Explainer: रूस यूक्रेन युद्ध का दुनिया के देशों पर क्या पड़ा असर, जानिए

रूस-युक्रेन युद्ध को डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय हो गया है. अभी भी युद्ध के थमने की कोई भी स्थिति नजर नहीं आ रही है. इस युद्ध का असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है. खाने-पीने से लेकर तेल की कीमत सबके मानों पर लग गए हों. कई देशों में महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है.

Russia-Ukraine War (Reuters)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST
  • अमेरिका के लिए बढ़ा संकट
  • ऑस्ट्रेलिया में पेट्रोल की कीमतें हुई दोगुनी

रूस-युक्रेन युद्ध को डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय हो गया है. अभी भी युद्ध के थमने की कोई भी स्थिति नजर नहीं आ रही है. इस युद्ध का असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है. खाने-पीने से लेकर तेल की कीमत सबके मानों पर  लग गए हों. कई देशों में महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. यूएन की एक संस्था ने वैश्विक विकास दर का अनुमान 3.6% से 2.6% कर दिया है. जर्मनी, इटली और स्पेन समेत कई देशों में सनफ्लावर ऑयल और आटे का स्टॉक खत्म हो रहा है. 

अमेरिका के लिए बढ़ा संकट
रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई से जूझ रहे अमेरिका के लिए संकट और बढ़ा दिया है.अमेरिका रूस से फर्टिलाइजर का निर्यात करता था अब इसके रुक जाने से खेती पर भी असर पड़ेगा. इससे खाद्य महंगाई और बढ़ सकती है. 2014 के बाद से तेल कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं. अगर ये कीमतें अभी कंट्रोल में नहीं आती हैं तो महंगाई 10% पहुंच सकती है.

ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में पेट्रोल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं. यहां महंगाई चुनावी मुद्दा बन गई है. इसे देखते हुए फेडरल सरकार ने निम्न और मध्य वर्ग के हर परिवार को 19 हजार रुपये और इनकम टैक्स में 1.14 लाख रुपये की राहत देने का फैसला किया है.

मध्य पूर्व देश
मध्य पूर्व के देश अनाज के लिए रूस और यूक्रेन दोनों पर निर्भर करते हैं. युद्ध की वजह से यहां खाने-पीने का संकट हो गया है. यूरोपीय देश रूस पर अपनी उर्जा निर्भरता कम कर रहे हैं.

ब्रिटेन
ब्रिटेन में युद्ध के बाद अनाज के दाम 40.6% बढ़ गए हैं. सीईबीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के लोगों की आय 2.11 लाख रुपये घट जाएगी. वहीं फर्टीलाइजर के दाम बढ़ने से खाद्य संकट पैदा हो सकता है. वहीं गैस की कीमत दो साल की तुलना में 20 गुना बढ़ी है.

अमेरिका
अमेरिका रूस पर फर्टीलाइजर के लिए निर्भर था. रूस-यूक्रेन युद्ध ने अमेरिका का संकट और बढ़ा दिया है. फर्टीलाइजर का निर्यात रुकने से यहां खेती पर भी असर पड़ेगा. इससे खाद्य महंगाई और बढ़ सकती है.

चीन
वैसे तो चीन में भी ईंधन की कीमते बढ़ी हैं लेकिन युद्ध का इस पर खास प्रभाव पड़ता दिख नहीं रहा है. युद्ध होने से पहले बीजिंग ने रूस के साथ 6 लाख करोड़ रुपये का तेल-गैस सौदा किया था जिससे चीन को इससे कोई खास नुकसान होता दिख नहीं रहा है.

जापान
जापान ने रूस को मोस्ट फेवर्ड नेशंस की सूची से बाहर कर दिया है. इससे रूसी आयात महंगा हो गया है. जापान ने रूसी उर्जा क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है, जो अब देश के कच्चे तेल का 4% और एलएनजी की 9% जरूरतों को पूरा करेगा.

वहीं दूसरे देशों के मुकाबले भारत में रूस-युक्रेन युद्ध का कम असर देखने को मिलेगा. भारत में जिन चीजों पर इसका असर रहेगा उसमें सबसे अधिक तेल के दामों में इजाफा देखा जा सकता है. इसके अलावा कृषि के मामले में भारत की रूस पर कम निर्भरता की वजह से इस क्षेत्र में कोई खास असर नहीं देखने को मिलेगा.


 

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