90 सेकंड की कीमत तुम क्या जानो मास्टर साहब! डेढ़ मिनट पहले परीक्षा खत्म कर फंस गए टीचर, कोर्ट पहुंच गए छात्र

साउथ कोरिया में कुछ छात्रों ने सरकार के ऊपर केस कर दिया है क्योंकि उनका कहना है कि उनका एग्जाम 90 मिनट पहले खत्म कर दिया गया. इस साल इस एग्जाम में करीब 5 लाख स्टूडेंट्स शामिल हुए थे. इसका रिजल्ट 8 दिसंबर को डिक्लेयर किया गया.

South Korea
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

साउथ कोरिया में दर्जनों छात्र सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं क्योंकि एक महत्वपूर्ण कॉलेज प्रवेश परीक्षा निर्धारित समय से 90 सेकंड पहले समाप्त हो गई. स्टूडेंट्स का कहना है कि परीक्षा 90 सेकंड पहले खत्म कर दी गई और इसके लिए सरकार जिम्मेदार है.

कितना किया गया क्लेम
कम से कम 39 छात्रों ने मंगलवार को सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा दायर कर दोबारा परीक्षा देने के लिए एक साल की पढ़ाई की लागत की भरपाई के लिए प्रत्येक को 20 लाख वोन (15 हजार 400 डॉलर या 12 लाख 77 हजार रुपये) की मांग की.अगर कोर्ट में छात्रों के ये आरोप साबित होते हैं तो सरकार को हर छात्र को इतने रुपये देने होंगे. यह एक स्टूडेंट की एक साल की ट्यूशन फीस के बराबर है.

यह घटना इस साल सुनेउंग में आठ घंटे लंबे मैराथन टेस्ट के दौरान घटी. शिक्षा के प्रति जुनूनी देश में यह शायद सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा है, जहां करियर, सामाजिक प्रतिष्ठा और यहां तक ​​कि शादी की संभावनाएं काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती हैं कि कोई व्यक्ति किस विश्वविद्यालय में जाता है. परीक्षा के नतीजे 8 दिसंबर को घोषित किए गए थे.

क्या होता है पैटर्न
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक छात्र इसे सरकार की बड़ी लापरवाही बता रहे हैं क्योंकि इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा. बता दें कि साउथ कोरिया में कॉलेज एडमिशन इतना आसान नहीं है. इसके लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है जिसे लोकर लैंग्वेज में ‘सुनेउंग’ कहा जाता है. इस एग्जाम को पूरा करने के लिए कुल 8 घंटे दिए जाते हैं. इस दौरान बच्चों को कई एग्जाम पेपर्स सॉल्व करने होते हैं. ये एग्जाम पेपर्स अलग-अलग सब्जेक्ट के होते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सुनेउंग, दरहकीकत दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. इसके लिए जितनी तैयारी स्टूडेंट्स करते हैं उतनी तैयारी टीचर्स को भी करनी पड़ती है. हर मिनट बेहद कीमती होता है. इस एग्जाम से ही यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट्स, जॉब्स तय कर पाते हैं. कुल मिलाकर 39 स्टूडेंट्स ने सरकार के खिलाफ केस दायर किया है.

 

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