सिंगल-यूज वेप्स पर्यावरण के लिए खतरनाक, अगले साल तक लगेगा बैन, बच्चों को लग रही वेपिंग की लत

इंग्लैंड और वेल्स में हर हफ्ते लगभग 50 लाख डिस्पोजेबल वेप्स फेंके जाते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. यह कानून 2025 में लागू होगा. इस बीच व्यापारियों को समय दिया गया है कि वे अपना स्टॉक खत्म कर सकें और इस नियम के अनुसार बदलाव कर सकें. 

Single use vapes
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST
  • डिस्पोजेबल वेप्स क्यों माने जाते हैं खतरनाक
  • इंग्लैंड और वेल्स में डिस्पोजेबल वेप्स पर 2025 से लगेगा बैन

इंग्लैंड और वेल्स में एक बड़ा बदलाव होने वाला है. सरकार का कहना है कि अगले साल जून तक सिंगल-यूज डिस्पोजेबल वेप्स की बिक्री पर रोक लगा दी जाएगी. यह वेप्स एक तरह के छोटे डिवाइस होते हैं जिन्हें एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है. सरकार का कहना है कि यह कदम बच्चों को सस्ते वेप्स से दूर रखने और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए उठाया गया है. 

इंग्लैंड और वेल्स में हर हफ्ते लगभग 50 लाख डिस्पोजेबल वेप्स फेंके जाते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. यह कानून 2025 में लागू होगा. इस बीच व्यापारियों को समय दिया गया है कि वे अपना स्टॉक खत्म कर सकें और इस नियम के अनुसार बदलाव कर सकें. 

डिस्पोजेबल वेप्स क्यों माने जाते हैं खतरनाक
डिस्पोजेबल वेप्स को न तो रिचार्ज किया जा सकता है और न ही रिफिल. इन्हें इस्तेमाल के बाद सीधे कचरे में फेंक दिया जाता है. इनका रीसाइक्लिंग करना भी मुश्किल होता है, और यह ज्यादातर मामलों में आम कचरे के साथ ही फेंक दिए जाते हैं. इनमें लीथियम-आयन बैटरी होती है, जो ठीक से न फेंकने पर आग का खतरा पैदा कर सकती है. साथ ही, इनमें लीथियम जैसे महंगे धातु का इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण और संसाधनों की बर्बादी को बढ़ाता है. 

2022 में हुए एक सर्वे के अनुसार, सिंगल-यूज वेप्स के कारण 40 टन से भी ज्यादा लीथियम बर्बाद हुआ, जो लगभग 5,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए काफी होता है. इसके साथ ही वेप्स का सस्ता और आकर्षक होना युवाओं को इसकी ओर आकर्षित कर रहा है. खासकर 11 से 15 साल के बच्चों के बीच, वेप्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है. एक सर्वे के मुताबिक, इस उम्र के लगभग 25% बच्चों ने पिछले साल वेप्स का इस्तेमाल किया था. यही कारण है कि सरकार ने इसे लेकर चिंता जाहिर की है और इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. 

तंबाकू और वेप्स बिल
इस प्रतिबंध के अलावा इंग्लैंड की सरकार "तंबाकू और वेप्स बिल" के तहत अन्य कदम भी उठाने पर विचार कर रही है. इसका मकसद युवाओं के बीच वेपिंग की बढ़ती आदतों पर रोक लगाना है. इस बिल के अंतर्गत, 18 साल से कम उम्र के लोगों को वेपिंग प्रोडक्ट बेचने पर सख्त नियम लाए जाएंगे. इसके अलावा, बच्चों को लुभाने वाले फ्लेवर्स और रंग-बिरंगे पैकेजिंग पर भी कड़ी निगरानी रखी जाएगी. 

सिंगल-यूज़ वेप्स बैन का लोगों ने किया समर्थन
इस फैसले को लागू करने से पहले सरकार ने फरवरी 2023 में एक सर्वे किया था, जिसमें 69% लोगों ने सिंगल-यूज वेप्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया. लोग इसे पर्यावरण और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मानते हैं. ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन (बीएमए) ने भी इस कदम की तारीफ की और इसे "लंबे समय से जरूरी" कदम बताया. 

युवाओं में वेपिंग का बढ़ता ट्रेंड
हाल के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि 18 से 24 साल के युवाओं में से 7% ने कभी धूम्रपान नहीं किया, लेकिन अब वे वेपिंग कर रहे हैं. ऐसे में वेपिंग को रोकना एक जरूरी कदम भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिंगल यूज वाले वेप्स पर प्रतिबंध का असर लगभग 2.6 मिलियन वयस्कों (adults) पर पड़ेगा. इसके अलावा, 2022 से अब तक 24 बच्चों को वेपिंग के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है, जिसमें फेफड़ों की समस्या या अस्थमा के लक्षण शामिल हैं.

ई-सिगरेट में कितना निकोटीन होता है?
ई-सिगरेट कई तरह की कंपनियों द्वारा बनाए जाते हैं, जिनमें अलग-अलग मात्रा में निकोटीन होता है. यूके में, किसी भी ई-लिक्विड में 20mg/ml तक निकोटीन रखना कानूनी रूप से तय है, जो करीब 600 से 800 पफ्स के बराबर होता है. ब्रिटेन में सबसे लोकप्रिय वेप्स में से एक, एल्फ बार 600, को 0mg, 10mg और 20mg निकोटीन की स्ट्रेंथ में बेचा जाता है.  

एक ई-सिगरेट में कितनी सिगरेट जितना निकोटीन होता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, एल्फ बार 600 एक बार में लगभग 48 सिगरेट जितना निकोटीन देता है. इसमें 600 पफ्स आते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि हर 12.5 पफ्स एक सिगरेट के बराबर होते हैं. कई ई-सिगरेट के मामले में, 100 पफ्स करीब 10 सामान्य सिगरेट के बराबर माने जाते हैं.

यह स्टोरी निहारिका सिंह ने लिखी है, निहारिका GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.

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