Mazargues War Cemetery: France के Marseille शहर पहुंचे PM Modi, इस वार मेमोरियल में जाकर भारतीय शहीदों को दी श्रद्धांजलि, क्या थी इस युद्ध की कहानी, यहां जानिए

PM Modi France Visit: मजारग्यूज वॉर सिमेट्री एक स्मारक है. इसे प्रथम विश्व युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है. यहां पर पीएम मोदी ने बुधवार को शहीद वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी. आइए इस युद्ध की कहानी और मजारग्यूज वॉर सिमेट्री का इतिहास जानते हैं.

Prime Minister Narendra Modi (Photo:PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST
  • भारतीय शहीदों की याद में बनाया गया है मजारग्यूज वॉर सिमेट्री 
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस में 4 हजार भारतीय सैनिक हुए थे शहीद 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) इस समय दो देशों फ्रांस (France) और अमेरिका (America) के दौरे पर हैं. वह पहले फ्रांस पहुंचे हैं, जहां उनका स्वागत फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने गर्मजोशी के साथ किया. पीएम मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के साथ पेरिस में आयोजित एआई एक्शन समिट (Artificial Intelligence Action Summit) की अध्यक्षता करने के बाद 12 फरवरी को मार्सिले ( Marseille) शहर पहुंचे.

इसक बाद पीएम मोदी ने मजारग्यूज वॉर सिमेट्री (Mazargues War Cemetery) में जाकर प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी उपस्थित थे. आइए जानते हैं इस युद्ध की कहानी और मजारग्यूज वॉर सिमेट्री का इतिहास?

पीएम मोदी ने एक्स पर किया पोस्ट 
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करने बताया कि मैं मार्सिले में लैंड कर चुका हूं. भारत की स्वतंत्रता की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है. मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए. वीर सावरकर की बहादुरी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी.

प्रथम विश्‍व युद्ध की कहानी
प्रथम विश्व युद्ध (First World War) 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध में करोड़ों लोगों की मौत हुई थी. इस युद्ध के होने के कई प्रमुख कारण थे. इस युद्ध के कारण जर्मनी की विस्तारवादी रणनीति से लेकर साम्राज्यवाद और सैन्यीकरण तक थे. इस युद्ध में केंद्रीय शक्तियों और मित्र देशों की सेनाओं में टक्कर हुई थी. ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने मित्र देशों की अधिकांश शक्तियों का निर्माण किया था.

इसमें बाद में अमेरिका भी शामिल हो गया था. जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गारिया और ओटोमन साम्राज्य जैसे प्रमुख देशों ने केंद्रीय शक्तियों का गठन किया था. प्रथम विश्व युद्ध में इंग्लैंड भी शामिल था. उस समय भारत पर ब्रिटेन का शासन था. इसके कारण भारतीय सैनिकों को भी इस युद्ध में शामिल होना पड़ा. भारतीय सैनिकों ने सम्राट जॉर्ज पंचम के प्रति व्यक्तिगत कर्त्तव्य की भावना से प्रेरित होकर भी इस युद्ध में हिस्सा लिया था. 

क्या है मजारग्यूज वॉर सिमेट्री
Mazargues War Cemetery एक स्मारक है. इसे प्रथम विश्व युद्ध में अपनी जान की बाजी लगा देने वाले भारतीय सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है. यहां पर पीएम मोदी ने बुधवार को शहीद वीर सपूतों को श्रद्धांजलि दी. आपको मालूम हो कि प्रथम विश्व युद्ध के समय जब जर्मनी की सेना ने बेल्जियम और लक्जमबर्ग पर हमला कर दिया था और इसके बाद फ्रांस की ओर बढ़ना शुरू किया था तो ब्रिटेन भी जर्मनी के खिलाफ युद्ध में कूद गया था. पश्चिमी मोर्चे पर ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को कड़ी टक्कर दी थी. उस समय फ्रांस का मार्सिले शहर सैनिकों के आवागमन का मुख्य केंद्र था. 

इतने हजार भारतीय सैनिक हुए थे शहीद 
इस शहर के बाहरी हिस्से में युद्ध बेस और अस्पताल की सुविधा दी गई थी. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की तरफ से फ्रांस में जर्मनी सैनिकों से लड़ते हुए लगभग 4 हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इन शहीदों में से अधिकांश को नूवे शेपल में दफन किया गया था. कुछ सैनिकों को मार्सिले में चार अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया था. 205 भारतीय जवानों को अस्थायी रूप से सेंट पियरे कब्रिस्तान में दफन किया गया था. 

प्रथम विश्व युद्ध खत्म होने के बाद मार्सिले शहर के अलग-अलग कब्रिस्तानों में दफन शहीदों के शवों और राख को निकालकर मजारग्यूज कब्रिस्तान में लाकर दफन किया गया. इसी क्रबिस्थान के पीछे 205 भारतीय सैनिकों की याद में एक स्मारक बनाया गया, जिसे मजारग्यूज वॉर सिमेट्री के नाम से जाना जाता है. इसका निर्माण कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव कमीशन ने किया था. फील्ड मार्शल सर विलियम बर्डवूड ने साल 1925 में इसका उद्घाटन किया था. मजारग्यूज वॉर सिमेट्री में दूसरे विश्व युद्ध के शहीद 267 सिपाही भी दफन हैं. आपको मालूम हो कि फ्रांस के कानून के मुताबिक इस देश में दाह संस्कार गैर कानूनी है. ऐसे में पहले विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए हिंदू और सिख सिपाहियों के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए विशेष अनुमति दी गई थी. शवदाह के लिए बंदरगाह के किनारे एक घाट भी बनाया गया था.

 

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