कैसे हैं अबखाजिया और दक्षिण ओसेतिया के हालात, 2008 में रूस ने बनाया था देश

लेकिन रूस की मदद के बावजूद अबखाजिया का बुनियादी ढांचा रख-रखाव की कमी के चलते बिखर रहा है. बता दें कि अबखाजिया को केवल पांच देशों, रूस, निकारागुआ, सीरिया, नाउरू और वेनेज़ुएला से मान्यता मिली है. हैरान करने वाली बात तो ये है कि आज भी अबखाजिया के बस अड्डे भी सोवियत संघ के जमाने के हैं. 1990 के दशक से चली आ रही लड़ाई की वजह से यहां मलबों के ढेर लगे है. अबखाजिया की करेंसी रूस की रूबल है. देश की ज्यादातर संपत्तियों पर रूस का ही कब्जा है. दक्षिण ओसेतिया में तो ज़्यादातर लोगों के पास रूसी पासपोर्ट हैं.

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नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST
  • ये दोनों ही देश कभी जॉर्जिया का हिस्सा हुआ करते थे.
  • 1990 के दशक में अबखाजिया ने खुद को आजाद मुल्क घोषित कर दिया था
  • साल 2008 में रूस ने जॉर्जिया के दोनों हिस्सों को अलद देश की मान्यता दी थी.

यूक्रेन-रूस के बीच विवाद जारी है. मौजूदा हालात में जहां अमेरिका रूस के खिलाफ खड़ा है तो वहीं रूस ने यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों को स्वतंत्रता की मान्यता देने का ऐलान किया है. रूस जिस तरह अलग-अलग क्षेत्रों को स्वतंत्रता की मान्यता दे रहा है ऐसे में  रूस और जॉर्जिया के बीच की साल 2008 की लड़ाई याद आना मुमकिन है. ये लड़ाई रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ट्रांसकेशिया क्षेत्र में हुई थी. इस लड़ाई के दौरान रूस ने जॉर्जिया के दो क्षेत्रों दक्षिणी ओसेतिया और अबखाजिया का खूब इस्तेमाल किया था. ये दोनों ही देश कभी जॉर्जिया का हिस्सा हुआ करते थे. लेकिन 1990 के दशक में अबखाजिया ने खुद को आजाद मुल्क घोषित कर दिया था, लेकिन इसे गिने-चुने देशों ने ही मान्यता दी है. 

तो वहीं रूस ने इन दोनों ही देशो को साल 2008 की जॉर्जिया के साथ हुई लड़ाई में स्वतंत्रता की मान्यता तो जरूर दे दी थी लेकिन आज ये दोनों ही क्षेत्र गुमनामी की दुनिया में कहीं खो गए हैं.1930 के दशक से अबखाजिया, सोवियत संघ के गणराज्य जॉर्जिया का हिस्सा था, लेकिन इसे काफी ऑटोनोमी हासिल थी. 1931 से पहले अबखाजिया एक स्वतंत्र इलाका हुआ करता था. जब 1991 में जॉर्जिया ने सोवियत संघ से आजादी का एलान किया, तो अबखाजिया के बाशिंदों को लगा कि उनकी स्वायत्तता तो खत्म हो जाएगी. इसी सब के बीच 1992 में गृहयुद्ध छिड़ गया. शुरुआत में तो जॉर्जिया की सेना को बढ़त हासिल हुई और उसने अबखाजिया के बागियों को राजधानी सुखुमी से बाहर खदेड़ दिया. लेकिन, रूसी सेनाओं ने फिर से ताकत जुटाकर जॉर्जिया की सेना पर तगड़ा पलटवार किया.

इस लड़ाई में दस हजार लोग मारे गए. जिसके बाद जॉर्जियाई मूल के दो लाख से ज्यादा लोगों को अबखाजिया छोड़कर भागना पड़ा. इस काम में रूस की सेना ने भी अबखाजिया के बागियों की मदद की थी. और पूरी तरह से आजाद देश बनाने में रूस ने अबखाजिया की मदद की. लेकिन ये मदद सिर्फ नाम भर की थी. क्योंकि आज भी अबखाजिया के बॉर्डर पर रूसी सेनाओं की तैनाती है. हकीकत में अबखाजिया, रूस की कठपुतली है. अबखाजिया और दक्षिणी ओसेतिया दोनों ही आज रूस को सपोर्ट करते हैं. 

रिपोर्टस ये बताती हैं कि सोवियत संघ के जमाने में अबखाजिया सैलानियों के बीच बहुत मशहूर था. वहां का मौसम सैलानियों को खूब लुभाता था. वक्त की करवट के साथ वहां के लुभाने मौसम ने तो करवट नहीं ली , लेकिन रूस की सेनाओं की चौकीदारी के बाद आज वहां घना सुनसान पड़ा हुआ है. कल तक जिस अबखाजिया के होटल और रेस्टोरेंट सैलानियों से भर रहते थे आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है. 

अबखाजिया और रूस के रिश्ते की बात करें तो दोनों के बीच करीबी रिशते हैं. अबखाजिया आज पूरी तरह से रूस से मिलने वाली मदद पर ही निर्भर है. रूस का कब्जा केवल अबखाजिया की सीमाओं पर नहीं है. रूस ने अबखाजिया की सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था पर भी कब्जा कर रखा है.  यहां के रियल स्टेट सेक्टर पर भी रूस का कंट्रोल होता जा रहा है. इससे अबखाजिया को ये फायदा है कि इसे रूस की मदद मिलती रहेगी. 

लेकिन रूस की मदद के बावजूद अबखाजिया का बुनियादी ढांचा रख-रखाव की कमी के चलते बिखर रहा है. बता दें कि अबखाजिया को केवल पांच देशों, रूस, निकारागुआ, सीरिया, नाउरू और वेनेज़ुएला से मान्यता मिली है. हैरान करने वाली बात तो ये है कि आज भी अबखाजिया के बस अड्डे भी सोवियत संघ के जमाने के हैं.1990 के दशक से चली आ रही लड़ाई की वजह से यहां मलबों के ढेर लगे है. अबखाजिया की करेंसी रूस की रूबल है. देश की ज्यादातर संपत्तियों पर रूस का ही कब्जा है. अबखाजिया के पास अपनी संसद भी नहीं है. राजधानी सुखुमी में संसद की पुरानी इमारत वीरान पड़ी है. शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन भी वीरान है. दक्षिण ओसेतिया में तो ज़्यादातर लोगों के पास रूसी पासपोर्ट हैं. 

 

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