जापान (Japan) में कीट-पतंगों और टिड्डियों (Grasshoppers) को खाने का ट्रेंड फिर से वापस आ गया है. जापानी खानपान (Japanese Food) में कीट-पतंगों (Insects) और टिड्डियों की एंट्री फिर से हो गई है. इसकी भी एक खास बात वजह है, जो चौंकाने वाली है. इतना ही नहीं बल्कि लोग बाजार से पैकेट में झींगुर, बांस के कीड़े और रेशमकीट भी खरीद रहे हैं.
बढ़ रहा है कीट-पतगों को खाने का ट्रेंड
दरअसल, कीट-पतंगों को खाने का ये ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है. इसे एंटोमोफैगी, कहते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने 2050 तक 9.7 अरब की अनुमानित वैश्विक आबादी को खिलाने की चुनौती से निपटने के लिए कीड़ों को एक प्रोटीन सोर्स के रूप में मान्यता दी है. एंटोमोफैगी, भोजन के रूप में कीड़ों को खाने की प्रथा है. दुनिया भर की अलग-अलग संस्कृतियों में ये प्राचीन परंपरा रही है. हालांकि, पहले से ही ये प्रथा चल रही है लेकिन अब ये फिर से ट्रेंड में आ गई है.
जापान की पाक परंपरा
हालांकि कुछ लोगों को कीड़े खाने का विचार अरुचिकर लग सकता है, लेकिन जापान में कीड़ों पर आधारित डिशेज का एक समृद्ध इतिहास रहा है. ये ट्रेंड विशेष रूप से दूसरे विश्व युद्ध के बाद से चला जब भोजन की कमी हो गई थी. जिन लोगों के घर बंद होते थे वे ऐसे क्षेत्रों में रहते थे जहां टिड्डे, रेशम के कीड़ों और ततैया होते थे. तभी से भूख मिटाने के लिए पारंपरिक रूप से इनका सेवन किया जाता था.
जापान की कंपनियां अपना रही हैं ये प्रथा
जापानी कंपनियों ने भी अब इस प्रवृत्ति को अपना लिया है, राष्ट्रीय बेकरी ब्रांड पास्को क्रिकेट के आटे से बने केक और स्नैक्स पेश करता है. खाद्य निर्माता निचिरेई और टेलीकॉम निप्पॉन टेलीग्राफ और टेलीफोन ने भी बग इंडस्ट्री में निवेश किया है. वहीं, कुछ समय पहले जब स्कूल के दोपहर के भोजन और नाश्ते में पाउडर वाले कीड़ों के उपयोग ने मीडिया का खूब ध्यान आकर्षित किया थी.
60 से ज्यादा डिश बनाई जा रही है
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, टेक-नोको के संस्थापक, टेको सैटो एक ऐसे भविष्य की कल्पना करते हैं जहां कीड़ों को एक अलग श्रेणी नहीं माना जाएगा, बल्कि सब्जियों, मछली और मांस के साथ उनका आनंद लिया जाएगा. उनकी कंपनी, टेको इंक, पारंपरिक भोजन में क्रांति लाने के उद्देश्य से, बिच्छू और टारेंटयुला सहित 60 से अधिक आर्थ्रोपोड डिश पेश करती है.