Naik Yeshwant Ghadge: 22 साल की उम्र, सभी साथी शहीद, अकेले जर्मन सैनिकों से लिया लोहा... इटली में भारतीय सैनिक यशवंत घाडगे की वीरता की कहानी

दूसरे विश्वयुद्ध में इतावली अभियान में 50 हजार भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया था. जिसमें से 5782 जवानों ने अपना बलियान दिया. इस युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले नायक यशवंत घाडगे समेत भारतीय सैनिकों की याद में इटली के पेरुगिया में एक मेमोरियल बनाया गया था.

Naik Yeshwant Ghadge
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

इटली दौरे के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मोनोटोन के वीसी यशवंत घाडगे सुंडियाल मेमोरियल पहुंचे और दूसरे विश्व युद्ध में शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता नाईक यशवंत घाडगे को श्रद्धांजलि दी. यशवंत घाडगे ने अपने साथी जवानों के साथ हिटलर के सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे. चलिए आपको ब्रिटिश आर्मी की तरफ से लड़े भारतीय वीर योद्धा की कहानी बताते हैं.

इटली में मोर्चे पर तैनाती-
दूसरे विश्व युद्ध में जब यशवंत घोडगे को इटली के मोर्चे में तैनात किया गया तो उस वक्त उनकी उम्र 22 साल थी. इटली के पेरुगिया में जर्मन सैनिकों से लड़ते हुए इस वीर जवान ने शहादत दी थी. इससे पहले यशवंत घडगे ने 4 साल तक ब्रिटिश सेना में सेवा दे चुके थे. उनको नायक के रैंक पर प्रमोट किया गया था और वो राइफल सेक्शन को कमांड कर रहे थे.
 
अकेले दुश्मन की चौकी पर किया था कब्जा-
10 जुलाई 1944 को 5वीं मराठा लाइट इन्फैंट्री की एक कंपनी के हमले को दुश्मन ने मजबूती से बचाव किया था. नायक घाडगे की टुकड़ी पर नजदीक से मशीन गन से फायर किया गया था. इस हमले में घाडगे के सभी साथी या तो शहीद हो गए या घायल हो गए थे. कवर फायर के लिए घोडगे के साथ कोई नहीं था. लेकिन नायक ने हिम्मत नहीं हारी. फायरिंग के बीच वो मनीन गन पोस्ट पर चढ़ गए. उन्होंने पोस्ट पर एक ग्रेनेड फेंका. जिससे बंदूक नष्ट हो गई. उसकी टॉमीगन की क्लिप एक क्रूमैन पर खाली कर दी. इस पोस्ट पर दो और भी लोग थे. घोडगे ने दोनों को अपनी बंदूक की बट से पीट पीटकर मार डाला. इस दौरान उनके ऊपर भी गोलियां बरसाई गईं. जिसमें वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. लेकिन उन्होंने पोस्ट पर कब्जा कर लिया था.
नायक यशवंत घाडगे की वीरता के लिए मरणोपरांत उनको ब्रिटिन का सर्वोच्च सैन्य सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया.
यशवंत घाडगे ने दूसरे विश्व युद्ध में इतावली अभियान के दौरान अपना बलिदान दे दिया. वो जर्मनी, इटली और जापान के साथ युद्ध में भागीदार बने. इनको धुरी शक्तियों के तौर पर जाना जाता था. जिन्होंने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ लड़ी. जिसमें अमेरिकी ब्रिटेन और सोवियस रूस शामिल थे.

युद्ध में भारतीय जवानों की वीरता-
उस समय ब्रिटिश सेना की तरफ से भारतीय सैनिक रणभूमि में अपना शौर्य दिखा रहे थे. इटली की लड़ाई में 50 हजार भारतीय सैनिकों ने हिस्सा लिया. जिसमें से 5782 जवानों ने अपना बलिदान दिया. इतावली अभियान में अमेरिका और ब्रिटेश के बाद भारतीय सैनिक सबसे ज्यादा संख्या में थे. भारतीय सैनिक साल 1943 से 1946 तक इटली में रहे. इस अभियान में चौथे, 8वें और 10वें इंडियन डिवीजन ने हिस्सा लिया था. इसके अलावा 43वीं स्वतंत्र गोरखा इन्फैंट्री ब्रिगेड भी शामिल थी.
सिसिली में अभियान में शामिल होने के बाद 8वें इंडियन डिवीजन ने अक्टूबर 1943 में जर्मन डिफेंसिव बर्नहार्ट पर हमले की अगुवाई की और संग्रो नदी को पार किया. जबकि चौथे और 8वें इंडियन डिवीजन ने मोंट कैसिनो की महत्वपूर्ण लड़ाई में हिस्सा लिया. जिसमें भारतीय जवानों ने जर्मन सैनिकों को पीछे धकेल दिया.

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