ी तादाद में गैर कानूनी रूप से उस देश में बसे अफगानियों को निकालता है तो एक भीषण मानवीय मुसीबत खड़ी हो सकती है. यूएनएचसीआर ने पाकिस्तान से कहा है कि अवैध शरणार्थियों के प्रति ऐसा न किया जाए. 

संस्था का कहना है कि हो सकता है देश से निकाले जाने वाले शरणार्थियों का शोषण हो, हो सकता है वे गिरफ्तार कर लिए जाएं या शायद उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़े. वे क्या करेंगे, कैसे कमाएंगे, कहां जाएंगे? इससे बहुत बड़ा मानवाधिकार संकट उठ खड़ा होगा. यूएनएचसीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से अवैध शरणार्थियों को वापस भेजने के ऐलान के बाद से करीब 60 हजार अफगानी पहले ही अफगानिस्तान लौट चुके हैं. 

शरणार्थियों को चुकानी पड़ रही कीमत
अफगान शरणार्थियों की बड़े पैमाने पर वापसी और व्यापार के लिए कानूनी बाधाओं को कड़ा करने से अफगानिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर भी दबाव पड़ेगा, जो अंतरराष्ट्रीय सहायता पर बहुत अधिक निर्भर है. आलोचकों का कहना है कि अफगान शरणार्थियों को दोनों सरकारों के बीच मतभेद की कीमत चुकानी पड़ रही है.

पाकिस्तान के गृह मंत्री ने कार्रवाई को दृढ़ संकल्प का बताया प्रमाण
पाकिस्तान के गृह मंत्री सरफराज बुगती ने इस बात की पुष्टि की कि अफगान नागरिकों को देश से वापस भेजने की कार्रवाई शुरू हो गई है. बुगती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, आज हमने 64 अफगान नागरिकों को अलविदा कहा. वे घर वापसी की अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं. उन्होंने कहा, यह कार्रवाई उचित दस्तावेज के बिना देश में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को वापस भेजने के पाकिस्तान के दृढ़ संकल्प का एक प्रमाण है.

किसी ने अफगानों को पनाह दी तो खैर नहीं
पाकिस्तान ने इस महीने अवैध प्रवासियों के देश छोड़कर जाने के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा की घोषणा की थी. पाकिस्तान के गृह मंत्री ने अपने ही लोगों को चेतावनी दी है कि यदि किसी ने अफगानों को पनाह दी तो उनकी खैर नहीं. उन्होंने कहा कि कोई भी पाकिस्तानी अफगान सहित गैर-दस्तावेज आप्रवासियों को आश्रय प्रदान करता हुआ पाया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोई भी पाकिस्तानी नागरिक अगर अवैध अप्रवासियों को घर या रूम किराए पर देता है, तो उसे अपराध में भागीदार माना जाएगा.

पाकिस्तान में अफगानियों की स्थिति
पाकिस्तान में लगभग 40 लाख अफगानी रहते हैं जिनमें से 17 लाख के पास कोई दस्तावेज नहीं है. पाकिस्तान अफगानों को क्यों निर्वासित कर रहा है? इसके पीछे विश्लेषकों का कहना है कि बड़े पैमाने पर बेदखली के पीछे बढ़ता उग्रवाद, आर्थिक संकट और सबसे ज्यादा पाकिस्तान और तालिबान सरकार के बीच खटास है. पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि हाल के महीनों में पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हमलों की संख्या में वृद्धि के बाद, पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे अफगानों का यहां रहना हमारे लिए खतरा है.

क्यों अफगानियों को बाहर कर रहा पाकिस्तान 
अक्टूबर की शुरुआत में बेदखली आदेश की घोषणा करते समय कार्यवाहक मंत्री बुगती ने संवाददाताओं से कहा, जनवरी से अब तक 24 आत्मघाती हमले हुए हैं, इन 24 में से 14 अफगान नागरिकों द्वारा किए गए थे. पाकिस्तान ने तालिबान सरकार पर उन आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाह देने का आरोप लगाया है, जिनके बारे में उसका कहना है कि वे हमलों के पीछे हैं. इसमें पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) प्रमुख है.

