वैज्ञानिकों ने बनाई नई प्रोटीन बेस्ड कोरोना वैक्सीन, प्रोडक्शन और स्टोरेज में आसान

शोधकर्ताओं के अनुसार, नई एक्सपेरिमेन्टल COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह से प्रोटीन आधारित है, जिससे इसका निर्माण आसान हो गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कमरे के तापमान पर कम से कम सात दिनों तक स्थिर और प्रभावशाली रही. 

gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 08 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST
  • नई एक्सपेरिमेन्टल COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह से प्रोटीन आधारित.
  • नई वैक्सीन ने SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ चूहों में मजबूत प्रतिरक्षा दी.

वैज्ञानिकों ने COVID-19 के लिए एक नई प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन विकसित की है. उनका कहना है कि इसका उत्पादन करना बहुत आसान है और इसके लिए कोल्ड स्टोरेज की जरूरत नहीं है.  अमेरिका के बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल की रिसर्च टीम ने नोट किया कि वर्तमान में उपलब्ध कोविड टीकों के लिए कोल्ड स्टोरेज और खास निर्माण क्षमता की आवश्यकता होती है, जिसकी वजह से उनका उत्पादन और वितरण करना मुश्किल हो जाता है, खासकर कम विकसित और विकासशील देशों में. 

वैज्ञानिकों ने कहा कि PNAS जर्नल में बताया गया नया टीका डिजाइन वैश्विक टीकाकरण अंतराल (Global Vaccination Gap) को भरने में मदद कर सकता है, साथ ही इस डिजाइन को दूसरी बीमारियों के टीकों पर लागू किया जा सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि नई वैक्सीन ने SARS-CoV-2 वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है, इसके खिलाफ चूहों में मजबूत प्रतिरक्षा दी. उन्होंने कहा कि वैक्सीन को सफलतापूर्वक फ्रीज-ड्राय किया गया और बाद में बिना प्रभावकारिता खोए पुनर्गठित किया गया. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कमरे के तापमान पर कम से कम सात दिनों तक स्थिर और प्रभावशाली रही. 

नई COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह से प्रोटीन आधारित 

शोधकर्ताओं के अनुसार, नई एक्सपेरिमेन्टल COVID-19 वैक्सीन पूरी तरह से प्रोटीन आधारित है, जिससे इसका निर्माण आसान हो गया है. अध्ययन के लेखक नोवेलिया पिशेशा ने कहा कि  हम SARS-CoV-2 वेरिएंट के लिए वैक्सीन को जल्दी और आसानी से बना सकते हैं," Pishesha ने कहा. चूहों में किए गए प्रयोगों में, वैक्सीन ने SARS-CoV-2 के खिलाफ मजबूत इम्युनिटी दी. साथ ही स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ हाई न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाई. 

शोधकर्ताओं ने कहा कि यह मजबूत सेलुलर प्रतिरक्षा भी देती है. ये वैक्सीन एक प्रोटीन है, फाइजर / बायोएनटेक और मॉडर्न वैक्सीन जैसे मैसेंजर आरएनए के बजाय, यह बड़े पैमाने पर आसानी से बनाई जा सकती है.अध्ययन के सह लेखक थिबॉल्ट हरमंद ने कहा, "हमें बहुत अधिक फैंसी तकनीक और विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है, जैसा की mRNA वैक्सीन बनाने के लिए होती  है." शोधकर्ताओं ने कहा कि नई तकनीक संभावित रूप से दुनिया भर में कई साइटों पर वैक्सीन का उत्पादन कर सकती है, जहां इसका इस्तेमाल किया जाएगा. रिसर्चस ने फिलहाल अपनी तकनीक पर एक पेटेंट दायर किया है, और उन्हे उम्मीद है कि बायोटेक या फार्मास्युटिकल कंपनियां इस परीक्षण को आगे बढ़ाने और क्लीनिकल ट्रायल में शामिल हो सकती हैं. 

ये भी पढ़ें: 

 

Read more!

RECOMMENDED