ब्रिटेन के शाही परिवार के बारे में पूरी दुनिया को पता है. यहां तक कि इस रॉयल फैमिली से प्रेरित कई टीवी सीरिज और डॉक्यूमेंट्रीज भी बनी हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि जापान का शाही परिवार दुनिया में सबसे पुराने शाही परिवारों में से एक है. आपको जानकर हैरानी होगी कि परिवार की वंशावली छठी शताब्दी ईसा पूर्व की है, हालांकि टेनो (सम्राट) या सुमेरा-मिकोटो (स्वर्गीय संप्रभु) की उपाधि छठी या सातवीं शताब्दी में शासकों मे ग्रहण की थी और तब से इसका उपयोग किया जा रहा है.
दूसरे विश्व युद्ध के पहले तक जापान में शाही परिवार के राजा को ईश्वर का दर्जा दिया जाता था. हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान की रॉयल फैमिली में काफी कुछ बदल गया. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सम्राट शोवा (पर्सनल नाम हिरोहितो) का राज था. दूसरे विश्व युद्ध में सरेंडर करने के बाद शाही परिवार का ज्यादा फोकस देश को फिर संवारने और मॉडर्नाइज बनाने पर रहा. साल 1978 में हिरोहितो के देहांत के बाद उनके बेटे अकिहितो राजा बनें, जिन्होंने 2019 में खुद सत्ता अपने बेटे नरुहितो के हाथ में सौंप दी.
वर्तमान में, जापान के सम्राट नारुहितो हैं. और उनके भाई अकिशिनो क्राउन प्रिंस हैं. अकिशिनों के बाद वंशावली में उनके बेटे, प्रिंस हिसाहितो हैं. हाल ही में, राजकुमार हिसाहितो ने अपना 18वां जन्मदिन मनाया. जापान के लिए उनके राजकुमार का 18वां जन्मदिन बहुत बड़ा इवेंट था और इसके पीछे का कारण है जापान के शाही परिवार की वंशावली खत्म होने का खतरा.
40 साल बाद परिवार में जन्मा बेटा
जापान के राजकुमार हिसाहितो का जन्म साल 2006 में हुआ था. दिलचस्प बात यह है कि इस शाही परिवार में उनसे पहले किसी बेटे का जन्म साल 1965 में हुआ था जो उनके खुद के पिता, क्राउन प्रिंस अकिशिनो हैं. फिलहाल, सत्ता की दौड़ में प्रिंस हिसाहितो दूसरे पायदान पर हैं. उनके पिता के बड़े भाई सम्राट, नारुहितो के बाद उनके पिता अकिशिनो को राज मिलेगा और उनके बाद हिसाहितो को.
फिलहाल जापान बढ़ती उम्र और घटती जनसंख्या की समस्या से जूझ रहा है और इसका असर देश के शाही परिवार पर भी दिख रहा है. वर्तमान में, जापानी शाही परिवार में 17 सदस्य हैं, जिनमें सिर्फ चार पुरुष सदस्य हैं और हिसाहितो पूरे परिवार में सबसे युवा है. इस युवा प्रिंस से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं लेकिन चिंता यही है कि परिवार में और पुरुष सदस्य न होने से शाही वंशावली पर खतरा हो सकता है.
शाही परिवार का फैमिली ट्री
जापान के पूर्व सम्राट, अकिहितो और उनकी पत्नी मिशिको के दो बेटे हुए- वर्तमान सम्राट नारुहितो और क्राउन प्रिंस अकिशिनो. जबकि अकिहितो के भाई प्रिंस हिताची की कोई संतान नहीं है. इसलिए अकिहितो ने अपने बेटे नारुहितो को राजसिंहासन दिया. नारुहितो और उनकी पत्नी मसाको की एक ही बेटी है- राजकुमारी ऐको. वहीं, नारुहितो के भाई अकिशिनो और उनकी पत्नी किको के तीन बच्चे हैं.
उनकी दो बड़ी बेटियां, काको व माको और सबसे छोटे हैं प्रिंस हिसाहितो. इसके अलावा, दूसरे सदस्यों की बात करें तो परिवार में ज्यादातर बेटियां हैं. लेकिन साल 1947 का इंपीरियल हाउस लॉ जापान में बेटियों को उत्तराधिकारी बनने का अधिकार नहीं देता है. यह कानून जापान के शाही परिवार की वंशावली पर बढ़ते खतरे का मुख्य कारण माना जाता है.
क्या बदलेगा कानून या कुछ और है समाधान
साल 2006 में प्रिंस हिसाहितो के जन्म से पहले जापान के लोगों का मत था कि राजा नारुहितो की बेटी ऐको को राजसिंहासन का उत्तराधिकारी बनाया जाए. इस संबंध में देश में एक प्रपोजल पर चर्चा भी हुई लेकिन हिसाहितो के जन्म के बाद इसे खारिज कर दिया गया. इस कानून के मुताबिक, शाही परिवार की राजकुमारियों से किसी सामान्य नागरिक से शादी करने पर अपना रॉयल टाइटल छोड़ना पड़ता है. ऐसे में, उनकी संतान को शाही अधिकार नहीं मिलते और न ही वे उत्तराधिकारी हो सकते हैं.
ऐसे में, सरकार ने साल 2022 में प्रपोजल दिया था कि परिवार की बेटियों को शादी के बाद भी शाही उपाधि रखने की अनुमति मिले ताकि शाही परिवार की घटती आबादी को रोका जा सके. हालांकि, जापान के ज्यादातर लोग इस पक्ष में हैं कि बेटियों को शाही उत्तराधिकारी बनने का अधिकार मिले. इससे भी समस्या का समाधान हो सकता है.
पुराने शाही परिवारों को बहाल करना
इसके अलावा, एक और सुझाव पर चर्चा की जा रही है. और यह है शाही परिवार की उन शाखाओं को बहाल करना है जिन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान के आत्मसमर्पण के बाद खतम कर दिया गया था. यहा शाही परिवार से जुड़े दूसरे कुछ रॉयल स्टेट्स के परिवारों की बात हो रही है जिनका शाही टाइटल दूसरे विश्व युद्ध के बाद ले लिया गया था. क्योंकि युद्ध जीतने वाली शक्तियों का उद्देश्य जापान के शाही परिवार के प्रभाव को कम करना था. इन शाखाओं को शाही परिवार में वापस अपनाने से ज्यादा पुरुष उत्तराधिकारी होने की सम्भावना बढ़ जाएगी.
जापान की सरकार का भी मानना है कि सिर्फ एक उत्तराधिकारी होना जापान के सिकुड़ते शाही परिवार की समस्या का समाधान नहीं है. और ऐसे में उन्हें किसी न किसी तरह का बदलाव लाना होगा. इस बारे में जापान के लोगों की राय भी समय-समय पर ली जाती रही है और बहुत से लोगों का मत है कि बेटियों को राजसिंहासन मिलने का अधिकार दिया जाए.