बेरोजगारी दर कम होने की उम्मदी
20 लाख अफगानों के निर्वासन से पाकिस्तान अपने बेरोजगारी के आंकड़ों में कमी देखने की उम्मीद कर रहा है. हालांकि, इस कदम से पाकिस्तान की मुद्रास्फीति दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि पाकिस्तानी आम तौर पर बिना दस्तावेज वाले अफ़गानों को वापस भेजने का समर्थन करते रहे है. क्योंकि लंबे समय तक शरणार्थियों की मौजूदगी से देश के बुनियादी ढांचे पर भारी बोझ पड़ता है.

अफगानिस्तान कर रहा पश्तून बहुल क्षेत्रों के कुछ हिस्सों पर अपना दावा
अफगानिस्तान लंबे समय से पाक के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के पश्तून बहुल क्षेत्रों के कुछ हिस्सों पर अपना दावा करता रहा है. तालिबान काल में भी वह मांग वापस नहीं ली गई. पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा काबुल की सत्ता पर कब्जा करने के बाद, पाकिस्तान ने 2,700 किमी लंबी सीमा पर कंटीले तार लगाने शुरू कर दिए. लेकिन तालिबान शासकों की कड़ी आलोचनाओं के कारण काम शुरू नहीं हो सका. हाल ही में पाकिस्तान विरोधी अभियान के दौरान अफगान तालिबान बलों ने भी कई बार सीमा को अवरुद्ध किया है. परिणामस्वरूप, सीमा पर झड़पें भी हुई हैं. इस वजह से भी पाकिस्तान अपने देश से अफगान नागरिकों को बाहर कर रहा है.

क्यों पहुंचे अफगानिस्तान से ये लोग पाकिस्तान
पाकिस्तान दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थियों की मेजबानी करने वाले देशों में से एक है. 1979 में उसने अफगानिस्तान पर हमला किया ताकि तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार को बचा सके. हालांकि उसका शासन ज्यादा नहीं टिका. कई मुजाहिदीन गुट उसके खिलाफ इकट्ठा हो गए. चारों तरफ आतंक का माहौल था. सोवियत हर अफगानी पर शक करता यही हाल मुजाहिदीनों का था. इसी दौर में करीब 50 लाख अफगानियों ने अपना देश छोड़ दिया. 

इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान गए, जबकि कुछ प्रतिशत पश्चिमी देशों तरफ निकल गया. शरणार्थियों की दूसरी बड़ी खेप 2021 में पाकिस्तान पहुंची, जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद कम से कम 6,00,000 अफगान पाकिस्तान भाग गए थे. जबकि लगभग साढ़े 3 लाख लोग अपने ही देश में विस्थापितों की तरह जी रहे हैं. 

कैसे पहुंचते अफगान से पाकिस्तान
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ढाई हजार किलोमीटर की सीमा जुड़ती है. इसे डुरंड रेखा या वखान कॉरिडोर भी कहते हैं. वैसे तो ये बॉर्डर सुरक्षा बलों से घिरा हुआ है, लेकिन तब भी कहीं न कहीं चूक हो ही जाती है. इसके अलावा ब्लैक मार्केट में फर्जी कागजात बनवाकर भी बहुत से लोग एंट्री पा रहे हैं. ज्यादातर लोग सीमा पार करने के बाद नजदीकी इलाकों में बस जाते हैं, जैसे खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांत में. ये इलाके डुरंड रेखा के करीब हैं. आर्थिक तौर पर मजबूत अफगानी पाकिस्तान के मुख्य शहरों जैसे इस्लामाबाद और कराची तक भी जाते हैं, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या कम है क्योंकि पुलिस की नजर में आने का डर रहता है.

 

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