Sri Lanka Crisis: कर्ज से जूझते श्रीलंका के लिए भारत बना सहारा, करेंसी स्वैप से लेकर दवा, ईंधन तक की पहुंचाई मदद

Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के लिए आज हर एक दिन एक सदी की तरह साबित हो रहा है. आर्थिक संकट के बीच महंगाई से परेशान लोगों ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री आवास पर धावा बोल दिया है. ऐसे में भारत लगातार अपने पड़ोसी मुल्क की मदद कर रहा है.

Sri Lanka Crisis
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 11 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST
  • 1948 में मिली आजादी के बाद से अब तक, श्रीलंका सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है
  • भारत ने की 3.8 बिलियन डॉलर की मदद

श्रीलंका का आर्थिक संकट किसी से छिपा नहीं है. और ऐसे में, भारत सरकार अपने पड़ोसी देश की हर संभव मदद के लिए तैयार है. फिलहाल सबकी नजरें कोलंबों में मची अफरातफरी हैं. जहां आम जनता राष्ट्रपति भवन से लेकर पीएम आवास तक जा पहुंची है.

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों पर कब्जा करने वाले श्रीलंकाई प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि वे दोनों के इस्तीफा देने तक उनके घरों पर कब्जा करना जारी रखेंगे. इन सब के बीच भारत लगातार श्रीलंका के लिए संकटमोचक बना हुआ है. 

आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा संकट
1948 में मिली आजादी के बाद से अब तक, श्रीलंका सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी श्रीलंका में महंगाई की दर 54 फीसदी को भी पार कर चुकी है. ये पूरे दक्षिण एशिया के किसी भी देश में महंगाई का सबसे भयानक स्तर है.

श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं और मिल रही हैं तो कई गुना महंगी. देश में सबसे ज्यादा ईंधन की कमी है. पेट्रोल-डीजल की इतनी कमी है कि इनकी राशनिंग करनी पड़ रही है. श्रीलंकाई रुपये की वैल्यू चार महीने में डॉलर के मुकाबले 80 फीसदी से ज्यादा कम हो चुकी है. मार्च में श्रीलंका में 1 डॉलर की कीमत 201 श्रीलंकाई रुपये थी जो अब 362 श्रीलंकाई रुपये पर आ चुकी है.

आपको बता दें कि श्रीलंका को इस साल विदेशी कर्ज के रूप में सात अरब डॉलर और 2026 तक 25 अरब डॉलर अदा करना है. लेकिन श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है. ऐसे में श्रीलंका के पास इस साल भी विदेशी कर्ज चुकाने जितना पैसा नहीं बचा है. 

भारत ने की 3.8 बिलियन डॉलर की मदद
ऐसे मुश्किल हालात में अपने पड़ोसी मुल्क की मदद के लिए भारत ने हाथ आगे बढ़ाया है. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि श्रीलंका का मुद्दा गंभीर है और यह  अभी नहीं हुआ है बल्कि धीरे-धीरे पनपा है. हालांकि, पीएम मोदी की पॉलिसी है- पड़ोसी पहले. इसका मतलब है कि हम अपने पड़ोसियों की मदद के लिए पहल करें. 

और यह सिर्फ नीति नहीं है बल्कि भारत ने इसपर काम भी किया है. जिसके तहत, श्रीलंका को भारत ने इस साल 3.8 बिलियन डॉलर की मदद मिली है. यह मदद करेंसी स्वैप, खाने-पीने की चीजों, दवाओं, फर्टिलाइजर और ईंधन के रूप में की गई है.

डीजल-पेट्रोल की भी सप्लाई की गई
भारत सरकार और लोगों ने मिलकर श्रीलंका को 25 टन से ज्‍यादा दवाओं की आपूर्ति की है. बीते कुछ महीनों में भारत ने श्रीलंका को तेल संकट से निपटने के लिए कई बार डीजल-पेट्रोल की भी सप्लाई करके बड़ी मदद की है. श्रीलंका के लिए भारत की ओर से की जा रही ये मदद किसी संजीवनी से कम नहीं है. 

मुसीबत की इस घड़ी में भारत अपने पड़ोसी देश, श्रीलंका के साथ खड़ा है. भारत की तरफ से दवा, अनाज से लेकर रुपये-पैसे तक श्रीलंका की हर मुमकिन मदद की दा रही है और भारत सरकार ने यह मदद आगे भी जारी रखने का वादा किया है. 

 

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