प्रधानमंत्री मोदी Samarkand SCO Summit में शिरकत करने के लिए आज उज्बेकिस्तान पहुंचेंगे. जहां 15 से 16 सितंबर को शिखर सम्मेलन होगा. बता दें कि इस बार की समिट उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में आयोजित की जा रही है और इसमें भारत की मौजूदगी काफी अहम है. कारण ये है कि इस शिखर सम्मेलन के बाद भारत सितंबर 2023 तक के लिए एससीओ समूह की अध्यक्षता करेगा और अगले साल भारत एससीओ समिट की मेजबानी करेगा. खास बात ये है कि इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से पीएम मोदी की मुलाकात होगी. लेकिन क्या चीन के राष्ट्रपति से पीएम मोदी की मुलाकात होगी, ये एक बड़ा सवाल है.
पिछला 2 सम्मेलन हुआ था वर्चुअल
बता दें कि तीन साल पहले, जब किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ समिट की बैठक हुई थी, तो उसमें प्रधानमंत्री मोदी शामिल हए थे. तीन साल बाद इस साल का शिखर सम्मेलन दुनिया में कोविड महामारी की चपेट में आने के बाद पहली इन-पर्सन मीट होगी. यानी एक मंच पर एशिया के दिग्गज आमने सामने बैठकर मीटिंग करेंगे. पिछले दो सम्मेलन वर्चुअल हुए थे.
2017 में भारत बना था सदस्य
वैसे एससीओ बना तो था एशिया महादेश के नए आजाद हुए देशों को भविष्य की नई आशा देने के लिए, लेकिन इस में जान तब आई जब 2017 में भारत इसका सदस्य बना. इसमें रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं.
1 साल तक ग्रुप की अध्यक्षता करेगा भारत
इस बार का शिखर सम्मेलन भारत के लिहाज से इसलिए भी अहम है, क्योंकि भारत 2023 तक यानी एक साल तक ग्रुप की अध्यक्षता करेगा. अगले साल भारत एससीओ समिट की मेजबानी करेगा. जिसमें चीन, रूस और पाकिस्तान के नेता शामिल होंगे.
एससीओ में चीन और रूस के बाद भारत सबसे बड़ा देश है. भारत के लिए यह चौथा मौका है, जब वो एक पूर्ण सदस्य के तौर पर इस सम्मेलन में शामिल हो रहा है. लेकिन बात सिर्फ इतनी नहीं है. SCO भारत के लिए एक ऐसा मंच है. जहां वो क्षेत्रीय मुद्दों पर चीन और पाकिस्तान के साथ रचनात्मक चर्चा में शामिल हो सकता है और अपने सुरक्षा हितों को उनके समक्ष रख सकता है. तो क्या इस बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पीएम मोदी की द्विपक्षीय मुलाकात होगी. ये भी एक बड़ा सवाल है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने इस संभावित बैठक के बारे में कुछ भी कहने से इनकार किया है, लेकिन SCO बैठक से पहले जिस तरह से भारत और चीन की सेनाओं में गोगरा हॉट स्प्रिंग के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से पीछे हटने को लेकर बात बनी है, उसे मुलाकात की भूमिका बनाने के तौर पर देखा जा रहा है.
सैन्य संघर्ष के बाद भारत-चीन के बीच हो सकती है पहली बैठक
समरकंद में अगर पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात होती है तो गलवान घाटी में जून 2020 में हुए सैन्य संघर्ष के बाद ये पहली बैठक होगी. इस दौरान चीन का पीठ में खंजर भोंकने वाला चेहरा भी सामने आया है. लिहाजा इस बार मोदी और जिनपिंग की मुलाकात अगर होती है तो भारत पहले से कहीं ज्यादा चौकन्ना और आत्मविश्वास से भरा होगा. जिसका सबूत अमेरिकी विरोध के बावजूद चीन और रूस के साथ मंच साझा करके प्रधानमंत्री मोदी दुनिया को देने जा रहे हैं.