यूक्रेन से लौटे 16 हजार मेडिकल छात्रों की पढ़ाई देश में होगी शुरू, हेल्थ मिनिस्ट्री की एनएमसी को चिट्‌ठी

रूस-यूक्रेन युद्ध से संकट में फंसे करीब 16 हजार भारतीय मेडिकल छात्रों को भारत के कॉलेजों में दाखिला दिलाने की तैयारी है. केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को इस मुद्दे पर अहम बैठक हो सकती है.

छात्रों की भीड़
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST
  • सरकार ने यूक्रेन से लौटे भारतीय  स्टूडेंट को भारत के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने की तैयारी शुरू कर दी है
  • शुक्रवार को इस मुद्दे पर अहम बैठक होने वाली है

रूस-यूक्रेन  संकट में फंसे करीब 16 हजार भारतीय मेडिकल छात्रों के लिए राहत की खबर है. दरअसल सरकार ने यूक्रेन से लौटे भारतीय  स्टूडेंट को भारत के मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने की तैयारी शुरू कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस सिलसिले में बताया कि " मुमकिन है कि शुक्रवार को इस मुद्दे पर अहम बैठक हो. सरकार चाहती है कि यूक्रेन से लौटे इन छात्रों की पढ़ाई पर असर न हो. इसके लिए केंद्र सरकार फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट लाइसेंसिएट रेगुलेशन (एफएमजीएल) एक्ट में बदलाव पर विचार कर रही है. 

इस सिलसिले में स्वास्थ्य मंत्रालय नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को एक चिट्‌ठी भी लिख रही है,  जिसमें कहा जाएगा कि एफएमजीएल रेगुलेशन एक्ट-2021 में बदलाव किया जाए ताकि बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स को देश के कॉलेजों में दाखिला मिल सके. बता दें कि अभी तक विदेश के मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करने वाले छात्रों को कोर्स पूरा करने के बाद ट्रेनिंग और इंटर्नशिप भी विदेश से ही करनी पड़ती थी. यूक्रेन में एमबीबीएस  की पढ़ाई 6 साल की होती है.  फिर 2 साल इंटर्नशिप होती है.  ऐसे में जाहिर है अगर यूक्रेन में पढ़ाई करने वाले मेडिकल छात्रों के एजुकेशन पर कोई भी गलत असर पड़ता है तो उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. 

इस तरह निकलेगा यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के दाखिले का रास्ता 

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए उसी साल नीट परीक्षा पास करनी होती है जबकि विदेशों के नियम के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में नीट परीक्षा पास करने के तीन साल के अंदर कभी भी दाखिला ले सकते हैं. विदेशों से जितने भी मेडिकल छात्र देश में आ रहे हैं उनमें ज्यादातर एमबीबीएस स्टूडेंट्स ही हैं. 

इन छात्रों को सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलना नामुमकिन

बता दें कि फॉरेन मेडिकल से लौटे सभी छात्रों को सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलने की उम्मीद नहीं है. इन सभी छात्रों को निजी, डीम्ड कॉलेज में दाखिला मिल सकता है. 

क्या ये छात्र ऑनलाइन पढ़ाई कर पाएंगे

नहीं, क्योंकि यूक्रेन में इंफ्रास्ट्रक्चर इस हद तक तबाह हो चुका है कि ऑनलाइन पढ़ाई कराना अभी मुमकिन ही नहीं है. 

सबसे ज्यादा चिंता कौन से वर्ष के छात्रों की 

यूक्रेन में पढ़ाई करने गए छात्रों में सबसे ज्यादा परेशानी का सबब तीसरे और चौथे साल  के छात्र  हैं. क्योंकि वहां के विवि की तरफ से अभी तक ये साफ नहीं किया गया है कि उनकी आगे की पढ़ाई कैसे होगी. ऐसे में ये स्टूडेंस सिर्फ यूक्रेन में सबकुछ नॉर्मल होने का इंतजार कर रहे हैं. 

इधर, यूक्रेन से लौटे इन छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में  दाखिले के बारे में भारत के कॉलेज के प्राचार्यों ने कहा कि उन्हें भारतीय चिकित्सा संस्थानों में दाखिला दिलाना  मुमकिन नहीं होगा. हालांकि, यह एक राज्य का मामला है, हमारे पास इतनी सीटें नहीं हैं. इसके अलावा कॉलेजों को छात्रों के योग्यता का भी ध्यान रखना होगा.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एमसीआई के एक पूर्व सदस्य ने बताया  कि विदेशों में कई मेडिकल छात्र इसलिए भी एडमिशन लेते हैं क्योंकि उनका नीट में स्कोर कम होता है. इसके अलावा भारत में मेडिकल की ऑनलाइन पढ़ाई करने वालों छात्रों की वैधता नहीं है. बीते दिनों एमसीआई की तरफ से एक नोटिस भी जारी किया गया था. जिसमें कहा गया था कि चीन से मेडिकल की ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों के डिग्री को वैध नहीं माना जाएगा. 

 

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