ब्रिटेन (Britain ) में चंद घटों बाद यानी 4 जुलाई को हाउस ऑफ कॉमन्स (House of Commons) की 650 सीटों के लिए आम चुनाव शुरू होगा. इस बार ब्रिटेन की दो बड़ी पार्टियां कंजरवेटिव और लेबर पार्टी में कड़ी टक्कर की उम्मीद है.
पीएम ऋषि सुनक (PM Rishi Sunak) का भविष्य दाव पर लगा है. चुनाव सर्वेक्षण में कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Party) के मुकाबले लेबर पार्टी को बढ़त मिली हुई है. सुनक का मुकाबला लेबर पार्टी (Labor Party) के नेता कीर स्टार्मर (Keir Starmer) से है. स्टार्मर इंग्लैंड में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के पूर्व डायरेक्टर और अप्रैल 2020 से लेबर पार्टी के नेता हैं.
कब आएगा परिणाम
ब्रिटेन के आम चुनाव में भारतीय मूल के वोटर काफी अहम भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि सत्ताधारी पार्टी कंजरवेटिव ने इस बार 30 भारतीय मूल के लोगों को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं लेबर पार्टी ने 33 भारतीय मूल के नागरिकों को अपना उम्मीदवार बनाया है. ब्रिटेन में गुरुवार सुबह स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजे से मतदान शुरू होगा, जो रात 10 बजे तक चलेगा. मतदान खत्म होते ही मतगणना शुरू हो जाएगी. 5 जुलाई 2024 को सुबह परिणाम आ जाएगा. इसमें तय हो जाएगा इस बार किस पार्टी की सरकार बनेगी.
ऋषि सुनक पीएम के तौर पर पहली बार हैं वोटर्स के सामने
ब्रिटेन में जनवरी 2025 में आम चुनाव होने थे. कंजरवेटिव सरकार का कार्यकाल 17 दिसंबर 2024 को खत्म हो रहा था. लेकिन पीएम सुनक ने 22 मई को अपने निवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट से 4 जुलाई चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी. ऋषि सुनक पीएम के तौर पर चुनाव में पहली बार वोटर्स के सामने हैं. साल 2022 में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी ने चुनाव से पहले प्रधानमंत्री कौन होगा, इसका ऐलान नहीं किया था. 44 वर्षीय ऋषि सुनक ब्रिटेन में भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री हैं. सुनक ने अक्टूबर 2022 में पदभार संभाला था.
ब्रिटेन में कैसे होता है चुनाव
ब्रिटेन में हमारे देश की लोकसभा की तरह हाउस ऑफ कॉमन्स होता है. इसी तरह राज्यसभा को हाउस ऑफ लॉर्डस (House of Lords) कहते हैं. तीसरे भाग को संप्रभु (Sovereign) कहा जाता है. कानून बनाने के लिए एक साथ काम करने वाले इन तीन भागों को किंग-इन-पार्लियामेंट कहा जाता है. हाउस ऑफ कॉमन्स संसद का निर्वाचित निचला सदन है, जिसमें 650 सीटों के लिए हर पांच साल पर चुनाव होते हैं.
इसमें से जो भी राजनीतिक दल 326 सीटों पर जीत दर्ज कर लेता है या उसे इतने जीते हुए प्रत्याशियों का समर्थन मिल जाता है, उसके नेता को राजा या रानी सरकार बनाने का निमंत्रण देते हैं. संवैधानिक परंपरा के अनुसार प्रधानमंत्री सहित सभी सरकारी मंत्री हाउस ऑफ कॉमन्स या हाउस ऑफ लॉर्ड्स (हालांकि ये कम होता है) के सदस्य होते हैं. अधिकांश कैबिनेट मंत्री कॉमन्स से होते हैं, जबकि जूनियर मंत्री किसी भी सदन से हो सकते हैं.
चार देशों के लोग मतदान में लेते हैं हिस्सा
ग्रेट ब्रिटेन चार देशों इंग्लैंड, वेल्स, स्काटलैंड और उत्तरी आयरलैंड का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए यहां आम चुनाव में इन चारों देशों के निवासी हिस्सा लेते हैं. इंग्लैंड में इस चुनाव के लिए 543 सीटें, स्काटलैंड में 57, वेल्स में 32 और उत्तरी आयरलैंड में 18 सीटें हैं.
बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं वोट
भारत की तरह चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल ब्रिटेन में नहीं किया जाता है. इस देश में वोट बैलेट बॉक्स में डाले जाते हैं. चुनाव खत्म होते ही बैलेट बॉक्स काउंटिंग सेंटर पहुंचाए जाते हैं. यहां रातभर वोटों की गिनती होती है. सुबह होने तक स्पष्ट हो जाता है कि कौन-सी पार्टी जीत रही है. भारत की तरह ब्रिटेन में भी वोट देने के लिए 18 वर्ष का होना जरूरी है. यहां पर जेल में सजा काट रहे कैदियों और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों को वोट देने का अधिकार नहीं होता है.भारत की तरह ब्रिटेन में भी चुनाव हर पांच साल के बाद होता है.
डोर-टू-डोर कैंपेनिंग
भारत में जहां मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़ी चुनावी रैलियां और रोडशो नेता करते हैं, वहीं ब्रिटेन में बड़ी चुनावी रैलियों के बजाए डोर-टू-डोर कैंपेनिंग होती है. इसमें प्रत्याशी जनता के घर जाकर उन्हें लुभाते हैं. ब्रिटेन के आम चुनाव की खास बात ये भी है कि वहां आमतौर पर वोटिंग गुरुवार के दिन सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक होती है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. यहां कई चरणों में चुनाव होते हैं, जिसमें आमतौर पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डाले जाते हैं.
कैसे गठित होती है सरकार
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री का चयन महारानी करती हैं. वह लोकतंत्र का सम्मान करते हुए आम चुनाव की जीत के आधार पर प्रधानमंत्री चुनती हैं. आम तौर पर जिस पार्टी की सीटें ज्यादा होती हैं वही ब्रिटेन में सरकार बनाती है. हमारे देश की तरह ब्रिटेन में कम सीटें जीतने पर भी पार्टी अन्य पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बना सकती है. ब्रिटेन में बहुमत नहीं मिलने पर मौजूदा पीएम सत्ता में बना रहता है.
उसे गठबंधन सरकार बनाने का मौका दिया जाता है. इसके बाद प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रतिनिधि चुना जाता है, जो कि पहले से भी घोषित हो सकता है. प्रधानमंत्री विभिन्न विभागों के लिए प्रभारियों की नियुक्ति करता है और उनमें से ही वरिष्ठ लोग कैबनेट में शामिल होते हैं. यदि सबसे पार्टी सरकार बनाने में असफल हो जाती है तो फिर विपक्षी दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है.
क्यों फेन पार्टी के सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स में नहीं बैठते हैं
उत्तरी आयरलैंड के सांसद जीतने के बाद भी हाउस ऑफ कॉमन्स में नहीं जाते हैं. ब्रिटेन की संसद में बहुमत का आंकड़ा 326 सीटें हैं, लेकिन उत्तरी आयरलैंड की वजह से सरकार बनाने के लिए यह नंबर कम हो जाता है, क्योंकि यहां की सिन फेन पार्टी से जीतने वाले सदस्य संसद में अपनी सीट नहीं लेते हैं. 1917 से ही पार्टी के निर्वाचित सदस्य संसद में किसी भी बिल या मुद्दे पर वोट नहीं करते हैं.
पार्टी के सांसद हाउस ऑफ कॉमन्स में अपनी सीट पर नहीं बैठते हैं. साथ ही पार्टी के निर्वाचित सदस्य राजा के प्रति निष्ठा की शपथ लेने से इनकार करते हैं, जिस कारण उन्हें हाउस ऑफ कॉमन्स में वोट देने का अधिकार नहीं मिलता है. दरअसल, उत्तरी आयरलैंड में 18 संसदीय सीटें हैं. सिन फेन वहां की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी है. सिन फेन का अर्थ हम स्वयं है. 1906 में बनीं इस पार्टी का संकल्प है कि हम ब्रिटिश संसद से आयरिश यानी आयरलैंड का प्रतिनिधित्व वापस लेकर आयरलैंड गणराज्य (रिपब्लिक ऑफ आयरलैंड) बनाएंगे. पार्टी उत्तरी आयरलैंड में ब्रिटिश शासन को मान्यता नहीं देती है. वर्तमान में सिन फेन पार्टी के उत्तरी आयरलैंड से 7 सांसद हैं.
हाउस ऑफ कॉमन्स का मौजूदा समीकरण
कुल सीटें: 650
बहुमत: 326
कंजरवेटिव पार्टी: 344
लेबर पार्टी: 205
स्कॉटिश नेशनल पार्टी: 43
ग्रीन्स: 17
लिबरल डेमोक्रेट्स: 15
डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी: 7
सिन फेन: 7
प्लेड सिमरू: 3
सोशल डेमोक्रेटिक एंड लेबर पार्टी: 2
अल्बा पार्टी: 2
रिफॉर्म पार्टी: 1
अन्य: 3