जापान क्वाड और जी-7 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. इसमें भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिरोशिमा पहुंच गए हैं. क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर सबसे अधिक चिंता चीन को हो रही है. आइए जानते हैं आखिर ऐसा क्यों है, क्वाड क्या है और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
क्या है क्वाड
क्वाड यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग एक फोरम है. इसमें विश्व के चार देश इंडिया, यूएस, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं. क्वाड के प्राइमरी उद्देश्य हैं स्वतंत्र, खुले, समृद्ध और समावेशी इंडो पेसिफिक क्षेत्र के लिए काम करना है. चीन इस ग्रुप का हमेशा से विरोधी रहा है. उसका मानना है कि क्वाड का गठन चीन के गलत इरादों को देखते हुए किया गया है. हालांकि क्वाड देशों का कहना है कि इस ग्रुप का प्राइमरी उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा हितों की रक्षा करना है. यह फोरम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के लिए वैकल्पिक ऋण की पेशकश भी करता है. क्वाड के नेता समकालीन ग्लोबल मुद्दों जैसे टेक्नोलॉजी, क्लाइमेट चेंज, एजुकेशन आदि पर विचार साझा करते हैं.
स्थापना कब और कैसे हुई
क्वाड 2017 में अस्तित्व में आया, लेकिन इसकी शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई भूकंप और सुनामी के समय हुई. इस सुनामी ने भारत समेत कई देशों को नुकसान पहुंचाया था और इसी समय भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया साथ आए थे. इस ग्रुप को सुनामी कोर ग्रुप के नाम से जाना जाता है, जिसने राहत और बचाव कार्य में अहम भूमिका निभाई. हालांकि उद्देश्य पूरा होने के बाद यह समूह बिखर गया. क्वाड को बनाने का सबसे पहला विचार जापान ने दिया था. 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने पहल तो की लेकिन ऑस्ट्रेलिया के समर्थन न मिलने से गठजोड़ नहीं बना. इसके बाद 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने भी विचार बदला और क्वाड अस्तित्व में आ गया.
क्वाड से इंडिया को क्या फायदा
ऐसा माना जाता है कि क्वाड का मंच रणनीतिक रूप से चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य शक्ति का मुकाबला करता है. यदि भारत के किसी क्षेत्र पर चीन कब्जा करने के लिए हमला करता है तो भारत इस ड्रैगन का मुकाबला करने के लिए अन्य क्वाड देशों का समर्थन ले सकता है. भारत अपने नौसैनिक मोर्चे की मदद भी ले सकता है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक खोज कर सकता है. इसके अलावा भारत जब से क्वाड का अंग बना है उसने अपनी कई नीतियों में बदलाव किया है और इससे देश में निवेश बढ़ा है और रोजगार के नए अवसर मिले हैं. क्वाड से जुड़कर भारत संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले सकता है और साइबर सुरक्षा को भी बेहतर कर सकता है.
चीन को इस चीज का लगता है डर
चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी अपनी वर्चस्व चाहता है और क्वाड को इस पर एक नकेल के तौर पर देखता है. हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की दखल पर चीन हमेशा आग बबूला रहता है और वह इस समूह को एशियाई नाटो के रूप में बताता है. चीन शुरुआत में क्वाड देशों के एकजुट होने को बड़ी बात नहीं मानता था और उसे लगता था कि ये सभी देश एक साथ कभी आ भी नहीं पाएंगे. क्वाड के बनते ही चीन की यह गलतफहमी भी दूर हो गई. चारों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों की साझा समस्याओं पर काम कर रहे हैं. चाहे वो जलवायु परिवर्तन हो या कोई और समस्या. इसी को देखकर चीन परेशान है. अब चीन को डर है कि अगर क्वाड देश इन समस्याओं से पार पा लेते हैं तो वह हिंद प्रशांत क्षेत्र में दो कोड़ी का रह जाएगा.
हिरोशिमा में क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन
क्वाड का शिखर सम्मेलन शनिवार को जापान के हिरोशिमा में होगा.अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ समूह के नेता हिरोशिमा में शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर सहमत हुए हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करीन जीन-पियरे ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति बाइडन के ऑस्ट्रेलिया यात्रा स्थगित करने के बाद क्वाड नेताओं ने हिरोशिमा में शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदस्य देशों के नेता पिछले एक साल में क्वाड की प्रगति को चिह्नित करने के लिए एक साथ आ सकें. उन्होंने कहा कि शनिवार को जी-7 के अलावा, राष्ट्रपति बाइडन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, जापानी प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्वाड नेताओं की तीसरी व्यक्तिगत बैठक में भाग लेंगे.अमेरिका में ऋण संकट के कारण बाइडन ने ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी. जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने सिडनी में होने वाली क्वाड नेताओं की बैठक स्थगित कर दी थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का किया अनावरण
पीएम मोदी जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के न्योते पर हिरोशिमा गए हैं. उन्होंने G7 की बैठक में हिस्सा लेने से पहले यहां फुमियो से मुलाकात की और महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने दुनिया को शांति का संदेश भी दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिरोशिमा में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करने और उसका अनावरण करने का अवसर देने के लिए जापान सरकार को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी को महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलना चाहिए और विश्व कल्याण के मार्ग पर चलना चाहिए. महात्मा गांधी को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी. पीएम मोदी ने कहा कि हिरोशिमा में महात्मा गांधी की मूर्ति अहिंसा के विचार को आगे बढ़ाएगी.