स्टडी का कहना कि केवल स्कूल में फोन बैन से नहीं सुधरेंगे ग्रेड और मेंटल हेल्थ.. अन्य उपाय अपनाने की जरूरत

यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम की एक स्टडी से खुलासा हुआ है कि स्कूल में फोन करने से बच्चों के ग्रेड में कोई फर्क नहीं आता है. बता दें कि इंग्लैंड के कई स्कूल में फोन के उफर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

आज के दौर में स्कूल-कॉलेज जाने वाले हर छात्र के पास अमूमन स्मार्टफोन होता ही है. कुछ लोग इसका इस्तेमाल पढ़ाई के लिए करते हैं तो वहीं कुछ लोग इसपर सोशल मीडिया में लगे रहते हैं. कुछ लोग कहते हैं कि फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से मेंटल हेल्थ खराब होती है. साथ ही अगर छात्र इसका ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो उनके अंकों पर इसका परिणाम पड़ सकता है.

स्टडी में आई अनोखी बात सामने 
यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम द्वारा एक स्टडी को किया गया. जिसमें 30 स्कूल को शामिल किया गया और 1227 बच्चों को इस स्टडी से अंतर्गत लिया गया. 30 में से 20 स्कूल ऐसे थे जिनमें फोन से इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया, वहीं 10 स्कूलों में फोन के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया.

जिसके कुछ समय बाद स्टडी का परिणाम यह निकल कर आया कि केवल स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने से बच्चों की मेंटल हेल्थ और उनके ग्रेड बेहतर नहीं हो रहे हैं. यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने पाया कि फोन पर ज्यादा समय बिताने से मार्क्स के बढ़ने, खराब नींद या एक्सरसाइज करने में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला.

लेनसेट रिजनल हेल्थ यूरोप जर्नल
इसी स्टडी को लेनसेट रिजनल हेल्थ यूरोप जर्नल में पब्लिश किया गया, और उन्होंने भी पाया कि इस प्रकार के प्रयोग से बच्चों की मेंटल हेल्थ पर किसी प्रकार का सुधार देखने को नहीं मिला. 

बल्कि उन्होंने कहा कि उन्हें बच्चों की मेंटल हेल्थ को सुधारने के लिए फोन के प्रतिबंध के अलावा भी किसी अन्य स्ट्रैटिजी पर काम करने की जरूरत है.

क्या कहना है स्टडी की लेखिका का
स्टडी की लीड लेखिका, डॉ. विटोरिया गुडईयर ने बीबीसी ने कहा कि जो कुछ हमें स्टडी से पता चला है वह इस बात के खिलाफ नहीं है कि मोबाइल फोन के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. बल्कि हमें पता चला है कि हमें मोबाइल के नेगेटिव प्रभाव को कम करने के लिए कुछ और तरीकों को अपनाने की जरूरत है.

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